गर्मी की तपन लूं भरी उमस ने दम निकला है। ऐसी कूलर भी लगाए, मगर कोई काम नहीं आया है। बहुत समय पहले हम अपनी दीदी के ससुराल शादी की सालगिरह मनाने गए थे। गर्म हवाओं से बदन जल रहा था, 1 दिन में ही धमोरिया ने बदन लाल कर दिया था । दूर-दूर तक पेड़ों का कहीं नामों निशान नहीं था। बस हवेलिया का बोलबाला था, इस भीषण गर्मी के कारण किसी को उल्टी हो तो किसी को दस्त लग रही थी सभी की हालत खराब थी । गर्म हवाओं से धूल उड़ रही थी जो सब के गले में घुट रही थी।
मैं वहां देखा नालियां भरी पड़ी थी मच्छरों का तांता लगा हुआ था। जगह-जगह कचरा की ढेर पड़े हुए थे । हवेलीया आलीशान थी मगर सफाई नही थी । फिर मेरे राज बोलें शिवा क्यों ना हम मोहल्ले वालों को इकट्ठा कर सफाई की बात करें। हम पास ही के मकान में गए वहां टीवी तेज चल रही थी।सब अपने -अपने मोबाइल में व्यस्त थे। उनकी माता जी को अटैक आया था और वो पसीना टपक रहा था । थी सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। मैं दौड उनके पैरों की पगतली मसलनीशुरू की राज ने उनकी हथेलियां को मसला फिर मैं थोड़ा सीन सहलाया और दो घुट पानी पिलाया और थोड़ी विक्स पर्स से निकाल उनके सीने पर लगाई ।तब उन्हें कुछ राहत की सांस मिली फिर मैंने उन्हें ठंडे पानी में नींबू पानी बनाकर दिया जिससे उन्हें थोड़ा अच्छा लग रहा था। फिर हमने उनका कूलर चालू किया ।
राज को बहुत गुस्सा में थे वे बोले,घर में कोई है दीपक बाहर आया हमारा आना हुआ वरना तुम्हारी मां इतना सुनते ही दीपक फोन पटक कर भागा। तुरंत डॉक्टर को फोन किया, थोड़ी देर में वो आएं मां को देखा,बोले इन्हें अभी क्या दिया है सब एक दुसरे का मुंह देखने लगे।
तब राज बोलें सर मेरी बीवी ने नींबू पानी दिया है,विक्स का मसाज किया है। मैंने हथेली इसने पैरों पे मसाज किया है।इसे समाज सेवा करने का बहुत शौक है । आपने इनकी जान बचा कर बहुत अच्छा काम किया है। वरना कुछ भी हो सकता था।दीपक और सीमा दोनों शर्मींदा हुए । उनकी माता जी ने हमें बहुत आशीष दिया।
दीपक आप कौन पहले कभी देखा नहीं हम सुधा दीदी के आएं हैं गलियों में इतनी गंदगी को देखा तो सोचा सफाई के लिए सबसे बात करें। एक मैसेज कोलोनी ग्रूप में डाल दिया शाम को ही सब इक्ट्ठा हुए।तब दीपक बोलें ये राज जी आपसे कुछ कहना चाहते हैं।
राज ने सबको नमस्ते किया और भी वहां फेल रही भयंकर गंदगी गलियों, मच्छरों के बारे में बताया और कहां की इन सब गंदगी और पर्यावरण से बचने शुद्ध हवा को पाने के लिए हमें पेड़ लगाना है धरती पे हमें हराभरा आंगन बनाना है।हम सबको आगे आना है। सबने कहा आपने जन कल्याण के लिए बहुत अच्छा व नेक काम किया है। सुबह सबने खंडे रह के नालियों को साफ करवाया कुंडा कचरा भी हटवाया।हर घर के बाहर एक एक पेड़ लगवाए,
हर गली कि नुक्कड़ पर भी पेड़ लगा, कचरा पात्र रखवाया । राज ने सबको कचरा पात्र में ही डाले जो बाहर फैलायेगा वो 500₹ जुर्माना भरेगा।नियम सबके लिए बराबर है। सबने हम दोनों को आशीर्वाद दिया
ऐसे ही एक बार कि बात है बहुत गर्मी से परेशान हमारी सासु मां एक पंखा उपर ,एक कूलर एक बड़ा पंखा नीचे इन तीनों के बाद भी वो गर्मी से ऐसे तडफ रहीं थीं मानो मछली बिन पानी के। तबसे मैंने ये सीखा कि शरीर को किसी चीज के इतना अधीन ना करें। जिससे मौत भी हमसे डर के भागने लगे।
हम गर्मी के दिनों में केरी का पानी आम ,तरबूज, खरबूजा,का भरपुर आनंद लेते हैं। कोई नानी के कोई भुवा दादी के। बहुत मस्ती करते हैं सब साथ रहने का मजा ही कुछ और होता है। वो छत को शाम को धोना बिस्तर लगाना कौन कूलर के आगे सोयेगा झगड़ना अच्छा लगता था।पुरा साल इंतजार में फिर जानें कि उमंग अनूठी सपना बनकर रह गई।
अंत में मैं यही कहना चाहूंगी कि हम बच्चों के जन्मदिन पर अपनी शादी कि सालगिरह पर इतना खर्च करते हैं। कुछ खर्च कम कर पेड़ लगाए पक्षियों को दाना पानी कि सुविधा करें।हम ये संदेश सब तक पहुंचाएं। एक एक करके आगे बढ़ेंगे तो हम कुछ कर पायेंगे। पर्यावरण प्रदूषण से जन व जीव को बचाएं। अधिक गर्मी है तो सिर पर टोपी आंखों पे चश्मा लगाए। कोई ज्यादा परेशान दिखे तो अपनी टोपी उसे दे दे।
शिवा सिंहल आबुरोड