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चित्र पर कहानी में नवनीता पांडेय

आज मां ने गर्मी की छुट्टियों में घर आए सभी बेटी ननद बुआ चाचा के बच्चों को कहा चलो आज सब मिलकर गेहूं का बोरा साफ करो।कुछ ने मुंह बनाया कुछ ने आलस डाला और दो बच्चो ने कहा हम करेंगे।मिली और सोम ने काम शुरू किया बीच बीच में गाने भी गाते ।उनको देखकर बाकी भी आ गए और ये क्या देखते ही देखते पूरा गेंहू साफ हो गया।मिली ने कहा बुआ कल और करेंगे।सबने कहा हां हम सब मिलकर ये कार्य करेंगे। इतने में फूफाजी भी आ गए बोले अरे तुम सबने तो कमाल कर दिया अब मैं कल तुमको गंगा स्नान करने ले जाऊंगा सब सुबह तैयार रहना। बच्चे खुशी से नाचने लगे । बुआ ने कहा देखो तुम्हारे काम से फूफाजी खुश हो गए और तुम सबकी इच्छा भी पूरी होगी।सुबह 5 बजे गाड़ी आ जायेगी सब तैयार रहना।बच्चो को तो सारी रात नींद ही नहीं आई।4 बजे से सब तैयार।गंगा तट पर पहुंच कर सब खुशी से चिल्लाने लगे ।सब एक एक करके गाड़ी उतरे।पर ये क्या सबके चेहरे अचानक उतर गए। अरे क्या हुआ बुआ ने पूछा? यहां तो इतनी गंदगी है हम कैसे नहाएंगे मिली ने बुआ से कहा। बुआ कुछ जवाब देती उसके पहले फूफाजी ने कहा अरे बच्चो इसीलिए तो मैं यहां तुमको नही लाना चाहता था।गंगा का पानी इतना गन्दा कर दिया लोगो ने की नहाने में भी डर लगता है।
मिली कुछ सोचने लगी फिर अचानक उछल पड़ी बोली कोई बात नही फूफाजी आज हम सब मिलकर गंगा तट को साफ करेंगे। सोम और मिली ने पास खड़े कुछ लोगो से बात करी उन्होंने भी सहमति में सिर हिलाया। सोम ने तब तक वहा से जानवरो को हटाया।पूजन करने वाली से भी निवेदन किया।देखते ही देखते सब लोगो ने एक श्रृंखला बना ली और हर हर गंगे की गूंज के साथ किनारे का कचरा उठाना शुरू किया और देखते ही देखते कचरे प्लास्टिक सड़े हुए फूल माला खाद्य सामग्री का ढेर लग गया।फूफाजी ने कचरे की गाड़ी भी फोन करके बुलवा ली ।फिर क्या था 2 घंटे में तो काफी दूर तक का किनारा और की गाड़ी भी फोन करक बुलवा ली। फिर क्‍या था 2 घंटे में तो काफी दूर तक किनारा और पानी साफ हो गया। सबने एक दूसर को बधाईयॉं दी। मिली और सोम को शाबाशी मिली। कल जब गेहूँ का बोरा मिलकर हमने साफ कर दिया तो आज भी हम ये कार्य मिलकर क्‍यूँ नहीं कर सकते । मिली बुआ से लिपट गई। सबने निश्‍चय किया की अब हम हर हफ्ते आयेगें और सफाई करेगें और गंदगी न हो इसके लिए लाेगों को जागरूक भी करेगें। इतनेे में छपक की आवाज आई। देखा फूफाजी ने गंगा जी में छलांक लगा दिया और मेज से तैर रहे हैं।फिर क्‍या था सबने गंगा में स्‍नान का पुण्‍य प्राप्‍त किया। काश मिलसी और सोम की तरह हम सब भी गंगा काे संरक्षित करें और अपनी गंगा संस्‍कृति को निरंतन आगे बढ़ाए।

नवनीता पांडेय
विदिशा मध्यप्रदेश
9174127417

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