Breaking News

सीमा रानी का गंगा पर संस्‍मरण

बात करीब सात साल पहले की है। गंगा दशहरा का दिन था और हरिद्वार में अद्भुत श्रद्धा और उत्साह का माहौल था। लोग दूर-दूर से पवित्र गंगा में स्नान करने और अपने पापों का प्रायश्चित करने आए थे। मैं भी अपने परिवार के साथ इस पवित्र पर्व पर हरिद्वार पहुंची थी। सुबह का समय था, सूरज की किरणें धीरे-धीरे गंगा के पानी में चमक रही थीं। हम सबने गंगा के तट पर पूजा-अर्चना की और फिर स्नान करने के लिए पानी में उतर गए। गंगा का पानी ठंडा और स्वच्छ था, जिससे मन में असीम शांति का अनुभव हो रहा था।
मैं धीरे-धीरे गहरे पानी की ओर बढ़ रही थी कि अचानक मेरा पैर एक पत्थर पर फिसल गया। मैं संतुलन खो बैठी और पानी की तेज धारा में बहने लगी। मुझे ऐसा लगा जैसे गंगा माता की गोद में समा गई हूँ, लेकिन स्थिति खतरनाक थी। पानी की तेज धारा मुझे बहा ले जा रही थी और मैं डूबने लगी।
उस समय मेरे मन में डर और घबराहट का भाव था। मैंने मदद के लिए चिल्लाना शुरू किया, लेकिन मेरी आवाज गंगा के शोर में दब गई।तभी कुछ लोगों ने मुझे देखा और मेरी मदद के लिए दौड़े। कुछ ने हाथ पकड़ने की कोशिश की, जबकि कुछ ने रस्सी फेंकी।अंततः कई प्रयासों के बाद, उन्होंने मुझे सुरक्षित बाहर खींच लिया।मैं हांफ रही थी और मेरे शरीर में कंपन हो रहा था,बहुत ढ़ेर सारा पानी भी मैने पी लिया था। लेकिन मैं सुरक्षित थी। आसपास के लोगों ने मुझे सांत्वना दी और कहा कि गंगा माँ की कृपा से मैं बच गई हूँ। मेरे परिवार ने मुझे गले लगाया और घबराहट के मारे मैं रोने लगी। यह घटना मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण क्षण बन गई।
इस घटना ने मुझे सिखाया कि जीवन कितना अनमोल है और किसी भी परिस्थिति में हमें धैर्य और साहस नहीं खोना चाहिए। साथ ही, यह भी एहसास हुआ कि ईश्वर और मानवता की शक्ति मिलकर हमें किसी भी संकट से निकाल सकते हैं। गंगा दशहरा का वह दिन, मेरे लिए सच्चे अर्थों में गंगा माँ का आशीर्वाद बन गया।
सीमा रानी
पटना

About sahityasaroj1@gmail.com

Check Also

अहिल्याबाई होलकर एक अद्वितीय प्रतिभा की साम्राज्ञी- डॉ शीला शर्मा

अहिल्याबाई होलकर एक अद्वितीय प्रतिभा की साम्राज्ञी- डॉ शीला शर्मा

बहुत कम लोग ऐसे होते है जो स्थान और समय की सीमाओं को तोड़ , …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *