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मथुरा यात्रा वृत्तांत

वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के राज्य स्तरीय प्रतिनिधि सम्मेलन मथुरा की यात्रा काफी सुखद रही। यूनियन की जिला ईकाई के जिला अध्यक्ष आदरणीय पद्माकर पाण्डेय जी के नेतृत्व में यूनियन से संबद्ध जनपद के करीब डेढ़ दर्जन पत्रकारों का शिष्टमंडल विशिष्ट प्रतिनिधि सम्मेलन में शिरकत करने मथुरा वाया कोटा सुपर फास्ट ट्रेन से 18सितंबर023को वाराणसी कैंट स्टेशन से रवाना हुआ। ट्रेन यात्रा के दौरान मुझे छोड़कर बाक़ी मेरे साथ के चार मित्र(श्री सतीश जायसवाल जी [जखनियां ],श्री अशोक कुशवाहा जी[देवकली],भुवन जायसवाल जी[दुल्लहपुर]और नरेन्द्र कुमार मौर्य जी[देवकली]जो वाकई शुद्ध पत्रकारिता के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। मुझे छोड़कर सभी लोग अपने-अपने घर से बनवाकर लाजबाव व्यंजन संग स्वादिष्ट पकवान भी साथ लाए हुए थे।
जो बगैर लहसुन प्याज से बने थे। पूड़ी सब्जी रोटी अचार चटनी के आलावा गोझिया और गुलगुला तो मानो यात्रा का जायका ही बना दिया था। आवश्यकता से अधिक होने के कारण अन्य डिब्बों में बैठे आदरणीय अध्यक्ष पद्माकर पाण्डेय जी, विजय कुमार यादव मधुरेश जी एवं सह पत्रकार मित्रों ने भी स्वाद चखा। बहरहाल अगले दिन यानि 19सितंबर023को सुबह करीब साढ़े सात बजे हम लोग मथुरा कैंट पहुंच गए।
जहां कार्यक्रम आयोजक मंडल द्वारा सुलभ कराया गया वाहन पहले से उपलब्ध था। जिसमें सवार होकर हम सब वृन्दावन धाम पहुंचे। कार्यक्रम का आयोजन मां ज्वाला धाम श्रीकृष्णा आश्रम में होना तय हुआ था।ससमय हम सबने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इसके बाद पहले से बुक ठहराव कक्ष की चाभी हमलोगों के हाथ में सौंप दी गई।हम एक साथ के छःलोग तीन तीन की संख्या में 12और 13नं० के सटे दो कमरों में सुनिश्चित हो गए।कमरा नंबर 12में हमारे साथ भुवन जायसवाल और बाहरी बाहर फरीदाबाद से आए साथ के मित्र रमेश यादव शिफ्ट हुए। जबकि कमरा नंबर 13मे अशोक कुशवाहा जी सतीश जायसवाल जी और नरेन्द्र कुमार मौर्य जी शिफ्ट हुए।बाकी के साथी पत्रकार कमरा नंबर 9,10,11मे शिफ्ट हुए।उपलब्ध कमरों में समुचित संसाधन सुलभ थे। परंतु नल का खारा पानी मन योग्य नहीं था।जिसके बदले आरो का जल ग्रहण करना हम सब की विवशता थी।खैर! मध्याह्न का चाय और नास्ता लिया गया। भरपूर समय मिलने के चलते हमलोगों ने धार्मिक स्थल भ्रमण करने का निश्चय किया।यह भी निश्चय हुआ कि एक ऐसा साधन सुलभ हो जो हम लोगों को एक साथ कई धार्मिक स्थलों का दर्शन करवा सके।कई वाहन चालकों ने प्रस्ताव स्वीकार तो किया परंतु मुंह मांगा किराया हम लोगों को रास नहीं आया। संयोगवश एक टेंपो चालक ने हम सबके प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार करते हुए नौ सौ पच्चास रूपए में घुमाने का अपना आखिरी निर्णय सुनाया।जिसको हम लोगों ने भी स्वीकार कर लिया।इस लिए कि दूरी अधिक और किराया कम ले रहा था। घूमने के क्रम में गोकुलधाम गोवर्धन बरसाना आदि शामिल था। सबसे पहले गोकुल पहुंचने पर एक पाखंडी जिद्दी और ऐंठोर व्यक्ति से पाला पड़ा।वह जबरन घुमाने के नाम पर पैसा की वसूली करना चाहता था।जो हम लोगों के मर्यादा के विपरित था।जब उसने हम लोगों के गले में लटका प्रेस कार्ड देखा तो मिमियाने लगा और स्वेच्छा से कुछ देने का आग्रह पूर्ण निवेदन करने लगा।कुछ द्रव्य देकर हम लोग मंदिर के उस गर्भ गृह में प्रवेश किए जहां माता यशोदा श्रीकृष्ण के बालपन का दर्शन करते हुए पालने में झुलाकर अति आनंद की अनुभूति किया करती‌ थीं।हम सबने भी श्रीकृष्ण की प्रतिकात्मक मूर्ति को पालने में झुलाया और दान स्वरूप कुछ द्रव्य दानकोष में डाला। गोबर्धन का दर्शन करते हुए यमुना हाईवे से सटे शुद्ध शाकाहारी भोज्य के प्रचारक मानवतावादी दृष्टिकोण के पोषक बाबा जयगुरूदेव जी का ज्ञान धर्मस्थल देखा गया। शांति और सुकून का पर्याय धर्मशाला अपने आप में अद्वितीय था। तब-तक चमकता सूरज अपनी लालिमा समेट कर संध्या परी को उतार चुका था।मंद गति से रात का आगमन जारी था।इसी बीच लंबी दूरी तय कर हम लोग बरसाना पहुंचे। करीब डेढ़ दो किलोमीटर पैदल यात्रा करके राधा रानी मंदिर पहुंचे। चढ़ती रात के अंधेरे में जगमगाती इलेक्ट्रॉनिक रोशनी के बीच नहाता राधा रानी का दिव्य धाम तकरीबन अढ़ाई सौ सीढ़ियों के उपर था। जहां हम सबने चढकर थकावट का अहसास किया। मंदिर से संबद्ध लोगों ने बताया कि श्रीकृष्ण के प्रेम में दीवानी राधा संग गोपियों को ज्ञान का उपदेश देने ऊधौजी मथुरा से यहां आए थे। यहां ऊधौ के ज्ञान गर्व पर राधा और गोपियों का प्रेम माधुर्य भारी पड़ा।और ऊधौजी खुद प्रेम रस में डूब गए। दर्शन उपरांत बाहर आकर हम सबने लस्सी और मट्ठा का आनंद उठाया। तत्पश्चात विश्राम स्थल को प्रस्थान किया गया। रास्ते में भयंकर सड़क दुर्घटना के चलते आवागमन बंद था। सड़क जाम थी।और ‌‌चारो तरफ पुलिस डंडा भांजती नजर आरही थी। टैंपो में सवार पत्रकार साथियों ने नि: संकोच निरडता पूर्वक अपना परिचय देकर जाम से निकलने के वास्ते पुलिस के बड़े अधिकारी से कहा। बिना देर किए उन्होंने सम्मान पूर्वक पत्रकारों के टैंपो को निकालने के लिए अपने मातहत पुलिस कर्मियों से कहा।इस प्रकार हम लोग सुरक्षित अपने विश्राम स्थल को पहुंचे। टैंपो चालक को उसके मुंह मांगा किराया के अलावा सौ रुपए बख्शीश के तौर पर देकर धन्यवाद के साथ छोड़ा गया।समय से रात का भोजन ग्रहण करने के बाद अपने अपने कक्ष में चले गए। अगले दिन मुख मंजन स्नान ध्यान से निवृत्त होकर चाय नाश्ता लिए दोपहर का‌ भोजन भी ग्रहण किए।फिर शुरू हुआ। आयोजित कार्यक्रम का सिलसिला। सुसज्जित बड़े मंच पर आसीन मंचासीन अतिथि गण तीन सौ कुर्सियों की शोभा बढ़ा रहे सूबे के हर जनपद से आए यूनियन के पत्रकार साथियों के बीच मंच संचालक की गूंजती आवाज कार्यक्रम को गति प्रदान कर रही थी। अवसर मिलने पर गाजीपुर के जिलाध्यक्ष पद्माकर पाण्डेय सहित पत्रकार विजय कुमार यादव मधुरेश गौरीशंकर पाण्डेय सरस आदि ने भी अपनी रचनाओं के माध्यम से अपने विचारों को व्यक्त किया। जिसपर उपस्थित पत्रकारों ने तालियां बजाकर समर्थन और अपना आशीर्वाद दिया।

फिर मंच पर प्रारंभ हुआ मुख्य अतिथि के सम्मान का सिलसिला। अपने अनोखे और आकर्षक अंदाज में गाजीपुर के पत्रकारों ने मुख्य अतिथि परिवहन राज्यमंत्री आदरणीय दयाशंकर सिंह जी का स्वागत सम्मान कर चर्चा में छा गए। सम्मान के इसी कड़ी में हमारे बीच के पत्रकार साथी भुवन जायसवाल जी का मंच से उतरते समय पैर फिसल जाने के कारण पैर में मोच आ गई। पहले तो दर्द का आभास नहीं हुआ लेकिन ढलती शाम को मथुरा श्रीकृष्ण जन्मस्थली से लौटकर आने पर असहनीय दर्द का अहसास होने लगा। लेकिन रात का वक्त और अपरिचित ईलाका होने के चलते हम दोनों शिथिल होगए और सुबह होने का इंतजार करने लगे।इसी बीच हमारे ही साथ के बग़ल के कमरे में मौजूद तीन पत्रकारों में से एक पत्रकार साथी नरेन्द्र कुमार मौर्य जी ने जो मानवीय आत्मीयता का परिचय दिया वाकई काबिले तारीफ था।एक आदमी की परेशानी के चलते साथ के सभी लोगों को परेशान होते देख बिना बताए आश्रम के मुख्य द्वार पर जाकर मुख्य द्वार रक्षक से अपनी बात बताकर बाहर दवा लेने के लिए साथ चलने का आग्रह किया।उस वक्त रात के करीब साढ़े दस ग्यारह बज रहे थे। सभी दुकानें बंद हो चुकी थी और इलाका सूनापन का आभास करा रहा था। कोई जाने को तैयार नहीं हो रहा था। नरेंद्र ने कहा आप चलिए हमारे साथ दवा की दुकान खुली रहेगी तो दवा ले ली जाएगी नहीं तो खाली हाथ लौटकर आने पर भी आपको हम पच्चास रूपए अतिरिक्त देंगे।इस बात पर वह‌ तैयार हो गया। दुर्भाग्यवश दुकान बंद तो थी मगर किसी तरह निवेदन कर खुलवा कर दर्द की दवा गर्म पट्टी और स्प्रे लेकर आया। जिसके इस्तेमाल से सुबह तक सारी तकलीफ छूमंतर हो गई। हालांकि दवा का सारा खर्च भुवन जायसवाल ने व्यय कर‌ दिया।और हृदयात्मक धन्यवाद देते हुए कहा कि लंबी यात्रा के दौरान ऐसे ही आत्मीयता दिखाने वाले दिलेर सहयात्री की करनी हमेशा याद आती रहेगी। मथुरा यात्रा के दौरान हमारे टीम लीडर के रूप में आदरणीय अशोक कुशवाहा (अशोक भईया) हमेशा याद किए जाएंगे। उन्होंने धार्मिक स्थलों के दर्शनार्थ यात्रा वाहन खर्च से लेकर जलपान और भोजन तक का खर्च खुलकर किया।जिसका सहभागी हम सभी मित्रों ने सब खर्च जोड़ कर बाद में सहर्ष चुकता किया।ट्रेन से यात्रा के समय रेल विभाग ने हम पत्रकारों के सम्मान का खासा ख्याल रखा। मथुरा कैंट स्टेशन पर सात आठ घंटे का समय व्यतीत करने के वास्ते सम्मान पूर्वक अतिथि कक्ष उपलब्ध कराना रेलवे विभाग की पत्रकारों के साथ मधुर संबंध का पर्याय रहा।ट्रेन में यात्रा करते समय टिकट कलेक्टरों ने भी काफी तवज्जो दिया। रास्ते भर आदरणीय भैया सतीश जायसवाल जी का आदर और स्नेहिल स्वभाव जहां बांधे रखा, वहीं हास्य चुटकुले और गुढ रहस्यमय वार्ताएं काफी मनोरंजक और विचारणीय रहे।
गौरीशंकर पाण्डेय सरस

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