कहानी संख्या 10 गोपालराम गहमरी कहानी लेखन प्रतियोगिता -2024
“कतनी दफा तुमसे कहेन कि बरसाती जूता लाए देओ मुला तुम का तो……” संतराम ने अपने बेटे मनीराम को ताना मारने के अंदाज में कहा तो मनी बिफर पड़ा, “हां हां तुम तो जैसे हम का खजाना दई दिए हो, कहां से लाई जूता l धान की लगउनी मा जउन रुपया मिले रहे वह तो सार बाल्दा की छप्पर छवाए मा लग गए l” संतराम जानता था कि मनी दिन रात की हाड़- तोड़ मेहनत के बाद भी इतना ही कर पाता है कि दो जून की रोटी मिल जाती, कभी-कभी तो उसके भी लाले पड़ जाते है lदो बरस पहले ऐसी स्थिति नहीं थी, खेती में इतना धान तो उग ही जाता था कि साल भर का इंतजाम हो जाता था और थोड़ा बहुत बचत भी हो जाती थी l संतराम को जब से लकवा मार गया, खेती किसानी तो ठप हो ही गई खेतों से भी हाथ धोना पड़ा l जब तक लाजो जीवित रही उसने खेत नहीं बिकने दिए l वह हमेशा यही कहा करती कि, “अरे ! ई खेत हमार अन्नदाता है हमार भगवान हैं l” अपने छुटके को बचाने में उसने अपना एकमात्र गहना अपनी हंसुली भी बेच दी थी l मगर खेत ना बिकने दिया l संतराम ने जब लाजो से कहा, “हम तुम्हरे लिए कबहु कुछ ना कर पाए ऊपर से या गहना जेवर यहू हम ले लिएन l” लाजो ने उत्तर दिया, “अरे का बात करत हो, हमार लड़कवा हमार जेवर गहना है l ऊपरवाला हमका ई दुई अनमोल रतन दिहिस है l हमार छुटकऊ ठीक हो जइहै तो तुम हमका हंसुली के साथ-साथ पाजेब बनवाए दिहैओ l” मनीराम का एक पांव पहले से ही पोलियो ग्रस्त था l अब छुटकऊ को भी डॉक्टर ने बताया था कि इस के दिल में छेद है l अगर ऑपरेशन समय पर नहीं हुआ तो उसे बचाना मुश्किल हो जाएगा l कहते हैं ना कि गरीबी सबसे बड़ी बीमारी है l छुटकऊ दिल की बीमारी से तो बच जाता मगर गरीबी से उसे कौन बचा सकता था ? गरीब इंसान के लिए इलाज करवाना आसान नहीं होता l
अभी छुटकऊ की मौत से उबर भी न पाए थे कि लाजो को पीलिया हो गया l बेटे का गम, गरीबी और बीमारी ने लाजो की भी जान ले ली l घर में लकवा- ग्रस्त संतराम और मनीराम इस गरीबी और बेचारगी से लड़ने के लिए रह गए l खेत के नाम पर बस एक नहर के पास वाला छोटा सा टुकड़ा ही बचा रह गया था l कहने को नहर के पास था, मगर सिंचाई के लिए बारिश की बाट जोहने के अलावा और कोई रास्ता भी ना था l नहर ठाकुर की थी और बिना पैसा कौड़ी लिए ठाकुर एक बूंद पानी भी ना देता l जैसे तैसे बस इसी जमीन के सहारे दिन कट रहे थे l दूसरे किसानों की तरह दोनों बाप बेटे को ताड़ी या ठर्रा पीने की लत नहीं थी इसलिए भूखों मरने की नौबत अभी नहीं आई थी lहरिया कई दफा मनी को ठेके पर ले जाने की कोशिश कर चुका था l मगर मनी को अपनी अम्मा की सौगंध याद आ जाती, “बिटवा ई जहर का कभी हाथ ना लगाना l ई आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन है l” कभी-कभी तो उसका मन करता कि जब अम्मा ही नहीं रही तो उनकी सौगंध का क्या ? मगर बापू की लाचारी और बेचारगी देखकर उसके कदम वहीं रुक जाते थे l हरिया रात को जब रोज पीकर घर में बमकता तो उसे बहुत गुस्सा भी आता और तरस भी l हरिया भी क्या करें ? नौ लोगों का परिवार और कमाने वाले केवल हरिया और सुरमा ऊपर से बीमारी अजारी अलग से l जब काम मिल जाता तो मजदूरी के पैसे से किसी तरह दिन कट जाते थे, मगर जब काम ना मिलता तो कभी-कभी भूखे रहने की भी नौबत आ जाती थी l
इस बरस मनीराम ने दूसरों के खेत में कटाई का काम करके सात सौ रुपए जोड़ लिए थे l उसे यकीन था कि इस बार बापू के बरसाती जूते और अपने लिए एक कंबल ले लेगा l जिससे सर्दी में रात भर अलाव के सामने नहीं बैठना पड़ेगा l पिछले बरस तो फसल में कीट-पतंगे ऐसे लगे कि खड़ी फसल बर्बाद हो गई l बचत तो दूर, दो जून का खाना भी बड़ी मुश्किल से मिलता lरोटी बना कर रख दी थी l लहसुन की चटनी पीस कर बापू को थाली पकड़ा दी l मनी लोटे में पानी रखकर अपने लिए भी थाली ले आया l बापू खा कर सो गया l आज फिर मनीराम दर्द से करवट बदल रहा था l जब भी उसे ज्यादा काम करना पड़ता उसके पैर का दर्द उसे रात भर सोने ना देता था lचीख-पुकार सुनकर मनी हरिया के घर की तरफ भागा l एक तरफ सुरमा के मुंह से झाग निकल रहा था, हाथ पैर अकड़े हुए थे और सांस धोकनी की तरह चल रही थी, दूसरी तरफ हरिया की l सुरमा को एक उल्टी आई और उसके प्राण पखेरू उड़ गए l चीख की आवाजे आसमान को चीर रही थी l उसने बढ़कर हरिया की नब्ज देखी l उसकी नब्ज अभी चल रही थी l
अस्पताल में बहुत भीड़ थी l जहरीली शराब पीने के कारण बहुत से लोगों को अस्पताल लाया गया था l मनीराम हरिया का कभी हाथ रगड़ता कभी पैर l डॉक्टर ने पर्ची उसके हाथ में पकड़ाते हुए कहा अगर यह दवाईयां तुरंत ना मिली तो हरिया का बचना नामुमकिन है l मनीराम भाग कर घर आया l गेहूं के कनस्टर से रुपया निकल कर अस्पताल पहुंचा lदवाईयां देकर मनीराम बाहर आ गया l उसके सामने बापू का चेहरा घूम रहा था l बार-बार यही शब्द कानों में गूंज रहे थे, कतनी दफा तुमसे कहेन कि बरसाती जूता लाए देओ मुला तुमका तो………….
शालिनी राय निगम,कानपुर, उत्तर प्रदेश,9335838219