कहानी संख्या – 12 गोपालराम गहमरी कहानी प्रतियोगिता 2024 हेतु,
लवलीन एक बहुत सूलझी हुई लड़की थी पढ़ाई में भी बहुत होशियार थी। अपने परिवार में अकेली बेटी थी इसीलिए सब की लाडली प्यार से सब उसे लवली कहते थे। लवली ने मेहनत कर पी.एच.डी कर ली और जल्दी ही उसे कॉलेज में लेक्चरर की नौकरी मिल गई। घर में सब बहुत खुश थे। जिंदगी हंसी खुशी बीत रही थी लवली के लिए जल्दी ही शादी के रिश्ते आने लगे, लेकिन वह नौकरी करते हुए आगे और पढ़ना चाहती थी।परिवार ने उसकी इस बात की कद्र करी। लवली ने समय निकाल मास्टर्स की पढ़ाई शुरू कर दी लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। अचानक उसके पिता जी की तबीयत खराब रहने लगी टेस्ट कराने पर पता चला उन्हें ब्लड कैंसर है।
परिवार में चिंता की लहर दौड़ गई। डॉ ने कहा लास्ट स्टेज है अब इसका कोई इलाज नहीं, आप इन्हें घर पर ही रखें और देखभाल करें जितना समय वह आराम से निकाल सकें। उसके पापा की देखभाल के साथ ही सभी लवली की शादी पर जोर देने लगे। उसके पापा ज्यादा चिंता करते कि कल को मुझे कुछ हो गया तो मेरी बेटी का क्या होगा। समय निकलता जा रहा था, उन्होंने लवली को शादी करने पर जोर दिया वह परिवार की परेशानियों को अच्छी तरह समझ रही थी, इसलिए ना चाहते हुए भी उसने हां कर दी, मां उसे गले लगा रोने लगी। जल्दी ही उसके लिए रिश्ते देखे जाने लगे और अच्छा रिश्ता मिलने पर बात आगे बढ़ी कि लड़का स्मार्ट है अच्छी कंपनी में काम करता है घर परिवार भी अच्छा है। लड़के वाले बोले की बहू नौकरी करना चाहेगी यां आगे पढ़ना चाहेगी तो कर सकती है हमें कोई दिक्कत नहीं। लवली के पापा की तबीयत दिन पर दिन ढीली होती जा रही थी, इसीलिए उन्होंने ज्यादा छानबीन करे बिना उसकी शादी पक्की कर दी। कुछ ही दिनों में शादी भी अच्छे से हो गई और लवली ससुराल चली गई, उसका ससुराल काफी दूर आठ-दस घंटे का रास्ता था। वो चाह कर भी अपने पीहर जल्दी-जल्दी नहीं आ सकती थी।लवली को कुछ दिन तो सब ठीक लगा पर कई बातें वह समझ नहीं पा रही थी, लेकिन महसूस कर रही थी। सोचा नई जगह है नया परिवार धीरे-धीरे स
ब ठीक हो जाएगा। लेकिन लवली सोचने पर मजबूर हो गई कि जब से उसकी शादी हुई है उसका पति उसके नजदीक ही नहीं आता कोई ना कोई बहाना बना कर सो जाता। मन ही मन बहुत दुखी रहने लगी और सोचती कि ऐसी क्या बात है की हमारी नई-नई शादी हुई है और विवेक है कि ना तो मुझे समय देता है ना ही हमारे संबंध बने हैं आखिर क्या बात है ऐसा क्यों? अगर वह उससे बात करना चाहती है इस बारे में तो विवेक टाल जाता है। उधर उसके पापा की तबीयत बिगड़ती जा रही थी। इसलिए वह अपने पीहर में भी अपना दुख नहीं बांट सकती थी। कुछ दिनों से लवली महसूस कर रही थी उसके पति विवेक का एक दोस्त हर तीसरे-चौथे दिन आता है तब विवेक बड़ा खुश दिखाई देता है दोनों दोस्त दो-दो घंटे भी कमरे में अकेले रहते हैं।
उसे बड़ा अजीब लगता। धीरे धीरे उसे उनके रिश्तों के बारे में समझ आने लगी। क्योंकि ऐसी बातें और किस्से वह पढ़ और सुन चुकी थी जैसा कि आजकल चलन में है। लवली मन ही मन परेशान होने लगी अब तो परेशानी चेहरे पर भी झलकने लगी थी। वैसे लवली की सास भी समझदार और सुलझी हुई औरत थी। उन्होंने एक दो बार लवली से पूछा की, क्या बात है बेटी खुश तो हो ना उसने कहा हां मां।लेकिन लवली ने जल्दी ही विवेक और उसके दोस्त के रिश्ते को महसूस किया वह बहुत ही धैर्यवान थी उसने काफी सोचा और एक दिन अपनी सास के पास जाकर आराम से सारी बात बताई। वो सब सुनकर विवेक की मां अचंभित रह गईं और अपने बेटे पर गुस्सा भी बहुत आया। उन्होंने लवली को प्यार से गले लगाया और बड़ा दुख व्यक्त किया और कहा बेटी हमें इस बारे में बिल्कुल भी इल्म नहीं था, नहीं तो हम तुम्हारी जिंदगी कभी बर्बाद ना होने देते। लवली की सास के माथे पर चिंता की लकीरें थी, उन्होंने कहा बेटी तुम फिक्र ना करो अब हमें ही कोई ठोस कदम उठाना पड़ेगा तुम्हारी जिंदगी संवारने के लिए और लवली को गले लगा लिया।
रात को उन्होंने विवेक के पापा को जब सारी बात बताई तो उन्हें बहुत बुरा लगा और गुस्सा आया कि विवेक ने इतनी बड़ी बात हमसे छुपाई, अगर पहले बता दिया होता तो हम ये अनर्थ हरगिज़ ना होने देते। उन्होंने अपने बेटे को काफी समझाने कि कोशिश की उसे उसकी जिंदगी का वास्ता दिया और बोले अगर तुम्हारे में इतनी बड़ी कमी थी तो हमें पहले क्यों नहीं बताया,तुमने शादी के लिए हां क्यों भरी क्यों उस बहु की जिंदगी खराब कर दी,लेकिन विवेक किसी तरह भी मानने को तैयार नहीं हुआ। तब उन्होंने बहुत सोच विचार कर लवली से बात करी बोले बेटा हमें विवेक ने तुम्हारे आगे शर्मसार कर दिया है उसे भी समझाना मुश्किल हो रहा था क्योंकि उसके लिए कोई भी फैसला लेना बहुत मुश्किल था।
अचानक दो दिन बाद लवली के पीहर से खबर आई उसके पापा नहीं रहे तो वो बहुत रोई लेकिन उसने बहुत समझदारी से काम लिया। उसने अपनी मां को भी इस बारे में कुछ नहीं बताया क्योंकि वो पहले ही बहुत दुखी थीं। लवली को उसके सास-ससुर ने बड़े प्यार से समझाया अब तुम हमारी बहु नहीं बेटी हो। यह हमारा फर्ज है कि हम तुम्हें वह सब खुशियां दें जिसकी तुम असली हकदार हो। बेटी तुम चाहो तो नौकरी कर सकती हो, आगे पढ़ सकती हो और जब भी तुम अपने को ठीक महसूस करो और तुम्हारा मन माने तो हमें जरूर और जल्दी बताना। इस बार अच्छे से छानबीन करके हम तुम्हारा कन्यादान करेंगे की तुम्हारी आगे की जिंदगी खुशियों भरी हो। लवली ये सुनकर अपने सास-ससुर को मां-पापा कह कर उनके गले लग गई।
रमा भाटी,जयपुर,राजस्थान 9928611164.