कहानी संख्या -19,गोपालराम गहमरी कहानी प्रतियोगिता -2024,
तनीषा बहुत घबराई हुई अपनी सासु मां वीणा को फोन लगाती है। तभी उधर से आवाज आती है,”हेलो, हां तनीषा बेटा बोलो।”तनीषा बोली,”हेलो,हेलो, हेलो, मां जी।”सासु मां ने कहा,”क्या हुआ तनीषा तुम इतनी घबराई हुई क्यों हो।””हेलो मां मेरा और निशांत का एक्सीडेंट हो गया है और हम हॉस्पिटल में है। डॉक्टर ने इनकी हालत गंभीर बताई है।”तनीषा यह कहते हुए रोने लगती है।वीणा घबरा जाती है, लेकिन बहू को धैर्य रखने के लिए बोलती है और कहती है “बेटा तू परेशान मत हो सब ठीक हो जाएगा। हम सब जल्दी ही आ रहे हैं तुम उस हॉस्पिटल की लोकेशन भेज दो।”तनीषा बोली, “ठीक है मां जी, जल्दी आना”।तनीषा लोकेशन भेज देती है आधे घंटे में ही वे सब हॉस्पिटल में पहुंच जाते हैं। और डॉक्टर से बात करते हैं।डॉक्टर कहता है,”इनका खून बहुत ज्यादा बह गया है, इनकी कंडीशन खराब है, कुछ भी हो सकता है,बस आप दुआ कीजिए।”वीणा अपने बेटे की खराब हालत देखकर रोने लगती है।
तनीषा की शादी को अभी दो ही साल हुए थे तनीषा और निशांत दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे। लेकिन कभी-कभी नियति को जो मंजूर होता है वही होता है और हम उसको रोक नहीं सकते हैं।तनीषा का पति उसको छोड़कर इस दुनिया से चला जाता है और वह अकेली रह जाती है।तब तनीषा बहुत उदास रहने लगी, ना हंसती,ना बोलती। सारे दिन निशान्त की यादों में खोई रहती। उसको अपने खाने-पीने की भी सुध बुध नहीं रही। वीना दूसरी सांसुओ की तरह सास नहीं थी। वह तनीषा को अपनी बेटी की तरह प्यार करती थी। वीणा तनीषा की कंडीशन देखकर बहुत परेशान होती और मन ही मन बहुत रोती। वह हरपल यहीं सोचती रहती,” कि मैं अपनी बहू को कैसे ठीक करूं,क्या करूं जिससे इसका दुख कम हो जाए।”तभी उसके मन में विचार आता है, “कि यदि तनीषा की दूसरी शादी करा दी जाएं, तो कुछ समय बाद वह इस दुख से निकल सकती है।”परंतु सब घरवालों को इस बात के लिए कैसे राजी करें। उसकी सास और परिवार वाले सब पुराने विचारों के हैं। वीणा हिम्मत करके एक दिन अपने पति से बात करती है तो वह कहते हैं, “वीणा क्या हो गया तुम्हें, तुम्हारा दिमाग खराब हो गया क्या, दुनिया वाले क्या कहेंगे, और हम कैसे रहेंगे, हमें भी तो उसके अलावा कोई और नजर नहीं आता।”
तब वीणा अपने पति को समझाती है,”देखो अभी तनीषा की पूरी जिंदगी पड़ी है, हमारा क्या है हम तो एक दूसरे के सहारे दिन काट लेंगे,और तनीषा को हम अपने से दूर नहीं कर रहे हैं, उसे हम बहु से बेटी बना रहे हैं,और बेटी अपने मायके तो आती ही रहती है, जब भी हमारा मन करेगा उसको बुला लेंगे।जब वीणा प्यार से समझाती है तो उसका पति मान जाता है।अब वीणा यह बात अपने परिवार वालों के सामने रखती है, तब वीणा की सासु मां, चाची सास, ताई सास,जो की बहुत ही पुराने विचारों की है,कहती हैं,”वीणा तू पागल हो गई है,कोई विधवा की भी दोबारा शादी करते हैं क्या, तुझे दोष लगेगा, एक विधवा दोबारा से सुहागन का जोड़ा कैसे पहन सकती है।”
कोई भी वीणा की बात मानने के लिए तैयार नहीं होता। वीणा बहुत परेशान हो जाती है, और मन ही मन सोचती है, “क्या करूं, सब बड़ों को कैसे समझाऊं।”लेकिन वीणा हार नहीं मानती और रोज कोई ना कोई नया तर्क देकर उन्हें समझाने की कोशिश करती।वीणा के पड़ोस में एक लड़की किरण अपने मायके में रहने के लिए आती है जिसके पति को मरे हुए दस साल हो गए हैं।वीणा उससे उसकी जिंदगी के बारे में बातें करती है तो वह बातों ही बातों में बताती है,”कि चाची आप भाभी की दूसरी शादी कर दीजिए, अकेले रहना बहुत मुश्किल होता है,अब देखो मैं दस साल से कैसे भुगत रही हूं,अगर उस समय मेरे घरवालों ने मेरी दूसरी शादी कर दी होती तो आज मैं दर-दर की ठोकरें नहीं खाती। कुछ समय तो सब साथ देते हैं,लेकिन एक समय के बाद वह इंसान सब पर भारी पड़ने लगता है। और भाभी की उम्र ही क्या है। सारी उम्र अकेले कैसे काटेंगी।”
वीना बोली, “मैं तो कह रही हूं लेकिन घरवाले नहीं मान रहे है। सब पुराने विचारों के हैं।”किरण बोली,”चाची, आप परेशान मत होइए। दादी से मैं बात करूंगी और उन्हें अपनी स्थिति भी बताऊंगी।”अगले दिन किरण आती है और दादी से बात करती है। पहले तो दादी टस से मस नहीं होती लेकिन जब किरण उनसे कहती है,”दादी विधवा भी तो इंसान ही होती है उसके भी तो सीने में एक दिल होता है। वह किस तरह जीयेगी, इतना लंबा जीवन अकेले कैसे कटेगी।”किरण आगे कहती है,” दादी मुझे देखो इनको गए हुए दस साल हो गए और मैं इनको एक पल के लिए भी नहीं भूलती। पहले तो सब मेरा ध्यान रखते थे, लेकिन अब कोई भी ध्यान नहीं देता। लगता है जैसे सब पर मैं बोझ बन गई हूं। अगर दादी उस समय किसी ने मेरी भी शादी करा दी होती, तो आज मैं किसी के ऊपर बोझ नहीं बनती,” और कहकर रोने लगती है।
दादी को किरण की बातें चुभ जाती है और वह किरण को चुप करते हुए खुद भी रोने लगती हैं कहती है,”बेटा मुझे माफ कर दो, मैं पुराने विचारों में ही जी रही थी,” और सोचती थी कि,” विधवा होना एक कलंक की बात है, अब मैं समझी, यह तो नियति की मार है बेटा।, तूने मेरी आंखें खोल दी, नहीं तो मैं भी एक गलती कर देती और अपने बहू का जीवन हमेशा के लिए नर्क बना देती।,”दादी वीणा से कहती है,” वीणा कोई अच्छा सा लड़का देखकर तनीषा की शादी कर दो, अब वह हमारी बहू नहीं रही हमने उसे बेटी मान लिया है। जैसे बेटी अपने मायके में आती है वैसे ही हम तनीषा को बुलाया करेंगे।,”
यह सुनकर वीणा खुश हो जाती है।अब उसे इस बात के लिए तनीषा को तैयार करना है। वह तनीषा के पास जाती है और कहती है,” बेटा तुमसे कुछ बात करनी है।” तनीषा बोली ,”बोलिए ,मां जी।” वीणा बोली,” बेटा, मैं तुम्हारी दूसरी शादी कराना चाहती हूं।” तनीषा साफ मना कर देती है और रोते हुए कहती है,”मां जी, मैं ऐसा नहीं कर सकती, मेरे लिए निशांत ही सब कुछ थे।”लेकिन वीणा उसे प्यार से समझाती और रोते हुए कहती,” बेटा, जो हुआ उसे तो मैं रोक नहीं सकती थी, लेकिन अब मैं तुम्हें इस तरह दुख में नहीं देख सकती। अब तुम हमारी बहू नहीं बेटी हो और बेटियो को तो ससुराल भेजना ही पड़ता है।” इस तरह मां वीणा तनीषा को रोज समझाती , धीरे-धीरे तनीषा का मन बदल जाता है और वह शादी के लिए मान जाती है।
वीना और उसके पति एक अच्छा लड़का देखकर तनीषा की शादी कर देते हैं। तनीषा और उसका पति खुशी-खुशी रहने लगते हैं। उन दोनों को खुश देख कर वीणा भी बहुत खुश होती है। उसे अपने बेटे के जाने का गम तो है लेकिन इस बात की खुशी है कि तनीषा की जिंदगी बर्बाद होने से बच गई और वह तनीषा को एक नई जिंदगी देकर मां का फर्ज निभाने में सफल हो गई।
नीतू रवि गर्ग “कमलिनी”, चरथावल मुजफ्फरनगर उत्तरप्रदेश Mobile no 8445149545
उत्कृष्ट कथा लेखन 👏👌
आदरणीय जी बहुत-बहुत आभार 🙏🙏
बहुत सुन्दर कहानी लिखी है आपने… यह बहुत पुरानी सोच है कि विधवा पुनःअपना नया जीवन शुरु नहीं सकती… उसे भी हक है खुश रहने का… उसे भी अधिकार है प्रसन्नता से पूर्ण जीवन जीने का… साधुवाद 👏
आदरणीय भैया जी आपका हृदय तल से बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏