कहानी संख्या 45 गोपालराम गहमरी कहानी लेखन प्रतियोगिता 2024
राजेश और सीमा बहुत खुश नजर आ रहे थे | कब से उनका सपना था कि चंडीगढ़ जैसे सुंदर शहर में उनका अपना घर हो वो पूरा होने जा रहा था | राजेश अच्छी सी सोसाइटी में अपना एक फ्लैट लेना चाहता था जो सब सुविधाओं से युक्त हो लेकिन सीमा की इच्छा के आगे उसकी एक ना चली | एक कोठी जो कम दाम पर बिकाऊ थी और सीमा को बहुत पसंद थी लेनी पड़ी क्योंकि वह सीमा से प्यार जताने का कोई अवसर हाथ से जाने नहीं दे सकता था | चाहे इसके लिए उसे बैंक से लोन ही क्यों ना लेना पड़ा | आए हुए सब लोगों से घर की तारीफ़ सुनकर वह मन ही मन सीमा के फैसले को सराह रहा था | बच्चे भी यहाँ वहां दौड़ कर अपनी ख़ुशी जाहिर कर रहे थे |
रात तक दोनों बहुत थक गए | दो चार दिन ऐसे ही निकल गए घर को सेट करते करते | रविवार का दिन होने के कारण दोनों लॉन में बैठे चाय की चुस्किया ले रहे थे और ऑफिस जाने की योजना बना रहे थे | तभी घर का गेट खुला और एक अधेड़ औरत बड़ा सा बैग उठाए घर की और दाखिल हुई और बिना उन्हें देखे कोठी में बने गेस्ट बेडरूम की और चल दी | सीमा और राजेश दोनों ने एक साथ आवाज दी , “ आंटी, आप कहाँ जा रही है , कौन है आप ? कहाँ से आई है ?” और यही सवाल मैं तुमसे पुछू तो , वह औरत पलटी | जानती हूँ तुम जरुर मेरे घर के नए किराएदार हो मेरे बेटे ने बताया था | विदेश जाने से पहले उसने ये घर किराए पर दे दिया था ताकि मुझे हर महीने खर्चा मिलता रहे | कोई बात नहीं बेटा तुमने सारे घर का किराया दिया होगा मै तो अपने कमरे में ही अकेले रह लुंगी | तुम्हे कोई परेशानी नहीं होगी | ऐसा कहकर वो अपने कमरे की ओर बढ़ गयी |
सीमा और राजेश को अब ध्यान आया कि उन्होंने बाकी घर सेट करने के चक्कर में उस कमरे को लगे ताले की ओर ध्यान ही नहीं दिया | कम दाम में इतना अच्छा घर मिल गया | पहले पैसे के इंतजाम में फिर शिफ्ट करने में साइड में बने कमरे और उसमे लगे ताले की चाबी कहाँ है और ताला क्यों है इतनी बात तो दिमाग में आई ही नहीं | दोनों असमंजस की सी स्थिति में बैठे थे कि रिया और बिन्नी की हंसने की आवाज कानों में पड़ी दोनों कमरे के बाहर खड़ी खिलखिला रही थी और शायद उनके हाथ में खाने के लिए भी कुछ था |
दोनों उस कमरे की ओर चले देखा आंटी बड़े प्यार से बच्चों से बात कर रही थी | वे दोनों भी बात करने लगे बेटे के बारे में पूछने पर पता चला कि घर उनके नाम है बस चार महीने पहले किराएदार को घर देना है ऐसा कहकर बेटे ने उससे किसी कागज पर साईन करवाए थे | दो महीने हुए बेटा विदेश चला गया और उसने जरुरत का सामान इस कमरे में रख लिया घर की चाबी प्रोपर्टी डीलर को देकर वह अपने मायके गॉव चली गयी | भाई के घर पोता हुआ था इसलिए बहुत से दिनों के लिए वहीँ रह गयी | आंटी को बड़ी हैरानी हो रही थी ये लोग क्यों सवाल कर रहे है और राजेश ये सोच रहा था कि वो आंटी को सच्चाई कैसे बताएं | राजेश और सीमा अपने कमरे में आ गए दोनों हैरान और परेशान क्या करे | सीमा के कहने पर राजेश ने प्रॉपर्टी डीलर को फ़ोन लगाया पर उसका जवाब था , “ अरे , वो बुढ़िया तुम्हारा क्या बिगाड़ लेगी , कहो तो दो चार गुंडों को भेज देता हूँ , निकाल बाहर करेंगे , जब उसके बेटे ने उसके बारे में नहीं सोचा तो तुम क्यों दिमाग ख़राब करते हो |” प्रॉपर्टी डीलर ने तो फ़ोन काट दिया राजेश माथा पकड़ कर बैठ गया , वो तो सोच भी नहीं सकता कि इतनी बुजुर्ग औरत को कैसे बाहर निकाले , वो कहाँ जाएगी | सीमा ने कहा , आज उन्हें वहीँ रहने देते है कल सोचेंगे |
अगले दिन ऑफिस जाते हुए सीमा कुछ निश्चिंत सी थी उसे लगा बच्चे तो अकेलापन महसूस नहीं करेंगे | दोनों ने फैसला किया कि अगर बुढ़िया अपने कमरे में रहे ही जाए तो उन्हें क्या | धीरे धीरे वो घर का हिस्सा बनती गयी | बच्चे न जाने कब आंटी से बीजी बोलने लगे | सीमा उनके हवाले घर छोड़कर आराम से ऑफिस जाती | हाँ कभी कभी बुढ़िया अपने बेटे को याद करती और रोती तो उन्हें संभालना मुश्किल हो जाता | दोनों ने कभी बताने की कोशिश भी नहीं की कि यह घर बिक चुका है |
वक़्त बीतता गया दस साल हो गए सीमा और राजेश को इस घर मे आये हुए अब बुढ़िया ने बेटे के लिए रोना छोड़ दिया था या शायद वो समझ गई थी | कब वो पुरे घर की बीजी बन गई और घर का अभिन्न अंग भी | सीमा के ऑफिस जाने के बाद वो बच्चों का खाना बना देती उनका ध्यान रखती | सीमा भी उसे कभी अलग खाना नहीं बनाने देती थी | जैसे जैसे उनकी उम्र बढ़ती जा रही थी उन्होंने अपना ध्यान पूजा पाठ में लगा लिया था | पहले तो बच्चों के साथ हंसती बोलती रहती थी पर अब बच्चे बड़े हो गए थे तो उनका ध्यान भी पढाई की और लग गया था |
पहले कभी कभार उसके मायके से कोई आ जाता था लेकिन बेटे की सच्चाई सामने आने के बाद एक एक करके सब रिश्तेदार भी मुंह मोड़ने लगे कि कहीं बुढ़ापे में उन्हें संभालना ना पड़ जाए | वह स्वयं भी कहीं जाना नहीं चाहती थी | कभी कभी राजेश का हाथ पकड़कर खूब रोती और बोलती मै मर जाऊं ना तब भी मेरे बेटे को खबर मत करना बस सारा क्रियाक्रम तुम ही कर देना | किसी रिश्तेदार को भी बताने या बुलाने की जरुरत नहीं | कई बार राजेश और सीमा मजाक करते , “ बीजी पोते की शादी देखनी है अभी तो तुम्हें ऐसे मरने की अशुभ बातें क्यों करती हो | आपका साया हमपर बना रहे |”
एक सुबह बीजी के कमरे से कोई आवाज नहीं आई तो सीमा कमरे में गई तो देखा वो अभी सो रही थी | सीमा को आवाज का उतर नहीं मिला तो उन्होंने बीजी को हिलाया तो लगा उनके प्राण पखेरू उड़ चुके थे | सीमा के चिल्लाने की आवाज सुन राजेश भी वहां आ गया | उन्होंने पुरे रीती रिवाज से बीजी को दफनाया | पहले सोचा बेटे को खबर दूँ फिर ख्याल आया जिसने 12 साल में माँ की कोई खोज खबर नहीं ली ,जो जाते हुए माँ को सड़क पर छोड़कर चला गया बिना ये सोचे कि उसे घर से निकाल दिया गया तो वो कहाँ जाएगी | माँ को तो फिर भी मुक्ति मिल जाएगी पर उस कपूत को कैसे मुक्ति मिलेगी ये सोचते हुए वह परिवार सहित हरिद्वार की और चल पड़ा बीजी के मोक्ष और उसकी आत्मा की शांति के किए बचे हुए क्रियाक्रम करने |
नीलम नारंग मोहाली Mobile 9034422845
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आजकल के हालात पर लिखी सुन्दर कहानी