कहानी संख्या 50 गोपालराम गहमरी कहानी लेखन प्रतियोगिता 2024
बात उसे समय की है जब हमारा परिवार गांव में रहता था, में( मिली) 11 th क्लास में पढ़ती थी मेरी दोस्ती सुषमा से हुई । हम दोनों साथ साथ पढ़ते, खेलते हुए आगे बढ़ रही थी, एग्जाम के दिन तो हम दिन और रात दोनो में साथ साथ ही पढ़ते, एक दिन हम सुषमा के घर ही पड़ते सो गए, रात को मेने देखा कुछ परछाई सी मेरे पास दिख रही थी में बहुत डर गई सुषमा को नींद में से जगाया ,पर वो नही जागी।मुझे बहुत डर लगने लगा मेरी नींद भी भाग गई, में मन ही मन भगवान को याद कर रही थी, जेसे तेसे सुबह हुई और में अपने घर चली गई, अगले दिन मेने सुषमा को अपने घर ही बुला लिया पढ़ने को । फिर मुझे रात में अपने घर में भी डर लगने लगा, सुषमा ने पूछा क्या हुआ तुम इतना डर क्यू रही हो, मेने उसे परछाई वाली बात बताई , तो सुषमा जोर जोर से हंसने लगी,बोली रात को परछाई केसे दिखेगी बोलो। फिर हम दोनों ही हसने लगे। जब हमारी परीक्षा थी तब हम फिर एक दूसरे के घर पढ़ाई करने लगेा एक दिन में मिली सुषमा के घर रात को पढ़ते पढ़ते सो गई तब उसने देखा कि सभी सो रहे हैं और नींद में मिला के पैर पर कोई हाथ घुमा रहा है मिली बहुत डर गई उसने लात मारी जोर से और चद्दर हटाकर देखा चेहरा तो वह सुषमा का भाई था दूसरे दिन मिली सुषमा के घर कभी नहीं गई और सुषमा से बोला देखो तुम अपने घर अपने भाई को समझ लो अगर उसने इस तरह की गलत हरकत फिर से की तो मैं उसे पुलिस के हवाले कर दूंगी सुषमा ने मेरी बात पर विश्वास ही नहीं किया बोला मेरा भाई तो ऐसा हो ही नहीं सकता जब भाई को सामने बुलाया गया तो वह भी बोलने लगा कि मैं तो रात को अपने कमरे में था तुम लोगों के पास नहीं आया पर मिला के मन में सुषमा के लिए और उसके भाई के लिए नफरत भर गई सुषमा से दोस्ती तोड़ने में उसने कोई देर नहीं की और दोबारा सुषमा से कभी नहीं मिला कभी उसके घर नहीं गई बहुत बुरा लगा इस तरह से कोई पिचकारी हरकत करके लड़कियों को परेशान करता है।
ऐसे व्यक्ति जीवन में कभी सुखी नहीं रहते हैं बाद में पढ़ते हुए 12 क्लास में आ गए । साल 2 साल में वह बात मिली भी भूल गई मिली दिल से दिमाग से नहीं भूली लेकिन सुषमा एक अच्छी लड़की थी सो उसने दोस्ती नहीं तोड़ी और मिला के साथ 12वीं में पढ़ती थी। सुषमा के घर के सामने एक लड़का रूम से रहता था, सुषमा को वो रोज देखता रहता था, एक दिन सुषमा ने मुझे बताया और बोला क्या करे इसका । मेने बोला क्या करे, क्या तुमको भी वो अच्छा लगता है, सुषमा थोड़ा शरमा गई, नजरे झुका ली , मेने बोला तो फिर हिम्मत करके उससे बात करो, तो सुषमा बोली नही मेरे परिवार में माता पिता नाराज हो जायेंगे । ओर सुषमा ने यह बात किसी से भी नही बोली। मिली नहीं उसे लड़के से सुषमा के लिए बात की वह लड़का भी सुषमा को पसंद करने लगा था लेकिन सुषमा के परिवार से डरता था और वह लड़का दूसरी जगह का था 12वीं की पढ़ाई के बाद उसने वह शहर छोड़ दिया। सुषमा के परिवार में माता पिता ने सुषमा से बड़ी बहन की शादी 18 साल की उम्र में कर दी थी, और वे सुषमा की शादी भी करने जा रहे थे, मेने उसको बहुत बोला कि माता पिता से अपने मन की बात बोल दो, सुषमा ने कुछ भी नहीं बोला । सुषमा की शादी भी 18 वर्ष की उम्र में कर दी गई, उसको आगे पढ़ाया भी नहीं गया। समय बिता , हम दूसरे स्थान पर चले गए,मुझे आगे पढ़ाया जाने दिया। समय के साथ सारे घाव भर जाते हैं। जब मेरी शादी तय हो गई, तब सुषमा मेरी शादी में आई थी और में भी अपनी घर गृहस्थी में लग गई। करीब 20 वर्ष बाद मेरे को नेहा नाम की लड़की का फोन आया, नेहा ने मुझे पार्क में बुलाया , तय समय पर में पार्क में गई और वहा सुषमा को देख कर बहुत बहुत खुश हुई । हम दोनों सहेलियां 20 वर्ष बाद मिले , और इसका पूरा श्रेय नेहा को जाता है, नेहा ने ही हमको मिलाए, फिर तो हम अक्सर मिलने लगे। एक दिन सुषमा ने कहा कि मेरे अधूरे सपने नेहा ने पूरे किए यह जानकर अच्छा लगा। सुषमा ने बोला मेरे मां पिता ने मुझे आगे पढ़ाया नही मुझे भी तुम्हारी तरह पड़ना था । लेकिन मेने अपनी बेटी को पोस्ट ग्रेजुएट तक पढ़ाया ।सुषमा का पहला सपने आगे पढ़ने का नेहा ने पूरा किया, आज नेहा ने पोस्ट ग्रेजुएट तक पढ़ाई की। सुषमा का दूसरा अधूरा सपना भी नेहा ने पूरा किया जी हा , नेहा ने डांस सिखा सुषमा को डांस का बहुत शौक था लेकिन पारिवारिक स्थिति में उसे डांस नहीं करने दिया गया उसने अपनी लड़की नेहा को डांस सिखाया कथक डांस सिखाया उसने कथक डांस में कोर्स किया और कथक डांस क्लास खोली इस तरह सुषमा का दूसरा सपना डांस करने का उसने अपनी बेटी नेहा में पूरा किया इस तरह सुषमा का तीसरा अधूरा सपना भी पूरा हुआ। सुषमा का तीसरा अधूरा सपना दोस्ती का उसके लिए नेहा को सुषमा ने हो आगे किया , नेहा ने एक अच्छे लड़के से दोस्ती की ओर शादी भी उससे करने का संकल्प लिया। सुषमा का चौथा सपना जॉब करने का था , उसके लिए सुषमा ने नेहा
को बहुत अच्छे से बोला की जॉब जरूर करें और फिर नेहा ने जॉब भी की थी। इस तरह सुषमा ने अपने बहुत सारे अधूरे सपने को अपनी बेटी के जीवन को उज्ज्वल बनाने के लिए पूरा किया और जो सुषमा को नही मिला , वो सब नेहा को मिला । आज नेहा सही उम्र में अपनी पसंद के लड़के से शादी करके डांस क्लास चला रही है। नेहा अपने परिवार में खुश है अच्छे से जीवन यापन कर रही है ऐसे में फिर एक विसंगति का सामना करना पड़ा अचानक से सुषमा के पति को हार्ट अटैक आया और वह नहीं रहे सुषमा एकदम अकेले पड़ गई सुषमा के जीवन में अंधेरा छा गया उसे लगा अब जीवन का कोई मोल नहीं है ऐसे जीवन जीने का क्या मतलब मुझे अब नहीं जीना मिली ने परिवार ने और नेहा ने सुषमा को बहुत समझाया बहुत मुश्किलों से मनाया और फिर भी सुषमा के आंसू कोई नहीं रोक पाया ऐसे में नेहा जब मां बनी तब सुषमा को जीने का सहारा मिला उसने नेहा की बच्ची को संभालने में अपना समय बिताया और आज नेहा की बच्ची 2 साल की हो गई इन दो वर्षों में सुषमा ने फिर से जीना सीख और अपने लिए अपने बच्चों के लिए एक मिसाल बनकर खड़ी हुई उनका सहारा बनी और बच्चे
भी सुषमा का सहारा बने सुषमा की सहेली मिली इन सब बातों से बहुत खुश है और वह भी सुषमा से समय-समय पर मिलती रहती है दोनों की दोस्ती अभी भी कायम है।
इस तरह सपने तो सब देखते हैं पर उनको पूरा करने का साहस सुषमा में था । सुषमा ने अपने अधूरे सपने नेहा में पूरे होते देखे।
डॉक्टर कीर्ति जैन, स्थान..नूतन नगर कॉलोनी खरगोन, मोबाइल नंबर..7974699527
Beautiful story and compitition