नशे की लत में डूब रहे युवा- डॉ शीला शर्मा

आज युवा वर्ग नशे की चपेट में बुरी तरह से फंसे हुए है। इनका असर बच्चों पर भी पड़ रहा है। इन पर नशा न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक दुष्प्रभाव डाल रहा है। नशे की पूर्ति के लिए अपराध से भी वह हिचक नहीं रहे है।
नशे के कारण सबसे अधिक प्रभावित युवा वर्ग है। इससे उनका मानसिक संतुलन खराब हो रहा है। एक बार नशे की लत में पड़ने के बाद इससे निकलना मुश्किल हो रहा है। युवा वर्ग इस दवाइयों की लत में इस कदर डूबा रहता है कि इसके दुष्परिणाम के बारे में नहीं सोचता। इसमें छोटे-छोटे बच्चे शामिल हैं। नशे की लत में सबसे अधिक कचरा बीनने वाले लड़के शामिल हैं। सिर्फ लड़के ही नहीं बल्कि इनकी जमात में लड़कियां भी शामिल हो रही हैं। इसकी शुरूआत पान गुटखा, तंबाकू आदि से होती है। इसके अलावा नशे के लिए सस्ते प्रोडक्ट व्हाइटनर, बोनफिक्स को भी झिल्ली में भरकर इसे नाक-मुंह से खींचकर नशापूर्ति का खूब इस्तेमाल हो रहा है। तंबाकू, शराब, दवा से नशे के लत की हुई शुरूआत बढ़कर कोकीन, मार्फिन तथा हेरोइन तक पहुंच रही है।
नशे की लत को पूरी करने के लिए बच्चे अपराध करने से भी नहीं हिचक रहे हैं। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में आये दिन हो रही चोरी, छिनैती में मुख्य रूप से युवा ही शामिल हो रहे हैं। यही नहीं रेलवे स्टेशन के आसपास घूमने वाले बच्चे चलती ट्रेन में भी वारदात करने से नहीं चूकते। नशे की लत इन पर हावी हो जाती है तो वह इसकी पूर्ति के लिए किसी की जान लेने से भी परहेज नहीं करते हैं।
पाउच खाने वाले सबसे अधिक मुंह की बीमारियों से परेशान हैं। बड़े तो इसके शौकीन हैं ही बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं। जर्दा पाउच की लत से महिलाएं व युवतियां भी ग्रसित हो रही हैं। वहीं गांव में गांजा पीने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जबकि इस पर रोकथाम के लिए प्रशासन सुस्त है। नशे की यह आदत धीरे-धीरे शौक में बदल जाता है
नशे की चपेट में किशोर और युवा बहुत तेजी से आ रहे हैं। इसको बढ़ावा देने में हिन्दी सिनेमा और टीवी बहुत हद तक जिम्मेदार है। फिल्मी हीरो को धुंए का छल्ला उड़ाता देख उनके अंदर भी हीरो बनने की इच्छा होती है। शुरुआत तो नासमझी के कारण होती है, जो आगे जाकर लत बनती जाती है। यह आदत कमजोरी में तब्दील हो जाती है। अधिक नशे के कारण दिमागी बीमारियों का भी खतरा बढ़ गया है। इससे युवा वर्ग हिंसक प्रवृत्ति के होते जा रहे है। तंबाकू के सेवन से मुंह, गले के कैंसर के अलावा फेफड़े पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। इसके चलते मुंह में हमेशा छाले बने रहते हैं। नशीली दवाओं के सेवन से शरीर के स्वास्थ्य के साथ दिमागी बीमारियां भी होती हैं। पुलिस की कोई कार्रवाई न होने से इसका प्रचलन बढ़ता जा रहा है।

डॉ शीला शर्मा
बिलासपुर,छत्‍तीसगढ़

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