बलात्कार एक शब्द जो इंसानियत की रूह को दर्द से तरबतर कर दे वह आज एक बहुत आम बात बन गई है हमारा भारतीय समाज जहां वैदिक काल से महिलाएं पूज्य होती थी जहां यह कहा जाता था”” यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमंते तत्र देवता” आज उस सनातनी संस्कृति में छोटी-छोटी बच्चियाँ हैवानियत का शिकार हो रही है ,और इस दरिंदगी को रोकना तो दूर हम कम भी नहीं कर पा रहे हैं, हर दिन बढ़ते इस व्यभिचार और अनाचार को रोकना लगभग मुश्किल सा हो गया है ,तो क्या हमारी बच्चियों हमारी महिलाएं कभी सुरक्षित भारत की उम्मीद नहीं कर सकती बलात्कार केवल किसी शरीर का नहीं बल्कि उसकी भावना उसकी गरिमा उसके अस्तित्व का भी होता है! आखिर ऐसा क्या हो गया कि जहां हम अपनी बच्चियों को यह संस्कार देते हैं कि वह दो कुल्लू को जोड़ती हैं समाज की गरिमा समाज की संस्कारों को एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी तक ले जाने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर हैं वही हम अपनी बेटों को यह संस्कार क्यों नहीं दे पाते की एक बच्ची एक बहन एक मां तुम्हारे लिए पूजनीय है वंदनीय है आदरणीय है ना की एक हवन बनकर तुम उसके शरीर का शोषण करो क्यों हम अपने लड़कों को आज तक यह सीखा नहीं पाए की नई की एक नई को केवल शरीर के नहीं बल्कि एक पूरे अस्तित्व के नजरिए से देखना है!
और हमारे कानून हमारी प्रशासनिक व्यवस्था क्यों किसी नारी की रक्षा नहीं कर पा रही है शर्म आती है जब यह सोचते हैं कि डॉक्टर इंजीनियर और बड़े-बड़े पर पदों पर पहुंच रही महिलाएं भी हमारे समाज में सुरक्षित नहीं है तो क्या हमारा कानून हमारे दंड व्यवस्था इतनी कमजोर इतनी लेक्चर है की मुजरिम ही जानता है कि वह उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती फिर तो ऐसा लगता है की बुलडोजर व्यवस्था ही सही है वैसे भी हमारे ही इस समाज में जहां कहा जाता है” यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमंते तत्र देवता “वहीं यह भी कहा जाता है कि” भय बिन हुए ना प्रीति” 30 की नाइट न्यायिक प्रणाली में दोष तो है अगर यह ना होता तो महिलाएं इतनी असुरक्षित नहीं होती अब यह समय की मांग है और आधी आबादी अब यह चाहती है कि देश की न्यायिक व्यवस्था अधिक प्रभावी और कुशल हो और जांच एजेंसियां अपने कर्तव्य का पालन करने में पूरी तरह तत्पर हो इस पितृ सत्तात्मक समाज से ऊपर उठकर सोच को बदलना होगा जन जागृति जगानी होगी और समाज में सुरक्षा का माहौल बनाना होगा वरना वह दिन दूर नहीं जब महिलाएं स्वयं अपनी रक्षा के लिए कानून अपने हाथ में लेंगे और समाज देश राजनीति कुछ भी नहीं कर पाएगी !
अगर महिलाओं को यह डर है कि वह घर से बाहर निकले तो उनके साथ अनाचार हो सकता है तो हर पुरुष को भी यह डर होना चाहिए कि अगर उसने कुछ भी गलत किया तो उसकी रूह कब जाएगी ऐसा भयावह दंड उसे मिलेगा आज के समय की यही आवश्यकता है! विद्रोह का कारण हमेशा तानाशाही होता है यह भारत बहुत अच्छी तरह जानता है जब-जब उन पर अत्याचार और अनाचार बड़ा है देश की जनता ने उसका मुंहतोड़ जवाब दिया है तो महिलाओं को मजबूर मत करो वरना उन्हें तलवार उठाने में देर नहीं लगेगी कानून और व्यवस्था अपने हाथ में ले इसके पहले राजनीति के ठेकेदारों को जाग जाना चाहिए!
और हमारे कानून हमारी प्रशासनिक व्यवस्था क्यों किसी नारी की रक्षा नहीं कर पा रही है शर्म आती है जब यह सोचते हैं कि डॉक्टर इंजीनियर और बड़े-बड़े पर पदों पर पहुंच रही महिलाएं भी हमारे समाज में सुरक्षित नहीं है तो क्या हमारा कानून हमारे दंड व्यवस्था इतनी कमजोर इतनी लेक्चर है की मुजरिम ही जानता है कि वह उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती फिर तो ऐसा लगता है की बुलडोजर व्यवस्था ही सही है वैसे भी हमारे ही इस समाज में जहां कहा जाता है” यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमंते तत्र देवता “वहीं यह भी कहा जाता है कि” भय बिन हुए ना प्रीति” 30 की नाइट न्यायिक प्रणाली में दोष तो है अगर यह ना होता तो महिलाएं इतनी असुरक्षित नहीं होती अब यह समय की मांग है और आधी आबादी अब यह चाहती है कि देश की न्यायिक व्यवस्था अधिक प्रभावी और कुशल हो और जांच एजेंसियां अपने कर्तव्य का पालन करने में पूरी तरह तत्पर हो इस पितृ सत्तात्मक समाज से ऊपर उठकर सोच को बदलना होगा जन जागृति जगानी होगी और समाज में सुरक्षा का माहौल बनाना होगा वरना वह दिन दूर नहीं जब महिलाएं स्वयं अपनी रक्षा के लिए कानून अपने हाथ में लेंगे और समाज देश राजनीति कुछ भी नहीं कर पाएगी !
अगर महिलाओं को यह डर है कि वह घर से बाहर निकले तो उनके साथ अनाचार हो सकता है तो हर पुरुष को भी यह डर होना चाहिए कि अगर उसने कुछ भी गलत किया तो उसकी रूह कब जाएगी ऐसा भयावह दंड उसे मिलेगा आज के समय की यही आवश्यकता है! विद्रोह का कारण हमेशा तानाशाही होता है यह भारत बहुत अच्छी तरह जानता है जब-जब उन पर अत्याचार और अनाचार बड़ा है देश की जनता ने उसका मुंहतोड़ जवाब दिया है तो महिलाओं को मजबूर मत करो वरना उन्हें तलवार उठाने में देर नहीं लगेगी कानून और व्यवस्था अपने हाथ में ले इसके पहले राजनीति के ठेकेदारों को जाग जाना चाहिए!
गीता सिंह
जेएसपी रायगढ़ छत्तीसगढ़
अपने विचार साझा करें