Breaking News

इंसान भी बसते हैं- अंजू

मैं और दरम्यानी उम्र की वे महिला आगे-पीछे ही स्टेशन से बाहर निकले। मौसम उमस से भरा था और बावजूद इसके कि एक कुली उनके साथ आये पांच-छ‌: नग को अपने ऊपर लादे था, वे पसीने से तरबतर थी।
  मेरे पति तो सामान के पास मुझे खड़ा कर ऑटो देखने चले गये और वे कुली को पैसे देने लगी।
“मांजी , वैसे इतनी दूर के चार सौ लगते है लेकिन पहले से तय हो गया था इसलिए आप तीन सौ ही दें।”
” भैया, प्लेटफार्म नंबर चार से यहां की दूरी ही कितनी है। उस हिसाब से तीन सौ भी ज्यादा लगे मुझे।” वे महिला बोलती भी जा रही थी और इधर-उधर देख, किसी को ढुंढती भी जा रही थी।
“मांजी, मालूम नहीं था समान इतना भारी है।”कह रूपयों को अपने माथे पर लगाता वह, वहां से जाने लगा। फिर कुछ सोचता वापस आया।
” आपको कोई लेने नहीं आया ?”
” बेटा बोल तो रहा था आने को। पता नहीं कहां फंस गया।”वे चिंतित सी बोल उठी।
“फोन कर लो।”
” फोन उठा नहीं। शायद नेट नहीं होगा।”
” आप देख लो। मैं अभी आता हूं।” कह वह भीड़ में गायब हो गया। थोड़ी देर में वही कुली फिर आया।
“मांजी , बेटे को आना होता तो स्टेशन पर ही आ जाता लेने, ये सोच कर की इतने समान के साथ आप अकेले परेशान हो जायेंगी। जाना कहां है आपको?”
“नोएडा “बोल कर वे चुप हो गई।
“विश्वास हो तो एड्रेस बताओ। मैं ओला कर देता हूं।” कुली बोला।
विश्वास की एक पतली रेखा खींच चुकी थी। उन्होंने एड्रेस बताया और कुली ने कैब बुक करवा दी।
“आप परेशान न हों। ओला आने तक मैं यहां खड़ा हूं। उसे ओ.टी.पी बता दूंगा। आप आराम से चले जाना।”
मानवता बची थी, ये मैंने उस दिन देखा।
अंजू निगम

नई दिल्ली

मोबाइल नंबर :- 9479377968

About sahityasaroj1@gmail.com

Check Also

झूला का रहस्य-

झूला का रहस्य-

गाँव के पास एक बहुत पुराना पीपल का पेड़ था और उस पर एक झूला …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *