महान स्वतंत्रता सेनानी समाज सेवक एवं आध्यात्मिक नेता आचार्य विनोबा भावे जी ने एक अवधारणा बनाई जो सामाजिक संगठन से संबंधित है। आचार्य विनोबा भावे जी एक राष्ट्रीय अध्यापक की तरह हमेशा मूल रूप से एक चलता-फिरता विश्वविद्यालय होने के नाते, उन्होंने इन पांच जन शक्ति को आम लोगों के सामने उनकी अपनी भाषा में प्रस्तुत किया। इसका प्रभाव लंबे समय तक रहा। विनोबा भावे जी का मानना था कि शब्द कम होने चाहिए, लेकिन जब प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किए जाते हैं तो वे लोगों के दिमाग में लंबे समय तक बने रहते हैं। विनोबा को शब्दों से बहुत लगाव था।
विनोबा ने समाज की तुलना हाथ से की। उन्होंने कहा कि हमारे पास पाँच उंगलियाँ हैं। ये उंगलियाँ एक ही हाथ का हिस्सा हैं, लेकिन उनकी भूमिकाएँ अलग-अलग हैं। प्रत्येक उंगली समाज के कुल पांच शक्तियों की ओर संकेत करती है। सबसे पहले अंगूठे को लें; उन्होंने इसे जन-शक्ति या लोगों की शक्ति कहा। यह सबसे मज़बूत उंगली है, लोगों की सामूहिक मज़बूत शक्ति है। अंगूठा सभी उंगलियों को लेकर अगर बंध जाती है तो यह शक्ति और समर्थ है का प्रतीक बन जाती है।
फिर छोटी उंगली है। यह सबसे छोटी है। यह अच्छे लोगों की शक्ति है, या सज्जन शक्ति है। यह एक आंतरिक प्रेरणा है, यह समाज को सही रास्ते पर रखती है। फिर भी यह आकार में छोटी है और कमजोर दिखती है। ये सज्जन लोगों के सेवक या सेवक वर्ग हैं। उनका मिशन विवेक के अनुसार जीवन जीना और सही दिशा में आगे बढ़ना है। इसका आधार सत्य और अहिंसा जैसे नैतिकता और नैतिक सिद्धांत हैं। लोगों के सेवक इन सिद्धांतों के अनुसार जीते हैं और इसलिए एक विशिष्ट शक्ति प्राप्त करते हैं। हालांकि वे दिखने में कमजोर हैं, लेकिन उनकी मुख्य भूमिका एक छोटी उंगली की है।
तीसरी पांच जनशक्ति को प्रदर्शित करती तर्जनी अंगुली है। यह आचार्यों की भूमिका को दर्शाती है। वे समाज को सही राह दिखाते हैं। विचारकों और विद्वानों को सभी का मार्गदर्शन करना होता है। खुद को अलग रखते हुए, वे दुनिया में होने वाली घटनाओं का निष्पक्ष रूप से अध्ययन करते हैं और दुनिया के सामने अपनी राय रखते हैं। उन्हें अलग रहना होता है, विवेकशील होना होता है और अच्छे-बुरे पहलुओं को तौलना होता है, सही रास्ता दिखाना होता है।
मध्यमा अंगुली उद्यमी और अमीर लोगों के लिए आरक्षित है। यह महाजन-शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है। व्यवसायी, उद्योगपति और उद्यमी जो अपने आप में एक शक्ति हैं। गांधीजी ने ऐसे लोगों के लिए ट्रस्टीशिप का विचार रखा। उन्हें खुद को धन का मालिक नहीं बल्कि समाज के लिए धन का ट्रस्टी समझना चाहिए।
पांचवीं उंगली को संस्कृत में “अनामिका” कहा जाता है। इसका मतलब है ‘नामहीन’। यही दंड-शक्ति या सरकार की भूमिका है। यह अपने आप में कुछ नहीं करती, लेकिन यह बाकी सभी उंगलियों का समन्वय करती है। इसका काम समाज में इन सभी शक्तियों को एक साथ लाना है। यही सरकार की भूमिका है। आज भले ही इसने सत्ता की सर्वोच्चता ग्रहण कर ली हो, लेकिन इसकी असली भूमिका अनामिका की है। इसे कम से कम महत्व मिलना चाहिए और केवल नाम की शक्ति रहनी चाहिए। इसलिए विनोबा ने इसकी तुलना अनामिका से की।
ये पाँचों उंगलियाँ हाथ को एक संपूर्ण शक्ति बनाती हैं। यह पहाड़ों को हिला सकती है, बशर्ते यह एक हाथ की तरह मिलकर काम करे। प्रत्येक उँगली अपने आप में एक शक्ति है, लेकिन यह तभी प्रभावी होती है जब वे एक साथ हों।
विनोबा ने इसे पंच (पांच) जन-शक्ति (लोगों की शक्ति) कहा। जन, सेवकजन या सज्जन (सामाजिक कार्यकर्ता), विद्वतजन (आचार्य), महाजन (धनी लोग) और सरकार। वे मिलकर पंच-जन-शक्ति बनाते हैं। किसी भी के राष्ट्र के विकास के लिए इन पांच जनशक्ति का संगठित होकर कार्य करना आवश्यक है।
डाॅ शीला शर्मा
बिलासपुर