
मॉं कामाख्या धाम में भारी भीड़ को संभालने में फेल गहमर के र्स्माट कोतवाल
एशिया महाद्वीप के सबसे बड़े गॉंव में स्थित है उत्तर भारत का एक मात्र कामाख्या का मंदिर। जहॉं वर्ष भर देश के विभिन्न हिस्सों से लोग आते हैं। यही कारण है कि गाजीपुर जनपद के प्रमुख भीड़-भाड़ वाले दर्शनीय स्थल में उसकी गिनती है। आम दिनों में तो वहॉं साधारण भीड़ रहती है मगर कुछ विशेष अवसर पर वहॉं भीड़ इस कदर बढ़ जाती है जिसे संभालना काफी कठिन काम हो जाता है। भीड़ को संभालना एवं दर्शनार्थीयों की सुरक्षा की व्यवस्था करना मुख्य रूप से पुलिस का काम होता है। मगर इस काम में गहमर की पुलिस कितनी खरी उतरती है इसका अंदाजा आपको भीड़ देख कर ही हो जायेगा। इस भीड़ में बुजुर्गो, बच्चों का क्या हुआ होगा इसकी कल्पना आप आसानी से कर सकते हैं। कही भी कोई लाइन, कोई अवरोध, कोई रोक टोक नहीं आ रहा था। एक ही दरवाजे से लोग घुसते और निकलते नज़र आ रहे थे। वह तो मॉं की महिमा ही रही कि कोई हादस नहीं हुआ, नहीं तो हालता मंदिर के थे, वह हादसों को निमंत्रण दे रहे थे। आज 01 जनवरी को मॉं कामाख्या धाम

में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड से लाखों की भीड़ दर्शन करने पहुँची। भीड़ का आलम यह था कि मंदिर परिसर के पास बने सारे पार्किंग भरे पड़े थे और गाजीपुर-बारा मुख्यमार्ग पर 1 किलोमीटर लम्बी लाइन दोनो तरफ लगी थी। मंदिर के दोनो गेट पर श्रृधालु मधुमक्खी के तरफ लिपटे हुए हैं मगर पुलिस को इनकी सुरक्षा की कोई चिंता

नहीं हैं।पुलिस द्वारा केवल गुफा तक लाइन की व्यवस्था के बाद अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर लिया गया था। प्रवेश द्वारा से गर्भ गृह तक लोग दबते-कुचलते बढ़े जा रहे थे, मगर पुलिसकर्मीयों को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।

हॉं कुछ महिला पुलिसकर्मी जरूरत अपने कर्तव्य पालन में डटी रही, मगर उनके बस की बात नहीं थी, भीड़ को संभालना। मंदिर परिसर में तीन-चार पुलिसवाले और राम-जानकी मंदिर की तरफ निकास गेट पर दो पुलिस कर्मी एवं मुख्य गेट की तरफ कुछ सिपाही जरूर नज़र आ रहे थे, मगर वो भी व्यवस्था में कम अपनों को अंदर पहुॅचाने में अधिक परेशान नज़र आये। गर्भगृह के अंदर तैनात पुलिसकर्मी कभी-कभी अंदर आते और सुरक्षा और व्यवस्था के नाम पर केवल हंगाम और बत्तमीजी का काम करते।
वह तो भला हो गहमर थाने की महिला सिपाहीयों की जो हर परिस्थिति को संभाल रही थी, लड़ रही है, समझा रही थी, व्यवस्था और सुरक्षा को ध्यान में रखते उनके दिमाग में जो जो आ रहा था कर रही थी, भीषण ठंड में भी उनकी वर्दी पसीने से भीग रही थी।
आखिर गहमर पुलिस को क्या पहले से कोई अंदाजा नहीं था कि आज भीड़ होगी, उसके हिसाब से तैयारी कर ली जाये, क्या गहमर पुलिस ने मंदिर समिति से बात नहीं किया कि व्यवस्था कैसे हो।हो सकता है उसे टाइम न मिला हो आखिर वीआईपी सुरक्षा, शराब माफिया सुरक्षा, खनन माफिया सुरक्षा उसे यह काम तो पहले करना है। आम आदमी के हित हो या न हो। खैर योगी सरकार के मंदिरों एवं भक्तों की सुरक्षा एवं दर्शनार्थीयों से प्रेम की भाषा में बात को नज़र अंदाज करने के लिए गहमर पुलिस का धन्यवाद।
अखंड प्रताप सिंह
संपादक साहित्य सरोज
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