मॉं कामाख्या धाम गहमर में तैनात एक बत्तमीज सिपाही जो दिखाता है औकात, देता है मोबाइल सीज की धमकी।
यह गहमर थाना क्षेत्र के किसी थाने के सिपाही हैं मैं नही जानता, मगर इनकी डियुटी गहमर थाना अन्तगर्त मॉं कामाख्या धाम मंदिर में आज 01 जनवरी को नये वर्ष पर लगी भीड़ को संभालने में लगी है। शायद यह आज या तो डियुटी करना नहीं चाहते होगें और इनकी डियुटी लग गई या फिर कोई और कारण रहा हो जिससे यह डियुटी के समय इतने उग्र हो रहे थे कि यदि आप मंदिर में एक सेकेंन्ड भी रूक गये तो यह आपको ढकेल कर अपशब्द बोलकर आपको मंदिर से बाहर करने में चूक नहीं रहे थे, फिर या तो आप महिलाओं, पुरूष हो या पत्रकार हो, आप को इनकी गालियॉं सुननी होगी।
आज दोपहर मैं एक मिनट की वीडियों मंदिर के अंदर भीड़ से हट कर पीछे दिवार से हट अपने कवरिंग के लिए क्या बनाने लगा परिचय देने के बाद भी इन्होने न सिर्फ अपशब्छ बोलते हुए बल्कि ढकेलते हुए बाहर मंदिर से बाहर करने का काम किया और बत्तमीजी करते हुए मोबाइल सीज करने की धमकी दे दिया। जब इनके गलत व्यवहार का मैनें विरोध शुरू किय तो वहाँ मौजूद कई युवकों ने, महिलाओं ने इनके गलत व्यवहार की शिकायत कि शिकायत किया। यह यही नहीं रूके, गर्भगृह से बाहर निकल निकल कर जहॉं अन्य सिपाही तैनात थे, साहब मल्ल युद्व को तैयार रह रहे थे। यही नहीं दाये-बाये देख कर पिछले दरवाजे से यह अपने लोगों को अंदर घुसाने से बाज भी नहीं आ रहे थे। इनकी बत्तमीजी का आलम यह था कि यहॉं तक की खुद पूर्व जिला पंचायत सदस्य मनीष सिंह बीटू , वहॉं के महंत एवं कई पुजारियों ने इनके गलत आचरण का विरोध किया। चूकि आज मंदिर में भीड़ बहुत थी तो कोई भी किसी प्रकार से कुछ करने की स्थित में नहीं था।
मंदिर पर प्रशासन द्वारा सुरक्षा व्यवस्था और लाइन व्यवस्था किस कदर खराब थी इसका अंदाजा आप फोटो से देख सकते है, लोग एक दूसरे पर चढ़े हुए मगर पुलिस का नामों निशान नहीं हैं। पुलिस खुद अपने लोगों को अंदर पुहँचाने में जुटी थी। शराब माफिया, खनन माफिया, वन माफिया इन पुलिसकर्मी के साथ चाहे जो व्यवहार करें, कही कुछ करे इनको कोई फर्क नहीं पड़ता है मगर मंदिर में यदि कोई आम आदमी एक पल इधर से उधर हो जाये तो कयामत आ जाती है, यह उस पर टूट पड़ते हैं।
Check Also
जासूसी उपन्यास के जनक गोपालराम गहमरी- सत्येन्द्र कुमार पाठक
हिंदी के महान सेवक, उपन्यासकार तथा पत्रकार ने वर्षों तक बिना किसी सहयोग के ‘जासूस’ …