साहित्य सरोज कहानी प्रतियोगिता 2025, कहानी पर कमेंट जरूर देंं।
ऐसे ही एक संडे की सुबह को पति -पत्नी जो दोनों ही नौकरी करते है। पति ने पत्नी से कहा,अजी सुनती हो ,ये अपना घर कितना मैला दिखाई देता है पर क्या करें हम दोनों मजबूर है।धूल दिख रही है फिर भी हम दोनों कुर्सी पर बैठ कर आराम से चाय -नाश्ता करते है। बिखराया हुआ हमारा सामान ,पेपर की पस्ती ,यह सभी चीजों पर हमारा ध्यान रोज जाता है।सुबह सात बजे जो ताला लगाते थे वो शामको सात बजे धूल साफ़ करते खोलते थे। ये रोज का नित्यकर्म था।शनिचर की शाम हमेशा हमे गमगीन लगती थी।हमारा अपना घर होते हुए भी हमे लगता था हम मेहमान की तरह रहते है।ड्रेसिंग टेबल पर तो धूल का साम्राज्य था। दर्पण पर भी धूल ,चेहरा भी ठीक से दिखाई नहीं देता था। अब क्या कर सकते है?कल की शाम ऐसे ही चली गई। पर एक बात हुई हम दोनोने तय किया,
आनेवाले संडे घर का काम करेंगे।एक लिस्ट बनाई गई ,जिसमे हम दोनों को क्या काम करना है?
कुछ काम मैं करूँगा ,कुछ काम वो करेंगी।उन में टी पॉय और पेपर पस्ती को बांधना ये काम मैं और पत्नी किचन ,ड्रेसिंग टेबल तिजोरी गैस कीजगह ।मैं ओवन एक्वागार्ड ,फ्रिज ,गैलेरी ,बाग में रखे कुंडे और शेल्फ सारे काम मैं अकेला करूँगा।देखो जी ये सारे काम हो जाने चाहिए। हमेशा की तरह उठ जाना ,जल्दी से चाय के साथ टोस्ट खा लेना और तुरंत काम का श्री गणेश।दूसरे बार चाय और खारी मिलेगी जब घरका आधा काम तुम खत्म करोगे।आज खाने में मूंग की खिचड़ी और लिज्जत पापड़ ,अचार।
मुझे भी संडे की सुबह का ईंतजार था,घड़ी में और मोबाइल में एलार्म लगा दिया।सुबह हुई अलार्म के साथ मैं तो जगा पर पत्नी सोई हुई थी।रोज घर के सारे काम करके करके दो बस बदलकर ऑफिस जाना।मेरी भी आँख लग गई।पत्नी जी ने चाय के साथ उपमा बनाया।सुनते हो ! जल्दी से चाय पीओ ,खाओ और काम पर लग जाओ।आज काम बहुत है ,मैंने फ्रिज बंद किया है। आप पेपर पस्ती बांध दो।मैंने चाय खत्म की।चलो चलो जल्दी करो। इतनेमे मेरे हाथ मेज के नीचे शादी का एलबम दिखा ,जैसे देवताओं को समुद्र मंथन करते समय अमृत मिला था।दस साल हो गए थे शादीको फिर भी मन नहीं माना।मैंने एलबम खोलते ही पत्नी जी कब पास आकर बैठी मुझे पता ही नहीं चला।
मैं अभी भी एलबम में उलझा था। दूसरी ओर पत्नी ने बैगन भरता, ज्वार की रोटी ,हरी ,लाल चटनी के साथ कूल छास ।रोज डिब्बे में वही
सब्जी रोटी खाकर मैं बोर हो गया था।पत्नीजी ने मेरे मन की बात पहचान ली।मेरे पसंद का खाना मुझे खिलाकर वो प्रसन्न हो गई।सारे काम बाकी थे।मैंने पत्नी जी को थैंक्स कहा ।बाल्कनी में जाकर कुंडे में पानी डाला।मुझे तो खाना ज्यादा खाने पर जल्दी से नींद आ गई।मैंने थोड़ा काम पूरा किया था।दूसरे दिन जब सूर्य देवता की किरणे अंदर घर मे प्रवेश कर रही थी।मैंने चाय का गर्म प्याला पत्नी जी के हाथ मे दिया, वो तब बाल्कनी में उदास खड़ी थी। मैंने उसकी और देखते हुए कहा “क्या हुआ मेरी सरकार को!” उसने कहा ,आज भी सारे काम अधूरे !मैंने कहा ,आज नहीं हुए तो क्या हुआ?
अगला संडे है ना!मैं तो भाग्यशाली हूँ जो आपके जैसा पति मुझे मिला ,पत्नी को मदद करनेवाला!जब कि दूसरों के पतिदेव किसी भी काम मे पत्नी को मदद नहीं करते बस पूरा सन्डे हाथ मे मोबाइल ,कभी लेपटॉप तो कभी कभी टी वी देखने सोफे पर बैठकर पॉपकॉर्न का आनंद उठाते है।अब पत्नी जी बोली अगला सन्डे हम दोनों मिलकर सारे घर के काम पूरे करेंगे।अगला संडे बेकार नहीं जाएगा,पर आज का तो संडे तो खत्म हुआ ,चलो आज से अगले संडे तक फिर वही रोजमर्रा की जिंदगी ,फिर वही रूटीन !
अविनाश खरे ,पुणे।महाराष्ट्रसे।।
8421216343.
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