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सब्र का फल-रोहित

जनवरी 2023

रवि रोज की तरह आज भी सुबह सुबह इस आस में अपनी सब्जियों की दुकान खोलकर बैठ गया कि आज अच्छी बोहनी होगी। पर दोपहर के 2 बज गये, पर एक भी ग्राहक उसकी दुकान पर सब्जी लेने नही आया।रवि बोला – हे… भगवान, मुझसे कौन सा अपराध हो गया ? जो मुझे ये दिन देखने पड़ रहे है। बोहनी तक नही हो रही है।सब्जियां कोई गेहूँ, चावल तो थे नही, जो महिनो खराब न होते, अब उन सब्जियो का क्या करता वो ? तभी उधर से रामलाल गुजर रहा था। उसकी भी हालत रवि के जैसे ही थी।आजकल कँही मजदूरी नही मिल रही थी। जिस कारण उसके घर का चूल्हा भी नही जल रहा था।
तभी रवि रामलाल से बोला – कैसे हो रामलाल ?
रामलाल – क्या बताऊ रवि भाई, कँही काम नही मिल रहा है, दो दिन से घर का चूल्हा नही जला है। कँही काम हो तो बताओ। कुछ पैसो का इंतजाम ही हो जाय।
तभी रवि ने सोचा ,इसकी भी हालत मेरे जैसे ही है। क्यो न थोड़ी सब्जी रामलाल को दे दी जाए… सब्जी खराब होने से अच्छा उससे किसी की भूख मिट जाएगी।
रवि- ऐसा है रामलाल, कुछ सब्जियां ले लो और जाओ घर में बच्चे इंतजार कर रहे होगे।
रवि की इस तरह की बाते सुनकर रामलाल का हदय द्रवित हो गया, और उसकी आँखो से आँसू आ गये।
रामलाल बोला- ऐसी मुश्किल समय तुम्हारा एहसान में कैसे चुकाऊंगा ? अभी तो मेरे पास फूटी कौड़ी नही है।
रवि ने कहा- जब पैसै होगे तब दे देना। अभी घर जाओ , सब इंतजार कर रहे होगे।
रामलाल को कुछ टमाटर, पालक, मूली जैसी कुछ सब्जियां देकर विदा किया। 
शाम 6 बजे तक इक्का दुक्का ग्राहक छोड़, रवि की दुकान पर कोई नही आया था। जो आए थे, वो भी 5 -10 रुपये की सब्जियां लेकर चले गये थे। 
अँधेरा छा ही रहा था कि तभी उसकी दुकान के पास एक सफारी आकर रुकती है, और उसमें से एक सफेद पैंट शर्ट पहने व्यक्ति मोबाइल से बाते करते हुए निकलता है।
उस व्यक्ति का घर शहर से आउट आफ एरिया में था। जिस कारण सुविधाओं की उस इलाके में कमी थी। अचानक ही उस व्यक्ति के यहाँ परिवार के कुछ  सदस्य आ रहे थे, तो लोगो के खाने के लिए सब्जियाँ खरीदने निकला था, काफी ढूड़ने के बाद उसे रवि की दुकान मिली थी। तब जाकर उसने राहत की साँस ली थी।
हाँ, जल्दी ही लेकर आ रहा हूँ… मिल गया है एक…. देखता हूँ…. कहते हुए, रवि की दुकान के पास आकर बोला – क्या भाव दिए हो टमाटर ?
रवि – बीस रुपये किलो है, बाबू जी
व्यक्ति – और ये नींबू
रवि – बाबू जी एक रुपये की एक है।
व्यक्ति – ये लौकी और पालक कैसे है ?
रवि – अरे बाबू जी ये लौकी बहुत मुलायम है, सुबह ही खेत से तोड़े है। पालक तो एकदम ताजी है।
व्यक्ति – अच्छा ऐसा करो दो लौकी, एक किलो टमाटर, एक किलो पालक, कुछ धनिया और मिर्च और दस नीबू दे दो।
रवि – सभी सब्जियां तौलकर व्यक्ति के झोले में भर देता है। तभी व्यक्ति बोलता है कि सब का कितना हुआ ?
रवि – अँगुली पर गिनते हुए… टमाटर का 20 रुपया और लौकी का दस – दस बीस, मिलाकर 40 नीबू का मिलाकर 50 और पालक का दस मिलाकर 60 और धनिया मिर्च का मिलाकर 65 रुपये हुआ।
व्यक्ति ने अपनी जेब से 65 रुपये रवि को देकर गाड़ी में सब्जियां रखकर चला गया।
65 रुपये पाकर रवि आकाश की तरफ देखते हुए, भगवान का शुक्रिया किया, और खुशी खुशी सामान समेटकर घर चला गया।

रोहित मिश्र, प्रयागराज

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