पर्यावरण — माधुरी सिंह, पटना*
पर्यावरण शब्द “परी” और “आवरण” से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है — हमारे चारों ओर का वह घेरा जिसमें वायु, जल, मिट्टी, जीव-जंतु और वनस्पतियाँ शामिल हैं। यह जीवन का आधार है और हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक भी।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित विश्व पर्यावरण दिवस हर वर्ष 5 जून को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 में स्टॉकहोम में हुई पर्यावरण सम्मेलन से मानी जाती है, जबकि पहला पर्यावरण दिवस 1973 में मनाया गया। इसका उद्देश्य है — पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना।
आज बढ़ती जनसंख्या, अंधाधुंध शहरीकरण, पेड़ों की कटाई और प्रदूषण से पर्यावरण गंभीर संकट में है। वाहनों का धुआँ, रासायनिक जल, मशीनों की आवाजें — यह सब मिलकर वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण का कारण बनते हैं, जिनका प्रभाव सीधे मानव स्वास्थ्य पर पड़ता है।
पर्यावरण हमें भोजन, जल, आश्रय और स्वच्छ वायु प्रदान करता है। सभी जीव-जंतु और प्राकृतिक तत्व एक-दूसरे से जुड़े होते हैं और संतुलन बनाए रखते हैं। यदि हम इस संतुलन को बिगाड़ते हैं, तो उसका प्रभाव पूरे जीवन चक्र पर पड़ता है।
पर्यावरण संरक्षण के उपाय:
- पेड़ लगाएँ — यह वायु को शुद्ध करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड सोखते हैं।
- जल बचाएँ — पानी सीमित संसाधन है, इसे व्यर्थ न करें।
- प्रदूषण कम करें — प्लास्टिक का प्रयोग घटाएँ, ऊर्जा की बचत करें।
- जंगलों की रक्षा करें — जैव विविधता और जलवायु संतुलन के लिए आवश्यक हैं।
- लोगों को जागरूक करें — पर्यावरण से प्रेम ही उसका सबसे बड़ा संरक्षण है।
यदि हम मिलकर छोटे-छोटे प्रयास करें, तो पृथ्वी को एक स्वस्थ, स्वच्छ और सुरक्षित ग्रह बनाए रख सकते हैं।
प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान करना और उन्हें सहेजना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।
– माधुरी सिंह
पटना (बिहार)
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