योग का लाभ दीपमाला

योग का लाभ-दीपमाला

योग को वर्तमान में सिर्फ स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से देखा जा रहा है, परंतु योग अपने आप में व्यापक है। विश्व गुरु के रूप में स्थापित होने वाला भारत, योग गुरु भी है, जो मनुष्य के सर्वांगीण विकास में सहायक है। योग न सिर्फ शरीर को स्वस्थ रखने का माध्यम है, बल्कि आंतरिक चेतना को जागृत करने का श्रेष्ठ साधन भी है। यह व्यक्ति को शारीरिक रूप से स्वस्थ, मानसिक रूप से प्रबल तथा भावनात्मक रूप से संतुलित बनाए रखता है।

योग का अर्थ है—”योग” अर्थात जोड़ना, मिलना। इसे शरीर, आत्मा और मस्तिष्क तीनों के जुड़ाव के रूप में देखा जा सकता है। योग के आठ अंग हैं—यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। इन्हें जीवन में अपनाकर व्यक्ति अपना सर्वांगीण विकास करता है और अंततः श्रेष्ठता को धारण करता है।

जनश्रुति के अनुसार भगवान शिव को योग का संस्थापक माना जाता है, वहीं श्रीकृष्ण को “योगेश्वर” की उपाधि प्राप्त है। परंतु योग का व्यवस्थित उल्लेख महर्षि पतंजलि के योगदर्शन में मिलता है। पतंजलि के पश्चात अनेक योगियों ने इसके विकास में योगदान दिया, परंतु आधुनिक युग में योग को जन-जन तक पहुँचाने व नई पहचान दिलाने में बाबा रामदेव का महत्वपूर्ण योगदान है। इसी क्रम में, 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने 193 सदस्य देशों की सहमति से 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया।

स्वस्थ शरीर ही धर्म का मुख्य साधन है। इसलिए जीवन का प्रथम ध्येय आरोग्य होना चाहिए। यदि तन और मन स्वस्थ नहीं है तो जीवन निरर्थक है। सुख और शांति के लिए भी उत्तम स्वास्थ्य आवश्यक है। लोभ, क्रोध, मोह जैसे आंतरिक शत्रुओं को जीतने का भी योग सरल और सहज माध्यम है।

स्वयं का अनुभव:
मैं वर्ष 2017 से नियमित योग से जुड़ी हूं। योग केंद्र जाकर रोज़ दो घंटे अभ्यास करती थी। वहां केवल महिलाएं रहती थीं, जिससे योग के साथ-साथ सामाजिक मेल-मिलाप भी होता था। बाद में मैंने वहीं पर प्रशिक्षक के रूप में भी सेवा दी। वहाँ मैंने देखा कि कुछ बहनें गंभीर बीमारियों के बाद योग से जुड़ीं और उन्होंने धीरे-धीरे स्वास्थ्य में सुधार पाया।

मेरे अपने अनुभव भी बहुत सकारात्मक रहे।

  1. कमर की समस्या: डिलीवरी के बाद दाहिनी करवट लेकर उठने में परेशानी थी, जो योग के नियमित अभ्यास से ठीक हो गई। पवनमुक्तासन भाग-1 के आसन जोड़ों और नसों की समस्याओं में लाभकारी हैं।
  2. माहवारी की समस्या: मार्जरी, व्याघ्र और तितली आसन से माहवारी नियमित हुई, दर्द और चिड़चिड़ापन कम हुआ। गर्भाशय मजबूत होता है और गर्भधारण की संभावना बढ़ती है।
  3. गैस की समस्या: पवनमुक्तासन भाग-2 से पेट संबंधी समस्याएं काफी हद तक समाप्त हो गईं।
  4. एलर्जी की समस्या: बचपन में निमोनिया हुआ था, जिससे सर्दी-जुकाम बना रहता था। परंतु प्राणायाम (अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, कपालभाति, भस्त्रिका) से काफी सुधार हुआ।

सूर्य नमस्कार से पूरे शरीर की कसरत हो जाती है, जो बहुत लाभकारी है।

कुछ सावधानियाँ:

  1. पेट खाली हो।
  2. AC में नहीं, सामान्य ताप पर योग करें।
  3. योग के तुरंत बाद स्नान न करें।
  4. कोई मेकअप या कॉस्मेटिक न लगाएं।
  5. श्वास नाक से लें, मुँह से नहीं।
  6. आसन को जबरदस्ती न करें; जितना सहजता से हो, उतना ही करें।

आज अधिकांश लोग बीमार होने के बाद योग को अपनाते हैं, जबकि यह रोज़मर्रा की दिनचर्या का हिस्सा होना चाहिए, जैसे—खाना, सोना आदि। कुछ महिलाएं सिर्फ वजन घटाने के उद्देश्य से योग करती हैं और कुछ ही दिनों में परिणाम चाहती हैं, जो संभव नहीं है। सालों से जमी चर्बी दो दिनों में नहीं जाएगी। नियमितता ही योग का मूल मंत्र है। जब स्वास्थ्य बेहतर होगा, तभी शरीर भी बेहतर होगा।

दीपमाला वैष्णव
कोंडागांव (छत्तीसगढ़)
📞 9753024524

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