जनवरी ‘2023 बाल कहानी*
सर पर सुंदर सा टोपी वाला सेहरा, चारों पैरों में मोटे मोटे घुंघरू,पीठ पर रंग-बिरंगा दुशाला, दूल्हे रामू की सुंदरता को और बड़ा रहा था। उसी के पीछे पीछे चल रही दुल्हन सीता के गले में कमल के फूलों की बड़ी ही सुंदर माला थी। उसका मस्तक चमकते नगों वाली छोटी-छोटी सुंदर सी बिंदियों के दमदमा रहा था। सीता की पीठ पर लटके दुशाले की झालर बहुत शानदार थी। उसके पैरों में बंधीं पायल व उस में लगे घूंघरूओं की छम-छम आज सीता की चाल को और मतवाला बना रहा थी।
राम-सीता की जोड़ी बहुत ही प्यारी लग रही थी। सुंदर वन की रौनक आज देखते ही बनती थी। मनमोहक हरियाली में गाजे-बाजे की धुन ने वातावरण को और सुरमई बना दिया था।सभी के मन की खुशी छलक-छलक कर उनके मुख पर आ रही थी। सब खुशी और आनंद के सरोवर में गोते लगा रहे थे, और लगाए भी क्यों न उनके पक्के दोस्त रामू हाथी का विवाह सीता हाथिनी से जो हो रहा था। अनोखे विवाह को देखने के लिए, आस-पास के सभी जंगलों के जीव वहांँ एकत्रित हुए थे। क्योंकि रामू ने एक नई रीति से विवाह करने का ऐलान किया था जिसे देखने की जिज्ञासा सभी को यहांँ खींच लाई थी।
अपने मित्र की शादी में खुश हो मानव बंदर जबरदस्त ठुमके लगा रह था, तो मिनी बिल्ली शहनाई बजा रही थी, भोलू भालू की ढोलक की थाप ने तो वहांँ मौजूद सभी के पैरों को थिरकने के लिए मजबूर कर दिया था। उस थाप पर राजा खरगोश और सोनू हिरण का नृत्य देख सभी ने दांतों तले उंँगली दबा ली थी। “अरे! भई राजा और सोनू तुम इतना सुंदर नृत्य करते हो, हमें तो पता ही नहीं था।” डिंपी मोरनी अपनी आंखों को गोल घुमाते हुए बोली। हरियल तोता नानू कबूतर को समझा ते हुए बोला, “यह विवाह अनोखा इसलिए है, क्योंकि दोनों ने जंगल के बीचो-बीच लगे बड़ पीपल, नीम, जामुन, और आंवले के वृक्ष के चारों ओर परिक्रमा करके अपना जीवन आरंभ करने का निर्णय लिया है।”
आज से पहले जंगल में ऐसा कभी नहीं हुआ था, लेकिन राम-सीता ने धड़ा-धड़ कट रहे वृक्षों की रक्षा खातिर यह निर्णय लिया था। साथ ही यह संदेश भी सभी को सुना दिया था, कि “यह पांचों वृक्ष अब हर सुख दुख में हमारे साथी हैं, अब यह हमारे परिवार का हिस्सा है। हम आजीवन इनका ध्यान रखेंगे।” उनकी अनोखी सोच की सभी प्रशंसा कर रहे थे। राम का व्यवहार सभी से बहुत अच्छा था। वह सदा सबकी मदद करता था, इसी से उसके दोस्तों की गिनती भी बहुत ज्यादा थी।
उसने अपनी शादी में सभी को बुलाया था, और सभी उसकी एक बुलावे पर सपरिवार विवाह में शामिल होने आए थे। उनका विवाह खूब धूम-धाम से चल रहा था। सब आनंद मग्न हो उन्हें पांचों पेड़ों की परिक्रमा कर नये जीवन की शुरुआत करते देख रहे थे कि………….. ।अचानक तेजी से बचते सायरन को अपनी ओर आते देख सभी एकदम सुट्ट हो गए। वहां कोलाहल एकदम गायब हो गया। राज-दरबार की गाड़ी विवाह मन्डप के पास आकर रुक गई थी, पर सायरन अभी भी बज रहा था। सब टकटकी लगाए गाड़ी को देख ही रहे थे, कि उसमें से महामंत्री चालू भेडि़ये के पीछे ही जंगल के राजा शेर खान को उतरते देख सबके दिल की धड़कन इतनी तेजी से बढ़ गई थी, कि उन्हें आपस में एक दूसरे की धड़कन की आवाज सुनाई दे रही थी।
जंगल में जब भी किसी की शादी होती, तो बुलावा तो सभी का शेर-खान के दरबार में जाता था, लेकिन वे आज से पहले कभी किसी शादी में नहीं आए थे। आज अचानक उनका आना कोई समझ ही नहीं पा रहा था, कि आखिर वे यहांँ क्यों आए हैं। आते ही शेर-खान की दहाड़ ने माहौल को एकदम पलट दिया था। “अनोखी शादी…….अनोखी शादी….. लो और आओ, मैंने तो पहले ही कहा था, मत चलो लेकिन खुद तो आई जो आई अपने साथ अड़ोसी-पड़ोसी को भी ले आई, मैंने कितना मना किया था, अब ना जाने हमारे साथ क्या होगा।” कह डबलू हिरण, लालू हिरणी को चुपके-चुपके कोहनी मारते हुए, आंखें दिखा रहा था।
शेरखान धीरे-धीरे चल सीधे राम और सीता के पास पहुंँचते ही गंभीर आवाजमे में बोले “मैं जानता हूंँ आप सभी मेरे यहांँ आने से हैरान हैं, मैं तो क्या मेरी कोई भी पीड़ी आज तक जंगल की किसी भी शादी में नहीं आई।”पर आज मुझे आना पड़ा।” शेरखान शांत हो इधर-उधर देखने लगे।सब के मन में एक ही बात चल रही थी, इस नए नियम के कारण राम व सीता के साथ हम सब को भी आज सजा भुगतनी पड़ेगी। तभी शेर खान ने महामंत्री चालू भेड़िए को इशारा कर कागजों का एक बंडल मंगवाया और सबको एक-एक कागज बांटने को कहा।
बंडल को देख सभी समझ गए कि इसमें सभी के नाम के साथ-साथ सजा मुकर्रर की गई है। सब कांपते हाथों से पर्चा लेते जा रहे थे, किसी की आंँखें पनीली हो गई थी, तो किसी को पर्चा हाथ में लेते ही चक्कर आने लगे थे। सब उस पर्ची को लेकर सुन्न से बैठ गए, लेकिन पढ़ा किसी ने भी नहीं कि उसमें क्या लिखा है। अब तक तो राम और सीता का भी मुंँह उतर गया था, कि हमारी वजह से यह सब भी मुसीबत में पड़ गए, दोनों एक दूसरे को देख अपने निर्णय पर दुखी होने लगे।
“अरे भाई! इसमें दुखी होने वाली क्या बात है, आप पर्चा पढें तो सही, मैं यहांँ इस अनोखी शादी के लिए राम और सीता को सम्मानित करने आया हूंँ।””साथ ही आप सभी को भी लिखित में यह शपथ दिलाने आया हूंँ कि सब अपने अपने पांँच पेड़ों की परिक्रमा कर ही विवाह करेंगे, व आजीवन उनकी रक्षा करने का प्रण लेंगे, तभी उन्हें विवाह की आज्ञा मिलेगी।”
इतना कहते ही शेर खान दहाड़ लगाकर हंँसते हुए फिर बोले “इस तरीके से हमारे जंगल भी सुरक्षित रहेंगे, पर्यावरण संतुलन भी बना रहेगा, और कोई भी बाहर का प्राणी हमारे जंगल को काटने की हिम्मत नहीं करेगा, इससे हम सब चैन का जीवन जी सकेंगें।” शेरखान की ऐसी दहाड़ती की हुई हंँसी जंगल वालों ने शायद पहली बार सुनी थी। थोड़ी देर बाद राम और सीता का अनोखा विवाह फिर प्रारंभ हुआ, राम और सीता की परिक्रमा पूरी होते ही, माहौल खुशनुमा हो गया। सब खुशी के आलम में इस कदर डूब गए कि शेर खान के पंजे पकड़ उसे भी अपने साथ नचाने लगे।
*अनीता गंगाधर शर्मा*
*अजमेर राजस्थान*
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