कन्नौज में बाबा गौरीशंकर

कन्नौज में बाबा गौरीशंकर का मंदिर-अपूर्वा अवस्‍थी


कन्नौज प्राचीन नाम कान्यकुब्ज श्रेत्र में स्थित गौरीशंकर मंदिर शिव पार्वती प्रेम का एक अद्भुत उदाहरण है। कन्नौज प्राचीन काल में राजा जयचंद की राजधानी रही और पृथ्वीराज चौहान ने जब संयोगिता का हरण किया तो क्षेमकली मंदिर से ही पूजा करके ले गये।उसी क्षेमकली मंदिर के समीप एक अद्भुत शिवलिंग प्रकट हुआ जिसकी यह विशेषता है कि इस शिवलिंग पर गौरी और शंकर दोनों का सम्मिलित रूप दिखाई देता है जो कि किसी अन्य शिवलिंग में देखने को नहीं मिलता। कन्नौज क्षेत्र और आसपास के लोग इस मंदिर में अनेक मन्नत मांगते हैं और पूरी भी होती हैं। सबसे सुंदर यहां की आरती है जो भक्तों को भाव विभोर कर देती है। कहते हैं शिव के स्वभाव के अनुसार उनके भक्त भी विशेष होते हैं।
कन्नौज के पी एम एम कालेज के हिंदी के प्रोफेसर स्वर्गीय रमेश तिवारी विराम बताते थे कि कन्नौज क्षेत्र में जुंआ खेलने की प्राचीन परंपरा रही है ऐसे ही एक व्यक्ति मंगूदादा जो जुंआ खेलने में माहिर थे वे जब जुंआ हार जाते थे तो गौरीशंकर बाबा के पास आकर घंटों रोते थे गाली देते थे लेकिन जब जीत जाते थे तो गौरीशंकर बाबा को हलवाई की दुकान से पूरी परात की मिठाई का भोग लगा देते थे।आज तो डिजिटल युग में बाबा गौरीशंकर का विभिन्न प्रकार से श्रृंगार होता है और बहुत दूर दूर से भक्त आकर बाबा के दर्शन करके सुख प्राप्त करते हैं।
डा अपूर्वा अवस्थी
लखनऊ, उत्‍तर प्रदेश

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