मारकंडेय महादेव- ज्‍योति सिंह

मारकंडेय महादेव को चिरंजीवी होने का वरदान कैसे और किससे मिला-

भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिले में स्थित कैथी ग्राम जो की गंगा के तट पर बसा है वही मार्कण्डेय महादेव की पावन मंदिर का निर्माण हुआ है इस मंदिर और मार्कण्डेय महादेव के बारे में हम आज विस्तृत चर्चा करेंगे क्योंकि यह कहानी भक्ति और भगवान के अटूट प्रेम को दर्शाता है विश्वास क्या होता है भक्ति क्या होती है ईश्वर अपने भक्तों पर कृपा कैसे दर्शाते हैं यह सब हम आज आप लोगों को अपने कलम के माध्यम से बताना चाहेंगे-

इसके साथ ही मैं यह भी बताना चाहूंगी मेरा घर वाराणसी जिले में ही स्थित है और मार्कण्डेय महादेव से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इस पावन मंदिर में हमारे घर का हर कार्यक्रम होता है चाहे वह शादी विवाह का हो या मुंडन संस्कार का मारकंडेय महादेव के आशीर्वाद के बिना हमारे यहां कोई भी कार्य सफल नहीं होता इसलिए उनकी कृपा हमें सदैव प्रोत्साहित करता है और अपने आशीर्वाद से महादेव हमें हमेशा प्रफुल्लित करते रहते हैं।

मारकंडेय महादेव की कहानी शिव के महान भक्त ऋषि मार्कंडेय जी से शुरू होती है ऋषि मृकंडु और उनकी पत्नी अरुंधति को कोई संतान नहीं थी उन्होंने भगवान भोले की कठोर तपस्या की जिसके बाद महादेव शिव ने उन्हें एक पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया लेकिन किसी श्राप के कारण मारकंडेय महादेव की आयु अल्प ही थी 16 वर्ष तक उनको जीवंत रहने का आशीर्वाद मिला मार्कंडेय ऋषि का जन्म हुआ और वह विद्वान, बुद्धिमान, प्रतिभावान एवं अदित्य असाधारण मनुष्य के रूप में धरती पर आए जब उनके 16 वर्ष पूरे होने वाले थे तो उन्हें अपनी मृत्यु का पता चला उन्होंने भगवान शिव की आराधना करना आरंभ किया और यमराज जब उन्हें लेने आए तो महादेव भगवान स्वयं प्रकट होकर मारकंडे जी की रक्षा किया और उन्हें अमर होने का वरदान दिया इस घटना के बाद मार्कण्डेय महादेव मंदिर की स्थापना भी किया गया जहां भगवान शिव और मार्कंडेय ऋषि दोनों की पूजा की जाती है यह इसलिए हुआ क्योंकि शिवलिंग को पकड़ कर मारकंडे जी भगवान की तपस्या में लीन थे यह पावन मंदिर वाराणसी के पास कैथी गांव में स्थित है और इसे पुत्र प्राप्ति लंबी आयु के लिए ही जाना जाता है।

यह मंदिर वाराणसी से 30 किलोमीटर दूर कैथी गांव में स्थित है सावन के माह में विशेष और महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां विशेष पूजा अर्चना और अभिषेक करने की परंपरा है।
मंदिर के पास मार्कण्डेय महादेव घाट और गंगा- गोमती संगम का भी अवलोकन देखने का सौभाग्य मिलता है इस मंदिर में प्रभु को बेलपत्र ,जल ,दूध, भांग- धतूरा ,फल और मिठाई आदि महादेव को जो पसंद है वही चढ़ाए जाते हैं इस मंदिर में भक्ति पौराणिक कथाओं वास्तुकला और आध्यात्मिकता का सार समेटे हुए है
जिसके लिए भारत जाना जाता है ।

यह ऋषि मार्कंडेय की प्राचीन कथा और ईश्वर से शांति जुड़ाव की तलाश करने वाले आधुनिक तीर्थ यात्रियों के बीच एक सेतु का कार्य करता है।
गंगा और गोमती दो नदियों का संगम भी यहां की खूबसूरती को दर्शाता है लोग आकर गंगा मां में अपने पापों को धोते हैं फिर उसके बाद मारकंडेय महादेव जी का दर्शन करते हैं मारकंडे (संस्कृत: मारकंडे रामेनकृत: मारकंडे) हिंदू साहित्य में वर्णित एक ऋषि हैं।
वे ऋषि मुकण्ड और उनकी पत्नी मनस्वीन के पुत्र हैं।
इसके साथ ही यह मंदिर कैथी में इसलिए स्थित है क्योंकि यहां ऋषि मार्कंडेय ने भगवान शिव की तपस्या और आराधना की थी और भगवान शिव ने उन्हें कैथी गांव में ही बचाया था और इसी गांव में अमर होने का वरदान दिया था इसलिए मारकंडेय महादेव की शिवलिंग की स्थापना यही किया गया क्योंकि बहुत ही प्रेम विश्वास से मार्कंडेय जी ने शिवलिंग को पकड़ के ही भगवान भोले की तपस्या महामृत्युंजय मंत्र के साथ किया था यह कहानी विश्वास और दृढ़ता के साथ शक्ति का प्रमाण है और वर्तमान समय में भी लोगों को यह कहानी बहुत ही प्रेरित करती है एक खास बात यह भी है की शिवलिंग से लिपटकर बाबा भोले की स्तुति करना अपने आप में अद्भुत, अदित्य भाव को दर्शाता है इसलिए महामृत्युंजय मंत्र सभी कष्टों रोगों बधाओं से मुक्ति का मार्ग दिखाता है।
ॐ त्रयंबकम् यजामहे मंत्र जाप करके महादेव की स्तुति करता है।
कुछ विशेष बातें-
मार्कंडेय ऋषि को अष्ट चिरंजीवी में से एक माना जाता है और जन्मदिन पर उनकी पूजा करने की मान्यता भी है।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप 108 बार माला के साथ करना महत्वपूर्ण माना गया है।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से पहले संकल्प करना चाहिए जिससे भगवान शिव का आशीर्वाद उपासना के रूप में भक्तों पर कृपा बरसाता है।
इस मंदिर में एक पवित्र कुआं भी स्थित है उसका बहुत महत्व है यह कुआं जिसे मारकंडे कुंड के नाम से भी जाना जाता है धार्मिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार चर्म रोग से पीड़ित रोगियों के लिए यह कुआं वरदान है हमेशा के लिए चर्म रोग से मुक्ति दिलाता है इसके अलावा संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपतियों के लिए भी यह कुंड महत्वपूर्ण है और कहा जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से सर्व मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
हर साल वैशाखी पर्व पर मारकंडे तीर्थ पर 3 दिन का मेला भी लगता है जो इस स्थान की धार्मिक और सामाजिक महत्व को दर्शाता है।
यही है हमारे महादेव की कृपा जो संभव को भी असंभव बनाकर सृष्टि के निर्माण में अपना योगदान देते आये हैं धन्य हैं हम जो काशी जैसे पावन धरती पर बाबा भोले के छांव में हमारा जन्म हुआ।
।।हर हर महादेव।।

ज्योति राघव सिंह
वाराणसी -(उत्तर प्रदेश)
वर्तमान पता- लेह लद्दाख

ज्योति राघव सिंह
वाराणसी ( उत्तर प्रदेश)
वर्तमान पता- लेह-लद्दाख

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