यह कुर्सी भी अजीब होती है चाहे वह लकड़ी की बनी हो या लोहे की बनी हो या कुशन कवर से सज्जित मजबूत और ठोस धातु से बनी हो। सभी प्रकार की कुर्सी महत्वपूर्ण होती है। बस उस पर बैठने वाला महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। कुर्सी का महत्व बैठने वाले पर निर्भर करता है। यह कुर्सी चाहे घर में हो या आफिस में उसका महत्व उसके कार्य पर निर्भर करता है।
मैं अब सरकारी हायर सेकंडरी स्कूल में प्राचार्य की कुर्सी महिमा का वर्णन करता हूं। यह स्कूल बारहवीं कक्षा तक शिक्षा विद्यार्थियों को प्रदान करता है। पहली से बारहवीं तक तीन सेक्शन वाला स्कूल है जहां 1800 छात्र और छात्राओं को पचास शिक्षक सही शिक्षा देते हैं। सबसे बड़ी बात और तथ्य यह है कि बोर्ड परीक्षा का परिणाम पांच वर्षों में शत-प्रतिशत रहा है। यही नहीं, पिछले पांच वर्षों से प्राचार्य की कुर्सी पर बहुत ही योग्य और राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त श्रेष्ठ शिक्षक और प्रशासक विराजमान है। जिन्होंने इस स्कूल को कम समय में पूरी तरह से सुधार दिया। पहले यह स्कूल पूरे जिले में बहुत बदनाम था। सदैव बोर्ड का परिणाम 50% से कम आता था। स्कूल का अनुशासन बहुत खराब रहता था। बड़ी कक्षा के विद्यार्थी अनुशासनहीनता के शिकार रहते थे अक्सर स्कूल के बाहर और अंदर मारपीट में संलग्न पाये जाते थे। स्कूल की कुर्सी पर सुशोभित प्राचार्य ढीले-ढाले व्यक्तित्व के मालिक थे। इसलिए शिक्षक योग्य नहीं थे और छात्रों की सही और उचित पढ़ाई के अतिरिक्त अन्य कार्य में अधिक संलग्न रहते थे। कुल मिलाकर यह स्कूल एक अच्छा स्कूल नहीं माना जाता था और और सरकारी शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी सदैव नाराज रहते थे।
कुशल योग्य प्रशासक के कारण विज्ञान, वाणिज्य और कला वर्ग का बोर्ड परीक्षा का परिणाम अव्वल रहता था। यही नहीं, राष्ट्रीय विज्ञान और सामाजिक विज्ञान प्रदर्शनी में इस विद्यालय के छात्र अपने प्रोजेक्ट के माध्यम से देश के नागरिकों को प्रेरणा देने में सक्षम होते थे। राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न खेलों में इस स्कूल के खिलाड़ी अपना नाम रोशन करते हैं और स्पोर्ट्स एंड गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की राष्ट्रीय टीम में चयनित होकर देश का नाम विश्व में सबसे ऊंचा करने में सफलता प्राप्त की है।
आज यह विद्यालय जिला का ही नहीं अपितु राज्य का सर्वश्रेष्ठ विद्यालय माना जाता है। प्रति वर्ष यहां के शिक्षक जिला स्तर और राज्य स्तर पर अपनी उच्च उपलब्धियों के कारण सम्मानित होते रहते हैं। प्रातः असेंबली बहुत देखने योग्य होती । 25 मिनट की असेंबली में सुव्यवस्थित रूप से प्रार्थना, विचार, समाचार, संक्षिप्त पी.टी. और प्राचार्य का संक्षिप्त प्रेरणादायक उद्बोधन और अंत में राष्ट्रगान संपन्न नियमित होता है।
कुर्सी का महत्व सदैव उस पर बैठने वाले योग्य व्यक्ति पर निर्भर करता है। इससे उस कुर्सी का व्यक्तित्व और महत्व बढ़ जाता है। अपनी विशेष योग्यता से कुर्सी की चमक कई गुनी बढ़ जाती है। इसलिए सभी लोग कुर्सी का महत्व सदैव समझते हैं और प्राचार्य कक्ष में कुर्सी भले ही साधारण रंग रूप की होती है लेकिन व्यक्तित्व की महिमा उस कक्ष की सुंदरता को बढ़ा देता है। इसलिए जब स्कूल का दायित्व योग्य हाथों में होता है तब शिक्षा का विकास तेजी से बढ़ता जाता है। सभी नागरिकों का मानना है कि यदि सभी स्कूलों का दायित्व योग्य प्रशासक/ प्राचार्य के हाथ में होगा तो राज्य में शिक्षित और जागरूक नागरिक होने से विकास की प्रक्रिया बहुत तेजी से हो सकती है।
इंदु शेखर त्रिपाठी
कोंडापुर -हैदराबाद –500084 , तेलंगाना राज्य।
मोबाइल नं.9389072361.ईमेल — i.s.tripathi@gmail.com

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