अविस्मरणीय यादें -क्रिसलय दुबे

प्रेरणास्रोत-कुंदन पाटिल

हम सहकर्मी कुल छः मित्र बाबा अमरनाथ की यात्रा पर गए थे।  कहते हैं कि खतरनाक जोखिम भरी यात्राओं में कैलाश मानसरोवर के बाद बाबा अमरनाथ की खतरनाक यात्रा है। उसपर आतंकवादी यो की यात्रा न करने देने की तब की चेतावनी इस यात्रा को मानसिक रूप से और जटिल जोखिम भरी कर देती थी। हमारे सहयात्री मित्र श्री मोहनलाल कारपेंटर की दूसरी बार बाबा अमरनाथ यात्रा थी तो उन्हें यात्रा का अनुभव जोखिम की जानकारी थी जो वे समय-समय पर हमसे साझा करते रहते थे।

               हमारी यात्रा लोकल रेल टिकट से सुरु हुई पहला पड़ाव जम्मू और फिर अगले दिन बैल गांव पहुंचे यहां रात्रि विश्राम कर सुबह जल्दी उठ जीप के द्वारा ब्रह्ममुहुर्त में ही हम चंदनवाड़ी पहुंच चुके थे यहां सेना द्वारा सभी भक्तों के साथ लाए पेपर जांचें जा रहें थे एक लाइन मेंने देखा सामने पहाड़ पर लोग चले जा रहे हैं जीतना उपर देखता लोग छोटे और छोटे होते जा रहे थे पहले माचिस के खोखे समान तो आगे देखने मे मकोड़े की लाइन समान लोग एक के पिछे एक दिख रहे थे और जब पहाड़ का शीर्ष पर देखा तो वह बादलों को छुता पहाड़ था हमारी धड़कने यह दृश्य देखकर बड़ने लगीं थीं हमें भी पैदल चढ़कर जाना था तभी मोहनलाल जी कारपेंटर बोलें क्या हुआ! ये जो चंदनवाड़ी का पहाड़ दिख रहा है ऐसे दो और पहाड़ आज़ ही पार करना है। अब हमारी धड़कने ओर बड़ने लगी थी हम धीरे-धीरे पहाड़ चढ़ रहें थे की एक युवा साधूं वेशभूषा में जिनके घुटने से पेर कटे हुए थे वे अपने हाथों के सहारे गगनचुंबी पहाड़ विजय करने की मुद्रा में बढ़ते जा रहे थे हांथ टेकते पुट्ठे आगे रखते ओर आगे बड़ते जातें उन्हें देख हम सभी अचंभित थें मुझसे रहा न गया मेंने पुछ ही लिया बाबा किधर बाबा बोले! जिधर आप जा रहें हैं ‌मै भी वही बाबा अमरनाथ के दर्शन को जा रहा हूं अब बातों में समय न बर्बाद करों जय बाबा बर्फानी बोलों और आगे बड़ते चलों और मानों कोई चमत्कार हुआ हों बाबा हमारे लिए प्रेरणास्रोत का काम कर गये हममें नव उर्जा नव चेतना का संचार कर गये और हम सभी भक्त गण तीनों विशाल पहाड़ पार कर सांझ ढलने तक ‌शेषनाग चुकें थे यूवा दिव्यांग साधूं बाबा का हमारे लिए आज़ प्रेरणास्रोत थें जो असम्भव लक्ष्य भी हमने समय रहते मंजिल पर थे।

कुंदन पाटिल देवास

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