कोकराझार असम का प्रवेश द्वार-राजसश्री

असम का कोकराझार जिला अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत (विशेष रूप से बोडो संस्कृति), प्राकृतिक सुंदरता और वन्य जीवन के लिए जाना जाता है। यह बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (BTR) का मुख्यालय भी है और इसे अक्सर “पूर्वोत्तर भारत का प्रवेश द्वार” कहा जाता है। कोकराझार जिले की प्रमुख विशेषताएँ और खासियतें इस प्रकार हैं:
मुख्य विशेषताएँ-
बोडो संस्कृति का केंद्र: कोकराझार बोडो समुदाय की अनूठी परंपराओं, रीति-रिवाजों और कला का एक वैश्विक केंद्र है। यहाँ के त्योहार, पारंपरिक नृत्य और हाथ से बुने हुए वस्त्र सदियों पुरानी शिल्प कौशल को दर्शाते हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य: यह जिला निचली ब्रह्मपुत्र घाटी में स्थित है और हरे-भरे जंगलों, घुमावदार नदियों और सुरम्य चाय बागानों से भरा हुआ है।
वन्य जीवन का स्वर्ग: कोकराझार जैव विविधता से समृद्ध है। यह मानस बायोस्फीयर रिजर्व (Manas Biosphere Reserve) का एक हिस्सा है और यहाँ दो प्रमुख वन्यजीव अभयारण्य हैं।
१)चक्रशिला वन्यजीव अभयारण्य (Chakrashila Wildlife Sanctuary): यह अभयारण्य लुप्तप्राय सुनहरे लंगूर (Golden Langurs) के निवास स्थान के लिए विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक शानदार जगह है।
२)रायमोना राष्ट्रीय उद्यान (Raimona National Park): 2021 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया यह क्षेत्र अपने विविध वनस्पतियों और जीवों, जैसे बंगाल टाइगर, एशियाई हाथी और क्लाउडेड लेपर्ड के लिए जाना जाता है।
३)महामाया मंदिर (Mahamaya Temple)– यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जिसे कामाख्या मंदिर के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण मंदिर माना जाता है। यह भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करता है।
४)सरलपारा पिकनिक स्थल
(Saralpara Picnic Spot)–भारत-भूटान सीमा के पास स्थित यह स्थान अपने प्राकृतिक झरनों, नदियों और पहाड़ों के बीच पिकनिक के लिए लोकप्रिय है।
५)दीप्ली बील (Diplai Beel)–
यह एक प्राकृतिक आर्द्रभूमि और पक्षी अभयारण्य है, जहाँ विभिन्न प्रकार के स्थानीय और प्रवासी पक्षी देखे जा सकते हैं।
जिले की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है, जिसमें चावल, जूट और सरसों प्रमुख फसलें हैं। स्थानीय हस्तशिल्प, विशेष रूप से बांस और बेंत के उत्पाद, और हथकरघा बुनाई यहाँ की विशिष्ट पहचान हैं।

राजसश्री चक्रवर्ती
कोकराझार

8486336345

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