साहित्‍य सरोज व

आपको भी पत्‍नी राेकती है ताश खेलने से ?अब नहीं रोकेगी-अखंड गहमरी

अखंड गहमरी

पुरूषों की अकसर शिकायत रहती है कि उनकी पत्‍नी उनको ताश खेलने से रोकती है। लेकिन शायद उसे पता नहीं होता है कि जिसके हाथ में ताश के पत्‍ते होते हैं वह ब्रह्मांड का मालिक होता है। मौसम, दिन, सप्‍ताह, साल, सब कुछ उसके हिसाब से होता है। देव, दावन, ग्रह-नक्षत्र सब आपके बस मे रहते हैं। आप संसार के ज्ञानी पुरूषों में गिने जाते हैं। आईये जानते हैं क्‍या कहते हैं ताश के पत्‍ते आपके हाथ में। अगर आप ताश खेलते हैं तो ठीक है नही खेलते तो समझ जाईये कि आप न प्रकृति प्रेमी है न आपके हाथ में यह ब्रह्मांड है। ताश के खिलाड़ी प्रकृति, संस्‍कृति और लक्ष्‍मी और सरस्‍वती को अपने हाथ में रहते हैं।
ताश में कुल 52 पत्‍ते होते और आप तो जानते ही हैं कि साल में कुल 52 सप्‍ताह होते हैं। तो जब आप ताश के पत्‍ते को फेंटते हैं तो आप के हाथ में पूरे 52 सप्‍ताह रहते हैं जो आपकी मर्जी से चलते है। कहा जाये तो आप सप्‍ताहों के राजा हुए तो गलत नहीं होगा। ताश में कुल 4 प्रकार के 13-13 पत्‍ते होते हैं, और साल में 4 मौसम, वो गाना सुना है न कि पतझड़, सावन, बसंत, बहार एक बरस के मौसम चार और हर मौसम में कुल 13-13 सप्‍ताह होते हैं तो आपके हाथ में चारो मौसम और उनके 13-13 सप्‍ताह आपके साथ कहने के अनुसार चलते हैं।
अब आईये ताश के सभी पत्‍ते यानि एक्‍का, दुक्‍की, तिक्‍की से 13 तक का नंम्‍बर होता है। और यह चार प्रकार के होते हैं। यदि आप एक से 13 तक को एक साथ जोड़ दें यानि एक साथ पूरे पत्‍ते हाथ में ले लें तो योग होता है 91 और 91 को 4 से गुणा करते है तो योग आता है 364 जिसमें एक जोकर को जोड़ दीजिए तो योग आता है 365 यानि पूरा साल तो आपके हाथ मेंं पूरा साल रहता है। आप पूरे साल के स्‍वामी हो गये। और यदि आपने एक और जोकर और जोड़ दिया तो हो गया 366 यानि जो फरवरी का महीना 29 दिन का रहता है वह भी आपके अधीन आ गया।
अब देखीये ताश में 2 रंग के पत्‍ते होते हैं जो दिन और रात का प्रतिनिधित्‍व करते हैं। तो दिन और रात भी आपके कब्‍जे में आ गई।
अब आईये अंक देखते हैं
एक्‍का -सत्‍य एक है मौत उसका एहसास करा के आपको गलत कार्यो से रोकता है।
दुक्‍की – पृथ्‍वी और आकाश
तिक्‍की – ब्रम्‍हा, विष्‍णु, महेश।
चौका- चार वेद का प्रतिनिधित्‍व करता है यानि ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद
पंजा- पंच प्राण का प्रतिनिधित्‍व करता है यानि प्राण, अपान, व्यान, उदान, और समान.
छक्‍का – यानि षडरिपु का मतलब होता है, मन के छह शत्रु. काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मात्सर्य.
सत्‍ता – सात सागर को आपके अधीन करता है ।
अठ्ठा- आठ सिद्धीयों को आपके अधीन करता है।
नहला – नौ ग्रह को आपके अधीन करता है
दहला- दस इंद्रियाें यानि आंख, कान, नाक, जीभ, त्वचा, हाथ, पैर, मुंह, गुदा, लिंग. को आपके अधीन करता है।
फिर आता है 11 जिसे गुलाम कहा जात है- वो आपके मन को वासना के गुलाम होने से बचाता है।
फिर आता है 12 जिसे बेगम यानि अंग्रेजी का क्‍यू कहा जाता है बेगम यानि मोह माया से आपका दर्शन करता है।
फिर आता है 13 जिसे बादशाहा और अंग्रेजी में के है वह आपके बादशाह होने का एहसास दिलाता है।
अब आते हैं पत्‍तो पर तो ताश में चार प्रकार के पत्‍ते होते हैं पहला पान, हुकुम, तीसरा चीड़‍िया और चौथा ईंट का पत्‍ता।
तो चीड़‍िया आपको जीव-जन्‍तु को अपना बनाना सिखाती है।
पान का प्रयोग शुभ काम में होता है, कहा जाता है कि पूर्ण भोजन करा के यदि पान न खिलाया जाये तो भोजन पूर्ण नहीं होता। तो पान का पत्‍ता सम्‍पूर्णता की निशानी है।
उसके बाद आता है हुकुम तो हुकुम  का अर्थ होता है आदेश तो जब आपके हाथ में हुकुम का पत्‍ता होता है तो पूरी दुनिया आपके हुकुम यानि आज्ञा का पालन करती है। यहॉं यह बात जरूर है कि आपकी पत्‍नी आपके हुकुम का पालन करती है या आप उसके हुकुम पर सर के बल चल देते है यह आप दोनो को ही पता होगा।
अब आते हैं चौथे पत्‍ते ईंट पर तो आप जानते ही हैं कि सांसारिक जीवन में रोटी, कपड़ा और मकान का कितना महत्‍व है, तो बिना ईंट के आप मकान की कल्‍पना भी नहीं कर सकते हैं। तो ईंट जरूरी है।
अब बताईये इतने के बाद आपकी पत्‍नी आपको ताश हाथ में लेने से रोकेगी, नही न तो फिर बजाईये बाजा और टूट पड़ीये ताश पर।
*अखंड गहमरी*
9451647845

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