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"साहित्य सरोज त्रैमासिक पत्रिका - कविता, कहानी, लेख, शोध पत्र, बाल उत्‍थान, महिला उत्‍थान, फैंशन शों, शार्ट फिलम और विशेष आयोजन के लिए पढ़ें। संपादक: अखण्ड प्रताप सिंह 'अखण्ड गहमरी

आसमानी आग

सुना था कि इंसान को उसके कर्मो का फल अगले जन्म में मिलता है। पर ये भी सुना गया है कि यह कलयुग है साहेब।अब यहाँ का किया यही मिल जाता है। अगले जन्म का इंतज़ार भी नही करना है । और लग रहा है कि यह पूरी तरह सत्य किवदंती है क्यों कि हम सबने प्रकृति के साथ जो छेड़छाड़ की है ,उसका अंधाधुंध दोहन किया है यह आसमान से बरसती आग उसका ही प्रतिफल है ।
बिना सोचे समझे पेड़ काटते चले गए ,
नदी ,नाले पाटते चले गए
गाड़िया बेतहाशा बढ़ गयी है । हर घर मे एसी है
हर गाड़ी में एसी है ।
तो इन से जो गर्मा गर्म हवा निकलती है वो कहां जाएगी ?
कोई भी दो कदम पैदल नही चलना चाहता ।
पर हर व्यक्ति जिम जाने को तैयार है
वहाँ घण्टो चलेगा । कितनी बिजली इसमें लग जाती है
जिम में बेतहाशा लाइट इस्तेमाल होती है ।अरे मेरे भाइयो – बहनों पैदल चल लो ,दौड़ लो ,साइकल चला लो ,तैरना आता है तो रोज तैरने जाओ । इसमें कही बिजली नही खर्च हो रही है।साइकल से कही जाने में हमें शर्म आती है।पर जिम में पैसे दे कर साइकल चलाने में शर्म नही आती। बल्कि गर्व का अनुभव होता है कि हम फलाने जिम जाते हैं।आखिर ऐसा क्यों है
पहले हमें अपनी सोच बदलने की ज़रूरत है। नीचे जाइये। सुबह या शाम ठंडी हवा में ज़रूर घूमे । इससे घर की बिजली भी बच जाएगी और अड़ोसी पड़ोसी से दो चार बातें मुलाकातें भी होगी ,जिस से आपसी रिश्ते प्रगाढ़ होंगे । बचपन क्यों खराब कर रहे है हम बच्चो का ,उन्हें शुद्ध हवा और पानी तो दे । सोच बदलो ।देश बदल जायेगा।


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