आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति-ज्‍योति सिंही

आज के वर्तमान समय में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति का मुख्य कारण अवसर निराशा माना जाता है ,क्योंकि निराशा के चलते अवसाद, मनोभाजन ,नशे की लत मानसिक विकारों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
तनाव के कारक जैसे- वित्तीय कठिनाइयों या पारस्परिक संबंधों में परेशानियां की भी अक्सर एक भूमिका होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मानसिक रोगों में डिप्रेशन विश्व में हार्ट अटैक के बाद मृत्यु का दूसरा बड़ा कारण है ।
मानसिक रोग पूरी दुनिया में महामारी का रूप लेने के लिए तैयार है। ऐसा माना जाता है कि आज वर्तमान टाइम में चार में से एक व्यक्ति मानसिक अवसाद ,मानसिक तनाव का शिकार है क्योंकि डिप्रेशन के लास्ट स्टेज में सोचने समझने की क्षमता खत्म होती जा रही है स्वयं पर कंट्रोल नहीं होता है।

ऐसे में इंसान स्वयं को नुकसान भी पहुंचा सकता है इतना ही नहीं वह सुसाइड भी कर सकता है यानी आत्महत्या। सामान्य मानसिक बीमारियों जैसे- डिप्रेशन ,एंग्जायटी डिसऑर्डर, स्ट्रेस आदि मामलों में 6 महीने से लेकर 2 साल तक दवाई चलती है फिर डॉक्टर खुद ही कुछ दिन बाद दवाई भी बंद करने को कह देता है अब हम जानते हैं कि डिप्रेशन का कारण क्या है?
तो डिप्रेशन के मुख्यतः तीन लक्षण है-
१-ठीक से ध्यान केंद्रित ना कर पाना निर्णय लेने में कठिनाई होना।
२-आत्मविश्वास की कमी होना।
३-स्वयं को कमजोर दोषी अयोग्य महसूस करना अर्थात निराशावादी बन जाना।
पर एक बात है डिप्रेशन ,पागलपन अलग चीज हैं और डिप्रेशन के अधिकांश मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं जबकि पागल आदमी को ठीक होने का अधिकांश चांस होता ही नहीं अधिकतर देखा जाए तो युवा लड़कियों और महिलाओं में आत्महत्या का कारण सामने आ रहा है क्योंकि आज की लड़कियों का कम उम्र में विवाह कर देना और उनका मां बन जाना, निम्न सामाजिक स्थिति, घरेलू हिंसा, आर्थिक निर्भरता, लैंगिक भेद -भेदभाव भी आत्महत्या के महत्वपूर्ण कारण है ।आत्महत्या के आंकड़ों के अनुसार भारत में वर्ष 2022 में परीक्षा के असफलता के कारण 2095 युवा पीढ़ी ने आत्महत्या की थी। युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का बोझ काफी ज्यादा है लेकिन उनमें से ज्यादा उपचार नहीं कराते परीक्षाओं में सफलता की होड़-सी और अभिभावक व शिक्षकों का दबाव असफलता का डर यह सब मुख्य कारण बनते जा रहे हैं।गरीबी, बेरोजगारी, सामाजिक बहिष्कार, भेदभाव और परिवार में कलह-तनाव भी आत्महत्या की ओर युवा पीढ़ी को धकेल रहा है।
वर्तमान में इंटरनेट भी युवाओं के बीच उल्लेखनीय वृद्धि आत्महत्या की प्रमुख भूमिका अदा कर रही है।
अब हम चर्चा करेंगे इससे कैसे बचा जा सके इसका कारण जो भी हो इसे हमें कैसे रोकना होगा निम्न बातों पर हम चर्चा करेंगे-
१-युवाओं को आत्महत्या से बचने के लिए उनकी मानसिक परेशानी को शीघ्र ही समझे और अनुकूल वातावरण में उनकी देखभाल के समुचित प्रावधान होने चाहिए।
इसे रोकने के लिए मानसिक ,
-स्वास्थ्य सेवाओं को सभी के लिए बनाना आवश्यक है और दवाई भी सस्ती दर पर उपलब्ध कराना चाहिए।
२-शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन लाकर परीक्षा में आत्मविश्वास बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।
३-नशे से ग्रस्त युवाओं के लिए नशा मुक्ति केंद्रो की स्थापना करनी चाहिए।
४-सड़क यातायात व ट्रैफिक पुलिस द्वारा सख्त कार्रवाई करना चाहिए क्योंकि मनमानी ढंग से हेलमेट बिना तेज स्पीड में वाहन टकराव से भी मृत्यु और आत्महत्या की दर बढ़ रही हैं।
५-सबसे अहम बात अगर कोई भी युवा , प्रौढ़,महिला अन्य आत्महत्या के विचारों से जूझ रहे है तो उसे किसी विश्वसनीय व्यक्ति से बात करनी चाहिए या दोस्त परिवार को उनका साथ देना चाहिए।
क्योंकि वह इस हालत में नहीं रहते की क्या सही है क्या गलत है इसका निर्णय ले सके?
आत्महत्या जैसी घातक प्रवृत्ति से बचने के लिए स्वस्थ जीवन शैली अपनाना बहुत जरूरी है स्वस्थ जीवन शैली के अंतर्गत पर्याप्त नींद, स्वस्थ भोजन ,नियमित व्यायाम और तनाव को कम करने के लिए स्वस्थ मनोरंजन बहुत ही आवश्यक है।
इसे हम सभी को करना है।
इसके अलावा सदैव सकारात्मक सोच रखें,नकारात्मक विचारों को दूर भगाएं उन्हें ऐसे लोगों से मित्रता या निकटता रखनी चाहिए जो उन्हें सही सलाह दे और उनके मानसिक बल को बढ़ाएं क्योंकि युवा देश के समाज के नींव होते हैं।हमें हर हाल में आत्मघाती प्रवृत्ति का समूल नष्ट करना होगा और अपने देश की युवा शक्ति, महिला शक्ति, प्रौढ़ शक्ति , वृद्धों अनुभवी लोगों को बचाकर उन्हें देश के नवनिर्माण के लिए तैयार करना होगा क्योंकि हमारे समाज, देश को युवाओं के साथ अनुभवी लोगों का भी साथ चाहिए।

ज्योति राघव सिंह
वाराणसी ( उत्तर प्रदेश)
वर्तमान पता -( लेह लद्दाख)
87368 43807

 

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