अंधविश्वास को समझने के लिए वैज्ञानिक दृष्टि – डॉ शीला

समाज में टोने टोटके के प्रति विश्वास प्राचीन काल से चली आ रही है और यह देखा जा रहा है कि समय के साथ यह और भी बढ़ता जा रहा है।आज तथाकथित व्यक्ति विभिन्न प्रकार के टोने टोटके के माध्यम से कई उपायों को बताते फिर रहे हैं। जो केवल मनुष्य के मन में भ्रम को पैदा कर रहे हैं। इनके द्वारा यह भी दावा किया जाता है कि इस टोटके को करने से पल भर में ही आपकी समस्या खत्म हो जाएगी। लोगों के मन में तो पहले से ही भय रहता है कि यदि बिल्ली रास्ता काट जाएगी तो काम बिगड़ जाएगा और वह अपना रास्ता बदल लेते हैं कोई छींक दे तो अनर्थ हो जाएगी दुर्घटना घटित हो जाएगी। यह एक मात्र मन में बैठा हुआ भय और अंधविश्वास से अधिक और कुछ नहीं है। शनिवार को यदि रास्ते में निकल जाओगे तो जगह-जगह पर नींबू और मिर्ची फेंकी हुई मिल जाएगी। अंगूठी ताबीज पहनना, बच्चों को काला टीका लगाना दुकान में नींबू मिर्ची टांगना इस प्रकार के बातों को मानने वालों की आज कमी नहीं है। समय-समय पर इस पर तर्क होते रहे हैं की क्या यह सिर्फ एक अंधविश्वास है या इसके इसके पीछे वैज्ञानिकता छिपी हुई है?
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि यह सिर्फ आत्म संतुष्टि का माध्यम है जब लोग किसी घटना की व्याख्या नहीं कर पाते हैं या उनको समझ नही पाते है की उनके साथ क्या हो रहा है, तब वह भय से आतंकित हो जाते हैं। और इसे निजात पाने के लिए इस प्रकार की क्रियाओं को करने लगते हैं।आधुनिक भाग दौड़ की जिंदगी में हर व्यक्ति परेशान है और कम मेहनत कर अधिक से अधिक सफलता पाने की कोशिश में लगा हुआ है। जिसके लिए वह टोने टोटके को सशक्त माध्यम समझता है। विश्वास कर लेता है की इस कार्य से मुझे शीघ्र सफलता प्राप्त हो जाएगी।
समाज में जो भी क्रिया है जो इन ओझाओं के माध्यम से या तंत्र-मंत्र जाने वालों के माध्यम से किया जाता है उसका वैज्ञानिक रूप से विश्लेषण आवश्य करना चाहिए क्योंकि जिन शक्तियों का वह दावा करते हैं वास्तव में यह उनके पास है या नहीं।
प्राचीन सिद्ध पुरुष जो होते थे उनके पास यह सिद्धियां होती थी। क्योंकि उनका जीवन यम, नियम, संयम और प्राणायाम से साध्य होता था। लेकिन आज के इन तथा कथित लोगों के पास ऐसी शक्तियों का होना विरल ही है क्योंकि आज एक तांत्रिक पोटेशियम परमैग्नेट में घी डालकर के हाथ से धुआं निकाल करके यह प्रदर्शित करता है कि मैं चमत्कार किया है। अगर किसी को सांप काट लेता है तो वह झाड़ फूंक वाले के पास जाता है जबकि यह देखा गया है कि हर सांप विषधर नहीं होता है व्यक्ति सिर्फ भय के कारण अचेत हो जाता है और वह ओझा के पास जाते ही झाड़ फूंक से ठीक हो जाता है जबकि विषधर सांप के काटे हुए को वह ओझा ठीक नहीं कर पाता है।
यह कहना गलत होगा कि अंधविश्वास केवल ग्रामीण लोगों में या कम पड़े लोगों में पाया जाता है बल्कि आज यह अंधविश्वास उच्च शिक्षित वर्ग में भी पाया जा रहा है। टोने टोटके की वैज्ञानिकता को समझना बहुत आवश्यक है।प्राय यह देखा गया है कि व्यक्ति को भूत पकड़ लिया है, इस प्रकार के भ्रम रहता है,जबकि वैज्ञानिकता की दृष्टि से अगर बात की जाए तो जब शरीर में सोडियम और पोटेशियम की मात्रा बढ़ जाती है तो व्यक्ति विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रिया और अनुचित व्यवहार करने लग जाता है, जिसको देखकर ऐसा लगता है कि इसके ऊपर किसी भूत प्रेत का साया आ गया है। जबकि ऐसी कोई बात नहीं होती है। जब शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड का दबाव बनता है तो शरीर में एक भारीपन आ जाता है इसका सीधा संबंध आपके खान-पान से है। अगर रात के समय आप किसी पेड़ के नीचे चले जाओगे तो कार्बन डाइऑक्साइड के कारण से आपको ऐसा लगने लगेगा कि मुझे कोई दबाने की कोशिश कर रहा है या भारीपन महसूस होगा जैसे कार्बन डाइऑक्साइड अधिक छोड़ने वाले पेड़ इमली या बेर, ऐसे पेड़ों में भूत होने का दावा किया जाता है। इसको दूर करने के लिए तथाकथित तांत्रिक या ओझा ऐसी वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं जिससे अधिक से अधिक ऑक्सीजन का उत्सर्जन होता है जैसे कपूर लौंग धूप आदि। इससे वह व्यक्ति शीघ्र सामान्य अवस्था में आने लग जाता है जिसके ऊपर यह दावा किया जा रहा है इसके ऊपर भूत का साया है। कहने का तात्पर्य है कि टोने टोटके के पीछे वैज्ञानिकता छिपी हुई है लेकिन इसको अंधविश्वास में लेकर कार्य नहीं करना चाहिए।
हमारे जीवन में प्रकृति का प्रभाव पूर्ण रूप से पड़ता है सूर्य की प्रकाश ऊर्जा का सबसे प्रमुख साधन होता है ऊर्जा का नियम है ना तो यह जन्म लेता है और नहीं समाप्त होता है। सूर्य के सातों रंगों का प्रभाव हमारे जीवन में पड़ता है। और इन सप्त रंगों को आकर्षित करने के लिए पत्थरों का प्रयोग किया जाता है। ताकि हम अपने आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित कर सके। इसीलिए हमारी प्राचीन सनातन सभ्यता यही कहती है कि यम,नियम, संयम और प्राणायाम के माध्यम से अपने जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है। इस प्रकार सदा जीवन उच्च विचार के रास्ते को अगर अपना लेंगे तो जीवन में कभी भी किसी टोने टोटके की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। अधिक टोने टोटके के चक्कर में पढ़ने से मन भ्रमित होता है।

डाक्‍टर शीला शर्मा
बिलासपुर, छत्‍तीसगढ़
95895 91992

 

अपने विचार साझा करें

    About sahityasaroj1@gmail.com

    Check Also

    एक कालातीत दृष्टि को श्रद्धांजलि प्रबुद्ध घोष

    एक कालातीत दृष्टि को श्रद्धांजलि प्रबुद्ध घोष

    इंडियन कार्टून गैलरी (बेंगलुरु) गर्व के साथ पेश कर रही है “आर.के. लक्ष्मण की नजर …

    Leave a Reply

    🩺 अपनी फिटनेस जांचें  |  ✍️ रचना ऑनलाइन भेजें  |  🧔‍♂️ BMI जांच फॉर्म