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“बैंकॉक आर्ट बिएनाले 2024”: कला के माध्यम से धरती और मानवता का संरक्षण- प्रबुद्ध घोष

बैंकॉक आर्ट बिएनले (BAB) 2024 का विषय “नर्चर गैया” (थाई भाषा में “रक्षा गया”) है, जो माँ पृथ्वी की पोषण शक्ति को दर्शाता है। यह आयोजन मानवीय अस्तित्व से जुड़े गंभीर मुद्दों की रचनात्मक पड़ताल करता है। 25 फरवरी 2025 तक चलने वाले इस चौथे संस्करण में जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय क्षरण, महामारी और सामाजिक संकटों को केंद्र में रखा गया …

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ज्‍योति की कहानी पहला प्‍यार

साहित्य सरोज सप्ताहिक आयोजन क्रमांक- 2 सोमवार से मंगलवार ( कहानी लेखन) शीर्षक – “पहला प्यार” मार्च का महीना था मेरा विवाह तय हो गया था ।घर में सभी बहुत खुश थे और भैया- पापा शादी की तैयारी में जुट गये ।मई में तिलक उत्सव और नवंबर में विवाह की तिथि रखी गई तभी तिलक चढ़ाने से पहले मेरे पति …

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आशा की कहानी पहला प्‍यार

साहित्य सरोज साप्ताहिक आयोजन क्रम -२ शीर्षक पहला प्यार प्रेम की सुरभि ऐसी होती है जिससे  आपका जीवन सदैव सुरभित होता रहता है। समय के संग जिसकी सुगंध बढ़ती ही जाती है।ज्यों -ज्यों दैहिक ताप कम होता है,प्रेम अलौकिकता ग्रहण करता जाता है। जीवन की संध्याकाल में जब एक साथी की आवश्यकता सबसे अधिक होती है।तब साथी का विछोह एक …

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दीपमाला की कहानी पहला प्‍यार

साहित्य सरोज साप्ताहिक आयोजन क्रम -2 कहानी लेखन शीर्षक- पहला प्यार प्रेम एक ऐसी अनुभूति है जो जीवन को सरस बना देती है l जिससे प्रेम हो चाहे वह शरीर से कितना भी दूर रहे पर उसके साथ होने का अहसास ही हमें जीवंत बना देता है l विवाह के पश्चात मैं पगफेरे के लिए मायका आई l तब पूरा …

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दिनेश कुमार राय की कहानी पहला प्‍यार

साप्‍ताहिक आयोजन क्र-2 कहानी शीर्षक पहला प्‍यार पुरानी दिल्ली में ब्रह्मपुरी एक साधारण-सा मुहल्ला है। तंग गलियां और घनी बसावट–इसके अलावा इसकी कोई और पहचान भी नहीं है। मगर, मेरा मन आज भी वहीं कहीं विचरता रहता है। बचपन की यादें बार-बार उन्हीं गलियों में खींच ले जाती हैं। लगता है जैसे कल ही की बात हो। विद्यालय में स्वतंत्रता-दिवस …

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दीपमाला का संस्‍मरण

दीपमाला का संस्‍मरण

संस्मरण हंसती, खिलखिलाती, अल्हड़पन, जोश इन सभी में जीते बचपन और युवा के बीच का काल l बस वर्तमान में जीने की चाह न भविष्य की चिंता न अतीत का गम l जीना है बस अपने ही मगन में l बात उन दिनों की है जब हम ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ते थे l सभी विषयों की अलग-अलग कक्षा लगती थी …

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फिल्मों का युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव-संजय सिंह चौहान

फिल्में मनोरंजन का एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं, जो समाज में विचारों और संस्कृति को प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं। लेकिन जहाँ एक ओर फिल्मों का सकारात्मक प्रभाव हो सकता है, वहीं दूसरी ओर कई बार फिल्मों का युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव भी देखा गया है। विशेष रूप से जब फिल्में गलत संदेश देती हैं या हिंसा, असंवेदनशीलता, और अव्यवस्थित …

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बसन्त पंचमी-लक्ष्‍मी चौहान

बसन्त’ पंचमी’ या ‘श्री पंचमी’ भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। बसंत पंचमी पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। शास्त्रों में बसंत पंचमी को ‘ऋषि पंचमी’ के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म में इस दिन विद्‌या की देवी …

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श्राद्ध-किरण बाला

पंडित जी, जरा सही से सामान लिखवा दीजिएगा। पिताजी के श्राद्ध में कोई कमी न रह जाए …लोगों को भी तो पता चलना चाहिए कि कितनी शानौ-शौकत से हमने ये सब किया है| (सिद्धार्थ ने पंडित जी को हिदायत देते हुए कहा)क्या बात कर रहे हो यजमान, पहली बार थोड़े ही कर रहे हैं ये काम ….पूजा में कोई कमी …

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अपूर्ण प्रेम-दीपमाला

जनवरी का ठंड संक्रांति का समय सुबह सुबह ठंडी ठंडी सी हवा में स्वर्णिम धूप का आनंद l अपने आप में रोमांचित करने वाली l आज बच्चों को बाहर स्कूल प्रांगण में ही विद्या अध्ययन करवा रहे थे l सहसा टेबल पर रखी अखबार पर नजर पड़ी l बटालियन के छह जवान शहीद, मुख्य समाचार को देखते ही मैंने आगे …

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