*आप सभी को सूचित करते हुए मुझे हर्ष हो रहा है कि साहित्य सरोज पत्रिका द्वारा दिनांक 30 मई से 05 जून तक गोपालराम गहमरी पर्यावरण सप्ताह मनाया जा रहा है। इस अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम निम्न हैं।(01) 30 मई 2024 गुरूवार कार्यक्रम का ऑनलाइन शुभारंभ एवं संदेश प्रतियोगिता(02) 31 मई 2024 शुक्रवार दिये हुए चित्र पर कविता …
Read More »प्रेम जीवन की सच्चाई-नंदलाल
राजा रणसिंह और राजा अरिमर्दन सिंह एक दूसरे के घनिष्ठ मित्र थे मित्र भी ऐसे की जैसे एक जिस्म दो जान एक दूसरे के पूरक या यूं कहें एक सिक्के के दो पहलू दोनों की मित्रता एक मिशाल थी यह वास्तविकता सोलहवीं शताब्दी की है जब छोटे छोटे रियासतो में भारत बंटा था और निहित छुद्र स्वार्थों के लिये आपस …
Read More »जन सेवा असली सेवा -डोली शाह
रमेश, नरेश और आकाश तीनों अच्छे मित्र थे। पी. जी. में रहते, पढ़ते-खाते और भरपूर मौज -मस्ती करते । हर दिन कॉलेज और पढ़ाई के बाद जब वक्त मिलता तो सैर-सपाटे के लिए निकल जाते ।अचानक एक दिन लिफ्ट से नीचे उतरे ही थे कि सामने से गुजरती रैली, जिंदाबाद के नारे लगाते लोग! तीनों वहीं ठहरकर देखते रहे, इतने …
Read More »आराच पन्नक-नंदलाल
राम रतन सिंह नेपाल से सटे भारत नेपाल सीमा के गांव गेरमा के बहुत प्रतिष्ठित जमींदार थे ईश्वर की कृपा से उनके पास कोई कमी नही थी दो पुत्र रिपुदमन सिंह एव चंद्रमौलि सिंह राम रतन सिंह एवअच्युता के प्रिय संतानों में थे दोनों होनहार एव भारतीय परम्पराओं के अनुरूप थे ।अच्युता एव राम रतन सिंह को एक बेटी की …
Read More »रामबाण
पप्पू-मियां कैसे बैठे होमियां -अरे कुछ नहीं बस ऐसे हीपप्पू- ऐसे ही बैठे होमियां – हां ऐसे ही बैठा हूंपप्पू – ऐसे ही क्यों बैठे होमियां -तेरे को क्यापप्पू – मुझे क्या ऐसे तो आप बैठे होमियां – हां बैठा हूं तोपप्पू – तो मैं क्या करूंमियां – तू पूछा नपप्पू- मैं क्या पूछामियां – कैसे बैठे होपप्पू- मैं कहां …
Read More »महानिशा कि ममतामयी माँ-नंदलाल
जीवेश से जब भी उसके सहपाठी पूछते तुम्हारे पिता का नाम क्या है ?जीवेश कुछ भी बता पाने में खुद को असमर्थ पाता और सहपाठियों के बीच लज्जित होता लौट कर माँ से सवाल करता माँ मेरे पिता कौन है? स्वास्तिका बताती भी तो क्या ? वह भी हर बार जीवेश के प्रश्न को कोई न कोई बहाना बनाकर टाल जाती कभी …
Read More »परवरिश-अर्चना त्यागी
आज सुबह जैसे ही सोकर उठा वृद्धाश्रम से फोन आया। जो सूचना मिली उसे सुनकर मेरा दिल बैठ गया। एक बार तो आंखों के सामने अंधेरा ही छा गया। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं ? घरवालों को कुछ बताऊं या नहीं ?पिछले रविवार को ही चाची से मिलकर आया था। बीमारी के कारण कमज़ोर हो गई थी। …
Read More »मदर-डे संस्मरण-आशा गुप्ता
उसका जन्म लेना भी जैसे कोई कयामत था। खबर सुनते ही पिताजी फट पड़े और खुशखबरी सुनाने वाली दाई को ही डांट दिया- “चुप कर…लड़की हुई है तो क्या करूं, ये भी कोई खुशी की बात है जो तुम्हें ईनाम दूं।…चल भाग यहां से।“ बेचारी क्या कहती, कुछ समझ ही ना पाई कि सेठ जी को अचानक क्या हो गया। …
Read More »मलाल-अर्चना त्यागी
बात कई वर्ष पुरानी है। परन्तु आज भी याद आती है तो मन को कचोटती है। दीवाली से चार पांच दिन पहले छोटी बहन का फोन आया। ” दीदी अम्मा आपको याद कर रही हैं। उनका आपसे मिलने का बहुत मन है। यदि अा सको तो भाई दूज पर घर अा जाना। उनकी तबियत भी कई दिन से ठीक नहीं …
Read More »मदर-डे संस्मरण डॉ मंजु गुप्ता
हमारी माता स्व शांतिदेवी वार्ष्णेय और स्व पिता प्रेमपाल वार्ष्णेय जी ने खून – पसीने से परिवार हेतु प्यारा दिव्य , भव्य आध्यात्मिक, स्वधर्म , स्वघर ‘ शांति निकेतन ‘ बनाया था। वे संसार से चले गए , पर वह घर शांति निकेतन ईंट – गारे का नहीं था । वह घर हम सब भाई – बहनों , माँ -पिता के मधुर …
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