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पर्यावरण पर संस्‍मरण-विजय मिश्र

पर्यावरण पर संस्‍मरण-विजय मिश्र

बात लगभग साठ वर्ष पहले की है।गर्मियों में तब से लेकर अब तक मैं अपने गाँव में ही रहता आया हूँ।मेरा बचपन गाँव में ही बीता है।मुझे वे दिन याद हैं जब मैं अपने सहपाठियों के साथ मिडिल स्कूल में पढ़ने के लिए पैदल जाया करता था।हम लोग गर्मी के मौसम में स्कूल जाने के लिए प्रातःकाल छः किलोमीटर की …

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मानव और पर्यावरण का संबंध-मंजू राज

मानव और पर्यावरण का संबंध-मंजू राज

मानव और पर्यावरण का परस्पर सम्बन्ध एक वो समय था ,जब वृक्षों को अपना मित्र , साथी और हमसाया समझा जाता था औरउन्हें कटने से बचाने के लिए आंदोलन भी चलाया गया ।ताकि हमारे आस – पास का वातावरण साफ़ , स्वच्छ और पवित्र बना रहे ।हर प्राणी मात्र शुद्ध हवा में साँस ले सकें ।यह उस समय की बात …

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रोते हुए मेरे गाँव-अरूणा

विद्यालयों में ग्रीष्मकालीन अवकाश शुरू हो गए थे।मैथिली पिछले पाँच वर्ष से एक निजी विद्यालय में नौकरी कर रही थी।रघुवीर भी मल्टीनेशनल कंपनी में मैंनेजर है।मैथिली को काम करने की आवश्यकता नहीं थी,पर उच्च शिक्षा का कुछ अच्छा उपयोग हो और उसका समय भी कट जाए,इसलिए उसने तय कर रखा था कि जहाँ भी रघु को भेजेगी कम्पनी,वो वहाँ पास …

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पर्यावरण पर प्रेम दास वसु सुरेखा का आलेख

ये राजस्थान है जहां धूल उड़ती है और पानी को तरसते हैं लोग। कब नसीब होगा वो सुख जब समान जीने का अधिकार मिलेगा । ये वीरों की भूमि राजस्थान और पानी को तरसते वीर, फिर भी इसका यश, गौरव सिरमोर है क्यों ,क्या है इसमें ऐसा लोग सुबह जल्दी उठते हैं । और अपने काम पर लग जाते हैं …

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ब्रह्मांड के दो प्रमुख अवयवब्रा- नंदलाल

ब्रह्मांड के दो प्रमुख अवयव है जो  परब्रम्ह परमात्मा कि कल्पना रचना कि वास्तविकता है प्रथम प्रकृति है  जो  ब्रह्मांड का आधार है जिसमे पंच तत्व महाभूतों का सत्यार्थ परिलक्षित है जिसका प्रवाह पवन,पावक ,शून्य (आकाश) स्थूल (पृथ्वी) जल प्रावाह का सत्य है इन्ही के आधार पर प्राण का अस्तित्व निर्धारित होता है ।प्राण को एक निश्चित काया प्राप्त होती …

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साइबर जालसाजो से सामना-रोहित

वैसे तो में सोशल मीडिया प्लेट फार्म का अधिक इस्तेमाल नहीं करता हूं, पर फिर भी कभी कभार फेसबुक लाइट डाउनलोड करके अपना फेसबुक एकाउंट देख लिया करता हूं, और फिर काम होने के बाद  फेसबुक एकाउंट को रिमूव भी कर देता हूं, ऐसे ही एक दिन मैंने अपना फेसबुक एकाउंट देखा, तो कुछ फ्रैंड रिक्वेस्ट आई हुई थी, उन …

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पर्यावरण संरक्षण-शिल्‍पी पचौरी

 ॐ पूर्णभदः पूर्णामिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते।पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥’ इस श्लोक का अर्थ  है कि हम प्रकृति से उतना ग्रहण करें जितना हमारे लिए आवश्यक हो तथा प्रकृति की पूर्णता को क्षति न पहुंचे। लेकिन आज का मानुष लोभ, लालसा में लिप्त होकर  प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है जिसके फलस्वरूप रेत उत्खनन,  ,ग्लोबल वार्मिंग व  सांभर झील में हजारों परिंदो की …

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पर्यावरण दिवस पर रागिनी की कहानी

सुनीता बाजार से घर आती है सोनू को रोते हुए देखकर घबरा जाती है बेटा क्या हुआ सोनू फुट-फुट का रो रहा था मां गोदी में सर रखकर सिर पर हाथ फिरते हुए  प्यार से सोनू बेटा क्या हुआ । सोनू रोते हुए वह गमला नहीं है जिसमें मैं रोज पानी देता था 3 साल पहले मैंने लगाया था वह गमला …

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भारत में सुरक्षित पर्यावरण के लिए चुनौतियां और समाधान

डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी परिचयहमारा देश भारत, अपने विशाल और विविध परिदृश्य के साथ, अनेक पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रहा है। तेजी से बढ़ते औद्योगीकरण, शहरीकरण और बढ़ती जनसंख्या देश के प्राकृतिक संसाधनों को भी प्रभावित करती है, जिससे प्रदूषण, वनों की कटाई और जैव विविधता की समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इन चुनौतियों का समाधान करना भविष्य की पीढ़ियों …

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पर्यावरण दिवस पर सुनील कुमार

शीर्षक- पर्यावरण संरक्षण कर्तव्य हमारा पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक चेतना लाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1972 में विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की घोषणा की थी।तब से पूरे विश्व में प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य हमारी प्रकृति की रक्षा के लिए जागरूकता …

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