हमारी माता स्व शांतिदेवी वार्ष्णेय और स्व पिता प्रेमपाल वार्ष्णेय जी ने खून – पसीने से परिवार हेतु प्यारा दिव्य , भव्य आध्यात्मिक, स्वधर्म , स्वघर ‘ शांति निकेतन ‘ बनाया था। वे संसार से चले गए , पर वह घर शांति निकेतन ईंट – गारे का नहीं था । वह घर हम सब भाई – बहनों , माँ -पिता के मधुर …
Read More »मदर्स डे-शीला श्रीवास्तव
गीता जी अपने क्वार्टर के बरामदे में बैठीं हैं। “कुछ एकाग्रता से देख रही हैं, उनके सामने पेड़ के नीचे एक सकोरे में पानी भरा हुआ है, और एक गौरैया आकर पानी पी रही है और साथ में अपनी चोंच में पानी भरकर अपने छोटे से बच्चे की चोंच में डाल रही है”उनके मुंह से निकल गया देखो “मां की …
Read More »बच्चों की शरारत-सृष्टि उपाध्याय
बच्चों को फूलों की उपमा दी जाती है। हंसते-खेलते, प्यारे-प्यारे, मासूम बच्चे किसे अच्छे नहीं लगते? बच्चों का मन कोरा होता है। जीवन का सबसे बड़ा विद्यालय होता है बच्चों का बचपन, उनके छोटे-छोटे सपने और अनमोल कल्पनाएं। बच्चे तो हर ज़माने के चुलबुले और समझदार ही रहते हैं मगर आज के बच्चे कुछ ज्यादा ही समझदार, कुछ ज्यादा ही …
Read More »वर्तमान आरक्षण व्यवस्था देश ही नहीं मानव जाति के लिए खतरनाक -अखंड गहमरी
जहाँ तक मैं समझता हूँ भारतीय संविधान में आरक्षण की व्यवस्था लाने का मुख्य कारण था ”समाज में दबे कुचले लोगो को आगे लाना”। यह जरूरी भी था कि समाज को बराबरी पर लाया जाये, मगर इसके साथ यह भी देखना होगा कि कहीं हम समाज को बराबरी पर लाते लाते कही देश और मानव जाति का अहित तो नहीं …
Read More »मदर-डे पर विशेष कार्यक्रम एक शाम मॉं के नाम
12 मई 2024 को मदर-डे के अवसर पर साहित्य सरोज पत्रिका द्वारा कहानी व संस्मरण प्रतियोगिता एवं आनलाइन काव्य सम्मेलन का आयोजन किया है। काव्य सम्मेलन 12 मई 2024 दिन रविवार को दोपहर 01 बजे से गूगल मीट पर आयोजित होगा। काव्य सम्मेलन में किसी प्रकार की रचना की प्रस्तुत की जा सकेगी। इसके लिए 11 मई 2024 की रात …
Read More »रवीन्द्रनाथ टैगोर और मेरे स्वयं के बीच संबंध: एक रहस्यमय ऊर्जा – प्रबुद्ध घोष
टैगोर की जन्म-जयंती के पवित्र अवसर पर एक श्रद्धांजलि मेरी मुक्ति क्षितिज में चमक है,पवित्र मिट्टी और घास पर मेरी मुक्ति।अक्सर मैं खुद को इलाकों से दूर खो देता हूँ,धुनें मेरी मुक्ति को ऊपर ले जाने में मदद करती हैं।मेरी मुक्ति सार्वभौमिक आत्माओं से घिरी हुई है।आध्यात्मिक प्रथाओं और पारंपरिक अनुष्ठानों की सीमाओं को पार करते हुए, रवींद्रनाथ टैगोर की …
Read More »नारीत्व और संस्कार की देवी माता सीता
भारतीय वांगमय ऋग्वेद , अथर्वेद , ब्रह्मवैवर्त , तमिल , मलयालम , पुराणों और धर्मग्रंथों तथा इतिहास के अनुसार नारी सशक्तिकरण तथा नारी की मर्यादा की पहचान मिथिलांचल का पवित्र स्थल है । भारत गणराज्य का बिहार राज्य के तिरहुत प्रमंडल मे सीतामढी जिला सांस्कृतिक मिथिला क्षेत्र का पौराणिक आख्यानों में सीता की जन्मस्थली है। त्रेतायुग में बिहार के पुनौरा …
Read More »मां पुत्र की नोक झोंक
बच्चों की शरारत बात कुछ पुरानी है। हमारी शादी को 6-7 वर्ष गुजर चुके थे हम संतान सुख से वंचित थे। डाक्टर, इलाज एवं आयुर्वेद से इलाज करा चुके थे धन अभाव के कारण इलाज रुक रुक कर चलता था इन वर्षों में श्रीमती जी सन्तान प्राप्ति हेतु बहुत व्याकुल रहती थी कभी उपवास, व्रत करती सोमवार पिले सोमवार, मंगलवार, …
Read More »कृष्ण-कृष्णा और कुंज-यशोधरा
कृष्ण-कुंज खाली हो गया।खाली!सब कुछ होते हुए भी एक खालीपन! सूनापन। न कृष्ण हैं न कृष्णा। अम्मा-बाऊ जी की लिए ही तो छोटे ने खरीदा था यह घर। बड़की भाभी ने ढलती सांझ में घर से बाहर निकाल खड़ा कर दिया था तब बूढ़े बाऊजी और अम्मा किराए के मकान के लिए यहांँ-वहाँ भटकते रहे। दुर्वह कठिन समय!छोटा बाऊ जी से कुछ ज्यादा …
Read More »प्रेमलता यदु की कहानी ऊपर वाला कमरा
सप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु रविवार “स्वैच्छिक लेखन” अंजना देवी अपने सर्व सुविधायुक्त शानदार कमरे के नरम मुलायम व आरामदायक बिस्तर पर लेटी हुई, ऊपर छत की ओर टकटकी लगाए न जाने कब से बिना पलक झपकाए निहार रही थी. सहसा उनका चंचल मन अतीत के आसमान में उड़ने के लिए अपने पंख फड़फड़ाने लगा. शरीर स्थूल होता है, उसे एक स्थान …
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