sahityasaroj1@gmail.com

बूढ़ा बचपन-सुनीता

सौरभ आफिस लौटकर ताज़े फलों का जूस पी रहा था तभी अंतरिक्ष दौड़ता हुआ आया और कहने लगा— ‘पापा आज दादू ने हमारी अलमारी के ड्राज में से इत्र की शीशी निकाल कर अपने  बक्से में  छुपा कर रख दी हैं।सौरभ अंतरिक्ष की बात सुनकर थोडा आश्चर्य चकित होकर अपने काम में लग गया और वह बोला—‘अच्छा ठीक है बेटे …

Read More »

एक पत्रकार की यात्रा

धर्म कर्म के प्रति हिन्दुत्व आस्था और विश्वास पूर्वजों द्वारा स्थापित सदियों पुरानी एक जीवंत आदर्श परंपरा है। जिसमें निर्जीव प्रतिमाएं सजीवता का दर्शन कराते हुए सनातनी परंपरा को पुख्ता कर अकाट्य उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। सनातन धर्म के विश्वास- पथ पर बलवती होती हिंदुत्व की उत्कट अभिलाषाएं आस्तिक जनों के अन्तर्मन् को बर्बस आह्लादित करती रहती हैं।हिन्दू धर्म की …

Read More »

अभिभावक की महत्वाकांक्षा पर खोता बचपन-सुनीता

“बचपन से ही तो रूठ गईबचपन की मासूमियतजब अभिभावकों की महत्वाकांक्षाका सैलाब हर सपने को समेट गयारह गई केवल माँ पिता की इच्छाजिन्हें पूरा करने में उम्र गुजर गई l”विश्व के किसी भी देश में जा कर सर्वेक्षण कर लीजिए अविभावक और बच्चों लेकर सभी जगह एक जेसी स्थिति है lसच तो यही है कि हर अभिभावक का सपना होता …

Read More »

साहित्‍य सरोज लेखन एवं मेंहदी प्रतियोगिता के परिणाम घोषित

02 अप्रैल को साहित्‍य सरोज पत्रिका की संस्‍थापिका श्रीमती सरोज सिंह की सातवीं पुण्यतिथि पर आयोजित सरोज सिंह लेखन प्रतियोगिता में लेखको ने दिये हुए विषय पर अपने लेख, शीर्षक पर कहानी एवं वाक्‍शं पर अपने विचार लिखें। इस प्रतियोगिता की सबसे मजेदार बात यह रही कि लेखकों ने मेहनत तो किया मगर वह कम पढ़ना अधिक समझना वाक्‍य को …

Read More »

आखिर क्यूं बिगड़ रहा आज हमारा फिटनेस? पूजा

आखिर क्यूं बिगड़ रहा आज हमारा फिटनेस? पूजा

“आखिर क्यूं बिगड़ रहा आज हमारा फिटनेस? “ लोगों को आलस्य इतना घेर लिया है अपनी दिनचर्या में शामिल होने वाली गलत वस्तुओ का प्रयोग करके अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने लगे हैं। अपनी फिटनेस को दरकिनार कर नए रोगों को निमन्त्रण दे रहे हैं। समय की कमी कहें या आधुनिकता का तकाजा! मुंँह में लगे इस स्वाद का …

Read More »

अभिवावक की महत्वाकांक्षा में खोता बचपन-राज फौजदार

बच्चे देश की धरोहर होते हैं ।परिवार में आने वाले भविष्य की नींव माता-पिता की उम्मीद की पूंँजी होते हैं ।बच्चों का मानसिक स्तर कैसा है? उसकी रुचि क्या और किस तरफ है? रूचि सब की एक समान नहीं होती कहते हैं –(1)”पूत के पांँव पालने में ही दिख जाते हैं।”(2) हौन हार बिर वान के होत चीकने पात”  बच्चा …

Read More »

वो रिक्शा-अवनीश

वो रिक्‍सा वाला

बहुत पुरानी याद आप के साथ बांटना चाहता हूँ, ये याद है बालपन की। ये बालपन भी अजीब है, रहता है हम सभी के अन्तर्मन में, बहुत सी भूली बिसरी व कुछ पत्थर की अमिट लकीर सी खिंची यादों के रूप में।अब तो मैं  भी वरिष्ठ नागरिक की कैटेगरी में आ गया हूँ,दिखता भी वैसा ही हूँ, जब उम्र 65-70के …

Read More »

बेदर्द दिल -पूजा

बेदर्द दिल

अभी हम हवन करके उठे थे हवन में मेरे साथ मेरे पति राकेश दोनों पुत्र लव एवं कुश भी बैठे थे। वह शांति हवन हमने बाबूजी के लिए रखा था। सभी रिश्तेदार मित्र एवं परिचित भी इस अवसर पर आए हुए थे। पूजन हवन के पश्चात भोज का आयोजन किया गया था। हलवाई अपने सहयोगियों के साथ पकवान खीर पूरी …

Read More »

एक यादगार सफ़र-रागिनी

एक यादगार सफ़र-रागिनी

बात 1999 की है जब मैं पानीपत रहती थी। कटनी मध्यप्रदेश से जाते समय मुझे दो ट्रेन बदलनी पड़ती थी। बहुत ही मुश्किल का सफर होता था । एक बार में मैंने दिल्ली से आगे की जब ट्रेन बदली और दूसरी ट्रेन में मैं चढ़ने लगी।तभी मैंने देखा कि बहुत अधिक भीड़ है। मैं परेशान हो गई। किसी तरीके से …

Read More »

मेरा गांव मेरा बचपन-अजय

“वर्षों पहले पीछे छूट गया वो पुस्तेनी गांव?”कह मिस्टर डिसूजा ने अपनी बात पूरी की तो विस्मृति स्मृति की रेखाएं बरबस ही चेहरे पर खिंच गई। हां अवश्य केबिन में लगे पंखे की खटखट की ध्वनि विचारों में दखल दे रही थी, जिस पर माघमास ने अपना डेरा समेटा तो फागुन ने अपना पैर पसार लिया था,अतः वातावरण में गर्मी …

Read More »
🩺 अपनी फिटनेस जांचें  |  ✍️ रचना ऑनलाइन भेजें  |  🧔‍♂️ BMI जांच फॉर्म