sahityasaroj1@gmail.com

ट्युशन-संतोष शर्मा शान

  हमारे साहित्‍य सरोज के फेसबुक पेज को लाइक व फालो करें अरे गीता! आज इधर कैसे, घूमने जा रही हो क्या? नहीं नीलू बहन, मैं तो रोज इधर आती हूँ अपने बेटे को ट्युशन से लेने।नीलू- यहाँ कहाँ ट्युशन लगा रखा है तुमने ? गीता वो यहाँ पास में एक आचार्य जी रहते हैं, वे हिन्दी और संस्कृत की …

Read More »

अधिकार-चित्रा

हमारे साहित्‍य सरोज के फेसबुक पेज को लाइक व फालो करें डिमरी दरवाजे में बैठे सूनी आंखों से आंगन में खेलते बच्चे को देख रही थी, देखकर कभी-कभी वह विचलित हो जाती तथा चीखने लगती और आंखों से आंसू बहने लगते उसकी आंखें उन बच्चों में कुछ तलाशते रहती थी,तीजन बाई से अपनी बेटी की यह हालत नहीं देखी जाती, …

Read More »

वर्तमान परिदृश्य में साहित्यकारों का दायित्व :

  “अंधकार है वहाँ, जहाँ आदित्य नही है। मुर्दा है वह देश,जहाँ साहित्य नही है।” वर्तमान युग में मानवता का आकाश एक बार फिर घुटन से भर उठा है। चारों ओर अशांति व अविश्वास का वातावरण बन रहा है। ऐसी स्थिति में आज साहित्यकार भी निराशा व अनास्थाओं के कुहासे में भटकता हुआ दिखाई दे रहा है।साहित्यकार को आज फिर अपनी …

Read More »

राजनीति और नैतिक मूल्य-सलिल सरोज

  सन 1908 में गाँधी जी ने अपने विचार जनता के सामने “हिन्द स्वराज” के नाम से गुजराती में एक पुस्तक लिखकर व्यक्त किए और सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में अपने पत्र “इण्डियन ओपिनियन” में उन्हें प्रकाशित किया। गाँधी जी ने जिस स्वतंत्र भारत का सपना देखा था उसका आधार देश में केवल स्वतंत्रता दिलाना ही नहीं था, अपितु हर …

Read More »

दस पैसे-डॉ. राधा दुबे

हमारे फेसबुक पेज को लाइक व फालो करें मैं बचपन में बहुत नटखट थी। दिनभर उछलकूद यहाँ से वहाँ, मम्मी को परेशान करती रहती। वह डाँटकर भगा देती तो मामा जी के पास चली जाती। उन्हें भी खूब परेशान करती, उस समय मामा जी हमारे साथ ही रहते थे। मैं उन्हें भी चैन से नहीं बैठने देती। नित नई माँग …

Read More »

इश्क का बुखार-दीपा टाक

साहित्‍य सरोज साप्‍ताहिक लेखन व चित्र प्रतियोगिता

हमारे फेसबुक पेज को लाइक व फालो करें दिव्या अभी-अभी रूम में पहुंची ही थी कि संजू मैम जो कि उनकी प्रिंसिपल थी उनका फोन आया उन्होंने कहा, दिव्या जी आपको कल सुबह जोधपुर सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग हेतु लाल मैदान पावटा स्कूल जाना है। दिव्या ने कहा,’ ओके मैम, थैंक यू हम सुबह पहली बस से पहुंच जाएंगे’ संजू …

Read More »

प्यार परीक्षा- सिद्धार्थ

हमारे फेसबुक पेज को लाइक व फालो करें कहते हैं उपदेश देने में, दुसरों से उसका पालन करवाने में, और खुद उसका पालन करने में काफी अंतर होता है ।ये सौ प्रतिशत सच है ।हमारे इस कहानी के नायक #किशन और नायिका #सौम्या के साथ भी यहीं हुआ ।दोनों के मिलने की और उनके दोस्ती होने की कहानी में जो …

Read More »

कन-कन में है वास तेरा-डॉ. इन्दु कुमारी

साहित्‍य सरोज साप्‍ताहिक लेखन व चित्र प्रतियोगिता

        हे जग के रचयिता स्वामी,कन कन में है बा स तेरा।तुम बिन हूं दुखियारी मैं,अब तो लगाओ पार मेरा। अब करा दे दीदार अपना,मछली जैसी है तरप मेरा।हे नाथ अपनी शरण लगा,कन कन में है वास तेरा। जैसे मेहंदी में छुपी लाली,जुगती से हाथों में सजती।जैसे घी रहते हैं दूध में ही,बिन युक्ति निकलते नाहीं। घट …

Read More »

हलवाहा- सतीश “बब्बा”

साहित्‍य सरोज साप्‍ताहिक लेखन व चित्र प्रतियोगिता

  कंधे पर,धरे हल ,किसान कहें,या हलवाहा! धरती की छाती,चीरता,धूप, वर्षा,जाड़ा सहता! गांव,किसान,मेहनत से,बना भारत! खो सा गया,अब वह गांव,किसान वाला,भारत! मेंड़ बांँधता,पसीने से,लथपथ,किसान!बैलों को,ललकारता,नंगे बदन,हलवाहा!थककर,चकनाचूर,हराई मारकर,बैलों को,सुस्ताने,के लिए,हल रोकता,और,खुद,बरगद के नीचे,महुए की छाया,या आम के,बगीचा में,जाकर,धूप से,बेहाल,छाया पाता है,तब के सुख,का वर्णन,वह खुद नहीं,कर पाया है! वह स्वर्गिक,सुख,अब छूट गया,श्रमेव जयते,का नारा,भूल गया! अब,मृगतृष्णा में,कूलर, पंखे,वातानुकूलक,से तमाम,बीमारियों,को,गले लगाकर,परेशान हैं!बूढ़े …

Read More »

किशोरावस्था का सपना

रिया को किशोरावस्था से ही बनारसी साड़ी पहनने की बहुत इच्छा थी। जब वह अपनी माँ की मालकिन को किसी भी आयोजन में बनारसी साड़ी पहनकर जाते देखती तो उसके अंदर की इच्छा ओर भी प्रबल हो जाती परंतु माता-पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण वह अपनी यह इच्छा मन में ही दबा कर रह जाती। धीरे-धीरे …

Read More »
🩺 अपनी फिटनेस जांचें  |  ✍️ रचना ऑनलाइन भेजें  |  🧔‍♂️ BMI जांच फॉर्म