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ऐतिहासिक मानव कला है मधुबनी पेंटिंग-सत्येन्द्र कुमार

कलात्मक उत्कृष्टता की सुदीर्घ परंपरा चित्रकला प्राक ऐतिहासिक मानव कला और मनोविनोद की गतिविधियां रही है ।  प्रागैतिहासिक चित्रकला  उच्च पुरापाषाण काल 40000 से  10000 ई. पू.  में  मिश्रित गेरू  का प्रयोग चित्र मानव आकृतियों , मध्य पाषाण काल  10000 से 4000 ई. पू . तक लाल रंग   , ताम्र पाषाण काल 1000 ई.पू. में तथा भारतीय भित्तिचित्र 10 वीं …

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बैंक वालों का वेलेंटाइन डे-जयप्रकाश

   मेरे प्राणनाथ,  वेलेंटाइन डे बीत गया और तुम बैंक में बीमा का टार्गेट करते रहे। वेलेंटाइन डे के इतने दिनों बाद तुम्हें पत्र इसलिए लिख रहीं हूँ ताकि तुम्हें आश्चर्य भी हो और खुशी भी हो कि इस बार हमने वेलेंटाइन डे एक दिन पहले तुम्हारी ब्लेक एंड व्हाइट तस्वीर के साथ इसलिए मना लिया था क्योंकि उसके पीछे …

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भारतीय सिनेमा अब तक-कौशल

लूमियर ब्रदर्स, एक फ्रेचं आविष्कारक, प्रथम अन्वेषक, फोटोग्राफिक उपकरण के अग्रणी निर्माता, जिन्होंने एक प्रारंभिक कैमरा और प्रक्षेपण तैयार किया जिसे सिनेमैटोग्राफ कहते हैं l सिनेमा की उत्पत्ति सिनेमैटोग्राफ से हुई l 22 मार्च, 1895 को लूमियर ब्रदर्स ने अपनी डेब्यू /पहली शार्ट फ़िल्म “Workers Leaving the Lumière Factory” प्रदर्शित की और दुनियाँ बदल दी l इस फ़िल्म को व्यापक …

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बाल साहित्य कीभूमिका -स्‍वर्ण ज्‍योति

आज बाल साहित्य एक संपूर्ण चिंतन या विमर्श का रूप धारण कर चुका है। इसके विविध पहलुओं पर अलग-अलग मंचों से इतनी चर्चा हो चुकी है कि अब इसे एक गंभीर रचना –कर्म के साथ-साथ एक सामाजिक कर्म के रूप में भी स्वीकार किया जाने लगा है । परंतु  क्या ज़रूरत है हमको बच्चों के अलग से साहित्य की? इस …

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कैसा बचपन-नीलम सारंग

दस साल  का अरनव खीझ रहा था एलेक्सा पर,  जब देखो जैसा  बोलो वैसा ही करती रहती है । मुझे नहीं चाहिए तुम्हारा साथ ।  मम्मी भी ना,  कहो कुछ करती कुछ है । खुद के पास तो समय है नहीं और मुझे फ्रेंड भी ढूंढ कर दिया तो यह एलेक्सा  । इसके साथ कोई कैसे दोस्ती कर सकता है …

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नारी सशक्तिकरण -डा0 प्रिया सूफी

नारी सशक्तिकरण मुझे सर्वप्रथम एक मूलभूत ऐतराज़ इसी बात पर है कि नारी जोकि स्वयं शक्ति स्वरूपा है , उसके सशक्तिकरण का नारा क्यों कर दिया जाता है ? इस आधुनिक युग में जहाँ हर वस्तु, व्यक्ति, सोच और विचारधारा प्रगति के पथ पर अग्रसर है वहां नारी की शक्ति में ऐसा क्या ह्रास आ गया कि उसके सशक्तिकरण पर …

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वरिष्ठता पाने के हथकंडे-पूनम

“हैलो, नमस्कार जी” संचालिका महोदया ने कहा । “नमस्कार, मेरी आवाज ठीक से आ रही है ?” संध्या ने उत्तर में कहा ।“हाँ हाँ आ रही है ।”सफर से थकी संध्या घर का काम जल्दी-जल्दी से निपटाकर 3 बजे गूगल मीट पर लघुकथा संगोष्ठी के लिए बैठी थी और आयोजन के लिंक से जुड़कर संचालिका से वंदन अभिनंदन कर रही …

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अथ श्री ओलम्पिक चिन्तनम- रामभोले शर्मा

जनववरी-2023  इस समय टीवी चैनलों पर बड़ी तेजी से काँव-2 जारी है कि हमारा महान भारत आखिर ओलंपिक में अमेरिका,चीन,जापान आदि देशों की तरह स्वर्ण पदक क्यों नहीं जीत पाता?तो सुनो हम किसी से कम हैं क्या?अगर यूज़ एंड थ्रो,मतलब लेथन फैलाने,घूसखोरी,कामचोरी,बेईमानी आदि में कोई अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा करा दी जाए तो सारे स्वर्ण और रजत हमारे बन्दे ही न झटक …

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आशा की रोटी

“मत मारो बापू.. . मत मारो, अब कभी नहीं जाऊंगा वहां… माफ कर दो बापू.. माफ कर दो ” मासूम 10 साल का सतिया लगातार हरि प्रसाद से बख्श देने की गुहार लगाता रहा। रो रो कर उसकी आँखें लाल हो गई थीं। डंडे की मार से शरीर बुरी तरह से दुख रहा था, कहीं कहीं मोटे मोटे लाल निशान …

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स्वयं से विवाह-विमल शुक्ल

जनवरी-2023 स्वयं से प्रेम तो बहुत से मनुष्य करते हैं, मैं भी करता हूँ। किन्तु विवाह तो किसी अन्य से ही किया है। विवाह का उद्देश्य प्रेम होता है पहली बार पता चला। हमारी सनातन परंपरा में तो दो अनजाने लोग विवाह करते रहे हैं बच्चे पैदा करते रहे हैं परिवार का विस्तार करते रहे हैं। उनमें कभी प्रेम हुआ …

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