बचपन पर मोबाइल का असर-ज्‍योति

वर्तमान समय में अभिभावक की कमी के कारण बच्चों पर मोबाइल का बहुत गहरा असर पड़ रहा है इससे उनकी आंखें दिमाग और शारीरिक सेहत पर भी कई तरह की समस्याएं हो सकती है ।मोबाइल फोन को हिंदी में “सचल दूरभाष यंत्र” कहा जाता है सचल का अर्थ है जिसे आसानी से कहीं भी ले जाया जाये।
दूरभाष का अर्थ है टेलीफोन जिसके जरिए आप कई मील दूरी पर बैठे लोगों से वार्तालाप कर सकते हैं।
अध्ययनों के मुताबिक देखा जाए तो ज्यादा समय स्क्रीन पर बिताने से बच्चों के फोकस, एकाग्रता और शैक्षणिक प्रदर्शन में समस्याएं हो सकती है‌। मोबाइल के लगातार प्रयोग से मानसिक सेहत पर असर पड़ता है जो की बहुत ही नुकसान कर रहा है ।45 से 50% पुरुष जो 10 साल की उम्र में से पहले स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते थे उन्हें भी इसी तरह की परेशानी हो रही है यानी छोटी उम्र में फोन देना बच्चों के भविष्य व सेहत के साथ खिलवाड़ करने के बराबर है बच्चों को फोन देना उचित ही नहीं है।
यह आदत बच्चों को मेंटली डिस्टर्ब कर रहा है मानसिक रूप से कमजोर करता है बच्चों को फोन न देकर उनसे अलग-अलग एक्टिविटी करवाई जाए और उन्हीं में व्यस्त रखें क्योंकि कार्य शैली से बच्चों में सीखने अनुकरण का जिज्ञासा जागृत होता है साथ ही शारीरिक ,मानसिक स्वच्छता देखने को मिलेगी वयस्कों के लिए फोन दिन में 3 से 4 घंटे ही देखना चाहिए क्योंकि इससे ज्यादा उनको भी शारीरिक मानसिक क्षति पहुंचती है अब इससे हमें ज्ञात हो कि बच्चों को 30 मिनट से ज्यादा फोन नहीं देखना चाहिए किंतु 24 घंटे में बच्चे चार या पांच घंटे लगातार मोबाइल में आज आंखों को घुसाये रहते हैं जिसके कारण पढ़ाई, खेल में उनका मन नहीं लगता ।
मोबाइल से बच्चों के आंखों पर बहुत ही असर पड़ता है, उदाहरण के लिए निम्न बिंदुओं पर ध्यान दें –
१-मोबाइल की स्क्रीन से बच्चों के आंखों पर गहरा असर पड़ता है।
२-आंखों का तीव्र गति से झपकना।
३-आंखों में जलन सूखापन और थकान जैसी समस्या उत्पन्न होना।
४-आंखों के नीचे काले घेरे का हो जाना।
५-छोटी उम्र में चश्मा लग जाना।
६-बच्चों की आंखों की रोशनी कम हो जाना।

मोबाइल से बच्चों के दिमाग पर भी असर पड़ता है-

*मोबाइल की लत लगने से दिमाग कमजोर हो सकता है।
*याददाश्त में कमी आ सकती है।
*व्यवहार में चिड़चिड़ापन उत्पन्न हो सकता है।
*बच्चों के व्यवहार में तीव्र गति से परिवर्तन।
*मोबाइल देखने से बच्चों का दिमाग पढ़ाई में नहीं लगता है।

शारीरिक सेहत पर भी मोबाइल का बहुत असर पड़ता है-
*शारीरिक गतिविधि कम होने की वजह से मोटापा हो सकता है।
*खाने -पीने की इच्छा कम होने की वजह से पोषक तत्वों की कमी हो सकती है।
*नींद का टाइम- टेबल खराब होने की वजह से चिड़चिड़ापन की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
*शारीरिक विकास प्रभावित हो सकता है।
*मोबाइल में विशेषता के कारण खान-पान पर ध्यान बच्चा नहीं देगा।

मोबाइल की आदत कैसे छुड़ाएं इसके निम्न तरीके हैं जिससे हम मोबाइल को देने से बच्चों को मना सकते हैं जो क्रमशः इस प्रकार से हैं-
१-टाइम टेबल बनाएं फोन उपयोग के लिए एक संचालित टाइम टेबल स्क्रीन टाइप को नियंत्रित करने में मदद करता है।
२-सोशल मीडिया का इस्तेमाल कम करें।
३-मोबाइल को दूर रखें।
४-नोटिफिकेशन बंद करें।
५-मोबाइल से जुड़े एप्लीकेशन हटा दें।
६-मेडिटेशन करें।
७-खुद को ज्यादा व्यस्त रखें।
८-दोस्तों से मिले परिवार रिश्तेदारों को समय दें।
अतः मोबाइल फोन से निकलने वाले इलेक्ट्रो मैग्नेटिक विकरणों से डीएनए क्षतिग्रस्त हो सकता है इसके अलावा मोबाइल का अधिक इस्तेमाल आपको मानसिक रोगी ,कैंसर ,ब्रेन ट्यूमर ,डायबिटीज, हृदय रोग आदि बीमारियों से घेर लेता है।
बड़ों – बच्चों को मोबाइल के लत को छोड़ना होगा मोबाइल इतना ही देखें जितना आवश्यकता हो मोबाइल में टाइम पास करने से हमारे जीवन पर बहुत ही असर पड़ रहा है इसको हमें स्वयं को समझना होगा कि जितना हो सके उतना हम खुद को अपने अन्य कार्यों में व्यस्त रखें और मोबाइल से दूर रहें।

ज्योति राघव सिंह
वाराणसी (उत्तर प्रदेश)

 

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