“सचल दूरवाणी यंत्र” यानी मोबाइल वर्तमान के जीवनशैली का सबसे महत्वपूर्ण साधन।जिसके बिना जीवन संभव नहीं “सा” लगता है।आजकल हर कार्य मोबाइल द्वारा सम्पन्न होने लगे हैं। तो इसके प्रयोग से अछूता तो नहीं रखा जा सकता है बच्चों को, ये अवश्य है कि एक न्यूनतम उपयोग के स्वास्थ्य के प्रति सचेत अवश्य रहा जा सकता है।
बच्चों में मोबाइल की कितनी परम आवश्यकता है।इस बात को ध्यान रखना आवश्यक है। अन्यथा होता ये है कि आवश्यकता के अनुसार तो दस मिनट ही उपयोग करना था,पर उसके बाद सोशल साइट पर, गेम खेलने में ही व्यस्त हो जाते हैं बच्चे। इस बात को भी ध्यान रखना अति आवश्यक है कि बच्चे किस तरह की साइट या गेम पर अधिक समय दे रहे हैं।
मोबाइल का सर्वाधिक उपयोग शारीरिक के साथ – साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी बहुत नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। ये नकारात्मकता स्वयं के साथ साथ परिवार, समाज के लिए अहितकारी है। मोबाइल के अधिक उपयोग से निम्न तरह के लक्षण देखे जा रहे हैं –
१- बच्चों का शारीरिक विकास रुक रहा है। पहले जहां खेलकूद की गतिविधियों के कारण अनायास की शरीर चलायमान रहता था। जिसका सकारात्मक प्रभाव शारीरिक वृद्धि पर पड़ता था।
२- मानसिक विकृतियां,मनोविकारों से बच्चे कब पीड़ित हो जाते है,पता ही नहीं चल पाता। समझ तब आता है परिजनों को,जब कोई दुर्घटना घटित हो जाती है।फिर कारणों का पता लगाया जाता है।
३- बच्चों में एकांतवास की भावना विकसित होने लगती है।
४- बड़ों की अवहेलना, उदंडता करना, अनदेखा करना आदि दुर्गुण पनपने लगते हैं।
५मोबाइल के कारण बच्चे समय से पहले वो ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं जो नहीं करना चाहिए। जिसका दुष्परिणाम होता है कि बचपन की आयु घट रही है।
समय की आवश्यकता को देखते हुए हम सभी का कर्तव्य है कि बच्चों के मोबाइल के प्रयोग के प्रति सचेत रहे। अपनी निगरानी में रखे। साथ ही एक समय सीमा निश्चित करे। मोबाइल के आवश्यक और अनावश्यक उपयोग को समझाएं। आवश्यकतानुसार ही मोबाइल का प्रयोग करने दे। बच्चों को खेलकूद के प्रति जागरूक रखे। प्रोत्साहित करे बच्चों को।
आशा झा सखी
जबलपुर (मध्यप्रदेश
94258 66945
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