बहुमुखी प्रतिभा के धनी लाला लाजपत राय-दिनेश

साप्ताहिक लेखन -01 लेख-आलेख

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानी, समाज सुधारक, पत्रकार और विचारक लाला लाजपत राय एक ऐसी महान विभूति थे, जिनका व्यक्तित्व और कृतित्व इतना बहुमुखी था कि उन्हें किसी एक भूमिका में सीमित करना असंभव है। उन्होंने न केवल देश की आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया, बल्कि समाज के उत्थान और शिक्षा के प्रसार में भी अग्रणी भूमिका निभाई। उनका जीवन एक ऐसी प्रेरणादायक गाथा है, जो हर युग में मानवता को प्रेरित करती रहेगी।

लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी, 1865 को पंजाब के मोगा जिले में हुआ था। उनके व्यक्तित्व में वीरता, दृढ़ता और करुणा का अद्भुत संगम था। उन्होंने अपने जीवन का प्रारंभ एक वकील के रूप में किया, लेकिन देश की दुर्दशा और गुलामी की बेड़ियों ने उन्हें स्वतंत्रता संग्राम के मार्ग पर अग्रसर कर दिया। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक थे और उन्होंने बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल के साथ मिलकर “लाल-बाल-पाल” की त्रिमूर्ति बनाई, जिसने अंग्रेज़ों के खिलाफ आंदोलनों को नई दिशा दी।

लाला लाजपत राय न केवल एक क्रांतिकारी नेता थे, बल्कि एक प्रखर लेखक और पत्रकार भी थे। उन्होंने अंग्रेज़ी और हिंदी में कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें “यंग इंडिया”, “द स्टोरी ऑफ माई डिपोर्टेशन” और “द प्रॉब्लम्स ऑफ नेशनल एजुकेशन” प्रमुख हैं। उनके लेखन में देशप्रेम, समाज सुधार और शिक्षा के प्रति गहरी चिंता झलकती है। उन्होंने “द पंजाबी” और “द पीपल” जैसे समाचार पत्रों के माध्यम से जनता को जागृत करने का प्रयास किया।

समाज सुधार के क्षेत्र में भी लाला लाजपत राय का योगदान अतुलनीय है। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा, अस्पृश्यता उन्मूलन और हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए अथक प्रयास किए। वे आर्य समाज के प्रमुख नेता थे और उन्होंने शिक्षा के प्रसार के लिए कई संस्थानों की स्थापना की। उनका मानना था कि शिक्षा ही वह माध्यम है जो समाज को जागृत और सशक्त बना सकती है।

1928 में साइमन कमीशन के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान लाला लाजपत राय पर अंग्रेज़ पुलिस की लाठियों से हमला हुआ। इस हमले में उन्हें गंभीर चोटें आईं, जिसके कारण 17 नवंबर, 1928 को उनका निधन हो गया। उनके अंतिम शब्द, “मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश साम्राज्य के ताबूत की कील साबित होगी,” ने देशवासियों के हृदय में नई ऊर्जा का संचार किया।

लाला लाजपत राय का जीवन एक ऐसी मशाल है, जो अंधेरे में राह दिखाती है। उनकी बहुमुखी प्रतिभा, अदम्य साहस और देशप्रेम हमें यह सिखाते हैं कि व्यक्ति का जीवन तभी सार्थक होता है, जब वह समाज और देश के लिए समर्पित हो। उनकी विरासत आज भी हमें प्रेरित करती है कि हम अपने कर्तव्यों का निर्वाह करें और देश के उत्थान के लिए कार्य करें। लाला लाजपत राय सच्चे अर्थों में एक युगपुरुष थे, जिनका नाम इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में अमर है।

दिनेश कुमार राय

शिक्षक (अंग्रेजी)उ

च्च माध्यमिक विद्यालय, जमालुद्दीन चक, दानापुर, पटना

पता: चंद्रशेखर नगर, पूर्वी गोला रोड, बेली रोड, पटना

मोबाइल नं : 9771294806

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