क्रिसमस यीशु मसीह के जन्म की याद में मनाया जाने वाला एक वार्षिक त्यौहार है , जो मुख्य रूप से 25 दिसंबर को दुनिया भर के अरबों लोगों के बीच एक धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है और यहां सभी धर्म को अपना-अपना त्यौहार मनाने का और अपने परंपरा के अनुसार पूजा करने का अधिकार है। लेकिन जहां पर इस अधिकार का गलत उपयोग होता है वहां पर इसके लिए विरोध होना आवश्यक होता है। भारत जहां सभी धर्म के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं,और सभी अपने-अपने धर्म को मानते हैं लेकिन क्रिश्चियन धर्म में यह पाया गया है कि यह अपने धर्म के प्रसार के लिए गलत तरीका का प्रयोग कर रहे हैं और भोले- भाले लोगों को विभिन्न प्रकार के प्रलोभन देकर के धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित कर रहे हैं। वर्तमान समय में मॉडर्न स्कूल के नाम से संचालित विद्यालयों में जहां सिर्फ एक या दो प्रतिशत क्रिश्चियन है लेकिन वहां बच्चों को सांता क्लास बनने के लिए दबाव डाला जाता है। और वहां पढ़ने वाले 80% हिंदू बच्चों के अभिभावक इस बात का विरोध नहीं कर पाते हैं।क्या कभी इन स्कूलों में रामनवमी, गणेश पूजन या तुलसी पूजा का उत्सव मनाया गया है। अगर नहीं तो क्रिसमस डे में सांता क्लास बनने पर के लिए बच्चों को मजबूर क्यों किया जा रहा है। हिंदू समाज के भी कुछ तथा कथित लोगों को अपने बच्चों को शांता बनाने में बहुत ही गर्व का अनुभव हो रहा है। फेसबुक,स्टेटस में शांता बनाकर के अपने बच्चों को इस प्रकार से प्रस्तुत कर रहे हैं जैसे उन्होंने बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है।हमारे देश में ज्यादातर स्कूल कॉलेज में क्रिश्चियन कल्चर (क्रिसमस डे ) की आड़ में सेंटा क्लॉज के नाम पर बच्चों को जोकर बनाकर ऐसे धर्म के बारे में बताया जाता है। जहां मां- बहन – बेटियों की इज्जत नहीं होती, बल्कि नंग्नता और बेशर्मी परोसी जाती है। फर्जी प्लास्टिक के पेड़ों को लाइटों द्वारा सजाकर क्रिसमस-डे मनाया जाता है।
हिंदू धर्म में पूजनीय तुलसी के पौधे में औषधि भी है और सुगंध भी। इसमें देवी देवताओं का वास भी है। अतः सभी स्कूल कॉलेज प्रबंधकों से निवेदन है कि आने वाली पीढ़ियों को खराब न करें। सभी हिंदुस्तान में हो रहते हैं तो हिंदुस्तान की संस्कृति पर ही विशेष तौर पर ध्यान दें। अपने धर्म अपनी संस्कृति की रक्षा करना हर हिंदू का कर्तव्य है। भारत संतों का देश है शांता का नहीं।
शीला शर्मा
बिलासपुर, सरंक्षक साहित्य सरोज
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