गोपालराम गहमरी

गोपालराम गहमरी: हिंदी साहित्य के अप्रतिम सेवक

(1866 – 1946) गोपालराम गहमरी हिंदी साहित्य के एक ऐसे स्तंभ थे, जिन्होंने न केवल उपन्यास लेखन में विशिष्ट पहचान बनाई, बल्कि पत्रकारिता और अनुवाद के क्षेत्र में भी अद्वितीय योगदान दिया। वे हिंदी भाषा के सच्चे सेवक थे जिन्होंने अपने जीवन का हर क्षण हिंदी को समर्पित किया। गहमरी जी ने लगभग 200 उपन्यास लिखे और सैकड़ों विदेशी कहानियों …

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ऐसा कार्यक्रम “ना भूतो ना भविष्यति-डॉ शीला शर्मा

ऐसा कार्यक्रम “ना भूतो ना भविष्यति-डॉ शीला शर्मा

साहित्‍य सरोज पत्रिका द्वारा आयोजित गोपालराम गहमरी साहित्‍य व कला महोत्‍सव 20 से 22 दिसंबर 2024 तक चलने वाली तीन दिवसीय कार्यक्रम एक अनोखी, विविध कला एवं साहित्यकारों का एक अनुपम संगम था जिसे हम साहित्यकारों का महाकुंभ भी कह सकते हैं। एक साथ विविध कार्यक्रम का, व्यवस्थित ढंग से संयोजन अद्भुत आश्चर्यजनक एवं दुस्साध्य कार्य है; जिसे कार्यक्रम के …

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भारतीय साहित्य-संस्कृति और विरासत को सहेजने का अद्भभुत प्रयास-रामबाबू मैहर देव

भारतीय साहित्य-संस्कृति और विरासत को सहेजने का अद्भभुत प्रयास-रामबाबू मैहर देव

 कहते हैं कि कहीं पर आप जाते नहीं है,बल्कि पहुंचाये जाते है।यह सबकुछ पहले से तय है।मां सरस्वती के आशीर्वाद से मां कामाख्या की नगरी व उपन्यासकार गोपालराम गहमरी की नगरी और सैनिकों के लिए प्रसिद्ध एशिया द्वीप के सबसे बड़े गांव गहमर मेरा अचानक जाना तय हुआ। इस यात्रा में पहले से बिल्कुल तय नहीं था,मैं पहुंच भी पाऊंगा …

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10वें गोपालराम गहमरी साहित्‍य महोत्‍सव गहमर की यादें

गोपालराम गहमरी साहित्‍य महोत्‍सव गहमर की यादें

 मुझे जैसे ही 10 वें गोपालराम गहमरी साहित्य और कला महोत्सव की जानकारी मिली मैंने तभी तय कर लिया की मुझे गहमर आना है। बीते वर्ष मेरे साथ लखनऊ की कुछ महिलाएं और भी गयी थी जिनका सम्मान भी हुआ ।उनके गाये गीत सबकी जुबान पर चढ़ गये ‌। इसलिए मैंने फिर उनसे गहमर चलने के लिए पूछा तो ,कोई …

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जासूसी उपन्यासकार गोपालराम गहमरी कला एवं साहित्य महोत्सव 2024 मेरे स्मृति पटल से

गोपालराम गहमरी साहित्‍य महोत्‍सव गहमर की यादें

जासूसी शब्द के जनक कहे जाने वाले जासूसी उपन्यासकार गोपालराम गहमरी जी की पावन स्मृति में सैनिकों की वीर भूमि गहमर से प्रत्येक वर्ष होने वाले कला साहित्य के महा‌महोत्सव में लगभग चार वर्षों की लगातार अपनी सहभागिता को देखती हूँ तो दोनों ओर से प्रेम आशीर्वाद एवं वात्सल्य भरे अपनत्व के सिवा कुछ नजर नहीं आता। इस सफल आयोजन …

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ओमप्रकाश, उषा, शीला, पवन सहित 18 साहित्‍यकार एवं कलाकार सम्‍मानित

गोपालराम गहमरी साहित्‍य महोत्‍सव गहमर की यादें

प्रसिद्ध जासूसी उपन्‍यासकार गोपालराम गहमरी की जन्‍मभूमि एशिया महाद्वीप के सबसे बड़े गॉंव गहमर, गाजीपुर, उत्‍तर प्रदेश में गोपालराम गहमरी की स्‍मृति में 10वें गोपालराम गहमरी साहित्‍य एवं कला महोत्‍सव का आयोजन मॉं कामाख्‍या डिग्री कालेज गहमर में 20 से 22 दिसम्‍बर तक किया गया। तीन दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में परिचर्चा, सांस्‍कृतिक कार्यक्रम, कवि सम्‍मेलन, मन की …

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20 से 22 दिसम्‍बर तक आयोजित गोपालराम गहमरी साहित्‍य महोत्‍सव में आप सादर आमंत्रित हैं।

गोपालराम गहमरी साहित्‍य महोत्‍सव गहमर की यादें

प्रसिद्ध जासूसी उपन्‍यासकार एवं जासूस शब्‍द के जनक गोपालराम गहमरी (1866-1940) की स्‍मृति में साहित्‍य सरोज पत्रिका एवं गहमर वेलफेयर सोसाइटी द्वारा आयोजित होने वाला 10वॉ गोपालराम गहमरी साहित्‍य व कला महोत्‍सव एवं सम्‍मान समारोह उनकी जन्‍मस्‍थली सैनिकों एवं साहित्‍यकारों की भूमि गहमर , जनपद गाजीपुर उत्‍तर प्रदेश, जो हाबड़ा दिल्‍ली मुख्‍य मार्ग पर बिहार के बक्‍सर एवं यूपी के …

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जासूसी उपन्यास के जनक गोपालराम गहमरी- सत्येन्द्र कुमार पाठक

गोपालराम गहमरी साहित्‍य महोत्‍सव गहमर की यादें

हिंदी के महान सेवक, उपन्यासकार तथा पत्रकार ने वर्षों तक बिना किसी सहयोग के ‘जासूस’ पत्रिका निकाला और 200 से अधिक उपन्यास , सैकड़ों कहानियों के अनुवाद किए थे । रवीन्द्रनाथ ठाकुर की ‘चित्रागंदा’ काव्य का प्रथम हिंदी अनुवाद गहमरीजी द्वारा अनुवाद किया गया था । वे हिंदी की अहर्निश सेवा की, लोगों को हिंदी पढऩे को उत्साहित किया, ऐसी …

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नई पीढ़ी भूलती जा रही है गोपालराम गहमरी को, सरकार भी उदासीन- अखंड गहमरी

गोपालराम गहमरी साहित्‍य महोत्‍सव गहमर की यादें

साहित्य सरोज पत्रिका एवं गहमर वेलफेयर सोसाइटी द्वारा भारत महोत्सव लखनऊ के मंच पर प्रसिद्ध जासूसी उपन्यासकार गोपालराम गहमरी की स्मृति में एक शाम गोपालराम गहमरी कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कैप्टन के के सिंह थे। इस अवसर पर साहित्य सरोज पत्रिका के संपादक अखंड प्रताप सिंह ने कहा कि भारत मे़ं गोपाल राम गहमरी जासूसी उपन्यास …

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गोपालराम गहमरी साहित्‍य महोत्‍सव में करें प्रतिभाग ऐसे

गोपालराम गहमरी साहित्‍य महोत्‍सव गहमर की यादें

(01) ब्रहमा, विष्णु महेश, दुर्गा को न मानने वाले, तिलक न लगाने वाले, सनातनी सभ्यता संस्कृति में विश्वास न रखनें वाले, वन्देमातरम एवं भारत माता की जय न बोलने वालों इस कार्यक्रम से पूरी तरह दूर रहें। इस पर समझौता करने की सलाह मत दें। (02) कार्यक्रम में आने वाला हर साहित्यकार/कलाकार हमारे लिए अतिथि है। समान महत्व रखता है। …

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