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कहानी

अनोखी दोस्‍ती-प्रबुद्धो घोष

"साहित्य सरोज त्रैमासिक पत्रिका - कविता, कहानी, लेख, शोध पत्र, बाल उत्‍थान, महिला उत्‍थान, फैंशन शों, शार्ट फिलम और विशेष आयोजन के लिए पढ़ें। संपादक: अखण्ड प्रताप सिंह 'अखण्ड गहमरी

रहस्यमय दुनिया में निश्चलरहस्यमय माहौल से भरी हवा में 55 वर्षीय निश्चल डूबे हुए थे। उन्हें तंत्र-मंत्र, भूत-प्रेत और अनदेखी शक्तियों में गहरी रुचि थी। उनका छोटा सा घर प्राचीन वस्तुओं, रहस्यमयी किताबों और एक अजीब-सा माहौल से सजा हुआ था, जो आने वाले लोगों को सहमाने पर मजबूर कर देता था। निश्चल की दुनिया में बस दो वफादार साथी …

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सपना की कहानी अहसान

"साहित्य सरोज त्रैमासिक पत्रिका - कविता, कहानी, लेख, शोध पत्र, बाल उत्‍थान, महिला उत्‍थान, फैंशन शों, शार्ट फिलम और विशेष आयोजन के लिए पढ़ें। संपादक: अखण्ड प्रताप सिंह 'अखण्ड गहमरी

“मैं इस आदमी की कुछ नहीं लगती,सुना आपने !.और ये रिश्ते की दुहाई देना बंद कीजिए आप मुझे।” स्वरा,जिसके स्वर में सुर नदी की तरह बहती थी.शास्त्रीय संगीत में जिसने खुब ख्याति पाई थी,आज उसकी आवाज में कितनी कठोरता दिख रही थी.जिंदगी उसके सामने ऐसी लकीर खिंचेगी जो आर या पार की होगी,उसने कभी सोंचा भी नहीं था.अचानक से उठे …

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मातृभाषा दिवस पर कुशराज की बुंदेली कहानी रीना

"साहित्य सरोज त्रैमासिक पत्रिका - कविता, कहानी, लेख, शोध पत्र, बाल उत्‍थान, महिला उत्‍थान, फैंशन शों, शार्ट फिलम और विशेष आयोजन के लिए पढ़ें। संपादक: अखण्ड प्रताप सिंह 'अखण्ड गहमरी

रीना काछिन भोरे अपनी बखरी खों झार रई ती। बा गिनठी, गोरी – नारी फटी – पुरानी धुतिया पैरें; माओ के यी जाड़े में आठ साल पुरानो मैलो – कुचैलो साल ओढ़ें रोजीना कौ काम निपटा रई ती। बा बीए पास करकें आई ती सिरकारी बुंदेलखंड कॉलेज, झाँसी सें। यीके बाप – मताई गरीब हते ऐईंसें जा गांओं में बिया …

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मातृभाषा दिवस पर दीपमाला की छत्‍तीसगढ़ी कहानी सुरता

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सुरता हमर अउ हमर पुराना दिन के बीच के कतका सुग्घर रिश्ता हरे l सुरता नहीं रतीस त हमन कहाँ पुराना दिन ल समेटे रतेंन l आज मइके आहों मेहा बस में l बस ले उतरे हो बस स्टैंड म l लागिस कोनो ले बर आय होहीl फेर कहाँ कोई आ हे, फोन लगाय हों घर मा त भौजी ह …

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अर्चना त्‍यागी की कहानी परवरिश

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साहित्‍य सरोज कहानी प्रतियोगिता 2025 की कहानी, इस कहानी पर अपना कमेंट अवश्‍य दें। आज सुबह जैसे ही सोकर उठा वृद्धाश्रम से फोन आया। जो सूचना मिली उसे सुनकर मेरा दिल बैठ गया। एक बार तो आंखों के सामने अंधेरा ही छा गया। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं ? घरवालों को कुछ बताऊं या नहीं ?पिछले रविवार …

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शान की कहानी न्‍याय

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का करूँ ! कहाँ जाऊँ !? गूलरपुरा का मजदूर बनवारी अपनी झोपड़ी में बैठा सोच रहा था ‘पास बैठा उसका तीन बरस का बेटा पिता को देख कर मुस्कुरा रहा था उसकी निश्छल मासूम मुस्कुराहट बनबारी की चिंता को और बढ़ा रही थी | आज वह बहुत परेशान था कारण… गाँव के बौहरेजी से लिए अपने कर्जा के रुपयों के …

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व्यंग्य हास्य कथा मृत्यु का भय

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भगवान गरुड़ उड़ान भरते हुये पाटिलपुत्र में एक विष्णु मंदिर की परिक्रमा कर रहे थे उन्होने देखा कि  मंदिर की मुंडेर पर बैठा एक कबूतर कांप रहा था । गरुड़ जी को दया भाव जागृत हुआ , उन्होंने कबूतर से इसका कारण पूछ लिया। कबूतर ने बताया कि एक ज्योतिषाचार्य ने उसे बताया है कि कल प्रातःकाल उसकी मौत हो …

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ठेका शरणम गच्छामि -रामभोले शर्मा

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त्योहार हमारी सांस्कृतिक धरोहरों को पोषित करने आते है।जिनके मूल मे स्वच्छता, पवित्रता, नवीनता, चेतनता, मानवता, सामाजिकता, धार्मिकता और बन्धुत्व जैसे भाव निहित होते हैं।हिन्दू धर्म के त्योहारों में होली का नाम उल्लेखनीय है।हालाँकि होली पूर्णिमा को होने वाला रंगों और खुशियों का त्योहार है किन्तु अब ये बेवड़ों के त्योहार के नाम से कुख्यात हो रहा है।चार पैसे कमाने  …

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ब्रह्मनाथ पाण्डेय की कहानी पीपल

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साहित्‍य सरोज कहानी प्रतियोगिता 2025, कहानी पर कमेंट जरूर देंं। महातम लाल अपने समय के बड़े मशहूर आदमी रहे। क्षेत्र में उनका बोलबाला रहा। हर कोई उन्हें नाम और चेहरे से पहचानता था। उनका एक बेटा था जिसका नाम रोहन था। वह भी अपने पिता के नक्शेकदम पर चल रहा था। एक रात की घटना है जब रोहन गहरी नींद …

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उद्धव देवली की कहानी देते रहो

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साहित्‍य सरोज कहानी प्रतियोगिता 2025, कहानी पर कमेंट जरूर देंं। उत्तराखंड के एक छोटे से नगर में दीनदयाल नाम का व्यक्ति व्यापार करता था । वह विभिन्न प्रकार की सामग्री, खाने-पीने से लेकर आवश्यकता की सभी वस्तुएं अपनी दुकान में रखता था | वह मेहनती व अपने कार्य के प्रति पूर्णरूप से समर्पित था लेकिन उसमें सबसे बड़ी कमी यह …

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