कहानी

अन्तर्वेदना-प्रिया देवांगन

“मुझे अपनी शरण में ले लो राम…… ले लो राम” “मुझे अपनी शरण में ले लो राम…………….!!”रानो तुम ये उदासी भरा भजन क्यों गा रही हो और ये क्या तुम्हारी आँखें सरोवर की तरह डबडबा गई हैं? प्यारे ने अपनी पत्नी रानो के कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा।प्यारे! अब जीवन अंतिम पड़ाव पर है, भगवान भजन ही हमें मोक्ष की …

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संघर्षों का सफर -मीना जोशी

मंजिल : संघर्षों का सफर छोटे से कस्बे की संकरी गलियों में बचपन बिताने वाली अनाया के सपने आसमान जितने बड़े थे। उसकी आंखों में चमक थी । ऐसी चमक, जो हर कठिनाई को मात देने का साहस रखती थी। घर की चारदीवारी में पली-बढ़ी अनाया जानती थी कि एक लड़की का सफ़र आसान नहीं होता, पर उसके लिए यही …

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मराठी और बिहारी की प्रेम कथा-ज्‍योति

मराठी बिहारी की प्रेम कथा

यह कहानी है एक मराठी लड़की और बिहारी लड़के की जो एक ही स्कूल में बचपन से पढ़ते थे और जैसे ही जैसे इनकी समझ बढ़ती गई यह एक दूसरे के करीब आते गए।कहानी एक नई मोड तब लेती है जब यह दोनों 19 साल के हो जाते हैं लड़का जो कि बिहार है इसका नाम आशीष था यह अपने …

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कहानी सच्‍चा प्‍यार- कंचन

मैं पिंकी हूँ

रीता और रमन दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे और शादी करना चाहते थे l उन्हें ऐसा लगता था कि हम अपनी शादीशुदा जिंदगी बहुत अच्छे से एक दूसरे के साथ प्यार करते हुए व्यतीत कर लेंगे lदोनों विवाह कर लेते हैं और जैसे ही दोनों एक छत के नीचे आ जाते हैं पति-पत्नी की तरह साथ में …

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प्यार और तकरार-पूनम झा

गैस पर चाय चढाकर अमन विचारों में खो गया।हमारी को शादी को पाँच साल हो चुके थे। दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे, लेकिन छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा हो जाता था। एक दिन, सुबह की चाय पर बहस शुरू हो गई।मैंने कहा, “तुम हमेशा देर से उठती हो, रिया।”रिया ने नाराज होकर जवाब दिया, “और तुम हमेशा ऑफिस का …

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इंसान होने का डर- अरुण अर्णव खरे

इंसान होने का डर- अरुण अर्णव खरे

दो साल पहले तक मैं स्वयं को बड़ा निर्भीक समझता था। समझता क्या, था भी। न किसी बात से डरता था न किसी व्यक्ति से और न ही किसी जीव-जंतु से। छुटपन से ही जैसे न डरने की घुटी पिलाई गई थी। उस दौर में न कभी टीचर का बैंत डरा सका और न बात-बात में क्लास के बाहर बरामदे …

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सीमा वर्णिका की कहानी घर वापसी

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कुछ दिनों से संगीतज्ञ राधारमण जी के पास एक युवती संगीत सीखने आ रही थी। जैसा रूप वैसा मधुर स्वर था चाँदनी का.. बस सुर नहीं सधते थे। गुरुजी पूरी तन्मयता से सिखाने में लगे थे। थोड़ी दिन में उनकी मेहनत रंग लाने लगी। चाँदनी को भी सीखने की बड़ी ललक थी वह हर बारीकी पर पूरा ध्यान देती धीरे-धीरे …

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अपनी अपनी पूजा-अपूर्वा अवस्‍थी

अपनी अपनी पूजा - अपूर्वा अवस्‍थी

पति पत्नी दोनों भगवान के भक्त थे। हर पूर्णिमा को सत्यनारायण स्वामी की कथा सुनते।भोग लगाते पंडित जी को भोजन करवाते। और यथाशक्ति दक्षिणा देते।पति सुबह नहा धोकर आफिस जाने से पहले पूजा करता ठाकुर जी को नहलाता चंदन का टीका लगाता फूल चढ़ाता और भोग लगाकर ही भोजन ग्रहण करता।पत्नी भी आफिस जाती थी वह नहा धोकर पति के …

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मीना का भाई मिट्ठू-बाल कथा

मीना का भाई मिट्ठू।

एक लड़की थी उसका नाम मीना था।मीना की माँ बचपन में हीं मर गई थी । जिस समय मीना की माँ मरी थी ,मीना चार साल की थी। मीना के पिता जी मीना के परवरिश के लिए दूसरी शादी कर ली। लेकिन जब मीना की नई माँ आई तो मीना को बहुत दुःख देने लगी । मीना अब छे -सात …

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दरार में दीपक- डाक्‍टर सुनीता शर्मा

दरार में दीपक- साहित्‍य सरोज

राहुल और स्नेहा कभी एक-दूसरे के बिना एक पल भी नहीं रह सकते थे। हर बात साझा करना, एक-दूसरे की आंखों में झांकना, और देर रात तक बातें करना — यही उनका रिश्ता था।पर न जाने समय की धार में कहीं कुछ चटक सा गया हो… घर की बत्तियाँ बुझ चुकी हैं, एक हल्की पीली रोशनी कमरे के कोने से …

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