रमेश, नरेश और आकाश तीनों अच्छे मित्र थे। पी. जी. में रहते, पढ़ते-खाते और भरपूर मौज -मस्ती करते । हर दिन कॉलेज और पढ़ाई के बाद जब वक्त मिलता तो सैर-सपाटे के लिए निकल जाते ।अचानक एक दिन लिफ्ट से नीचे उतरे ही थे कि सामने से गुजरती रैली, जिंदाबाद के नारे लगाते लोग! तीनों वहीं ठहरकर देखते रहे, इतने …
Read More »परवरिश-अर्चना त्यागी
आज सुबह जैसे ही सोकर उठा वृद्धाश्रम से फोन आया। जो सूचना मिली उसे सुनकर मेरा दिल बैठ गया। एक बार तो आंखों के सामने अंधेरा ही छा गया। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं ? घरवालों को कुछ बताऊं या नहीं ?पिछले रविवार को ही चाची से मिलकर आया था। बीमारी के कारण कमज़ोर हो गई थी। …
Read More »मलाल-अर्चना त्यागी
बात कई वर्ष पुरानी है। परन्तु आज भी याद आती है तो मन को कचोटती है। दीवाली से चार पांच दिन पहले छोटी बहन का फोन आया। ” दीदी अम्मा आपको याद कर रही हैं। उनका आपसे मिलने का बहुत मन है। यदि अा सको तो भाई दूज पर घर अा जाना। उनकी तबियत भी कई दिन से ठीक नहीं …
Read More »मदर्स डे-शीला श्रीवास्तव
गीता जी अपने क्वार्टर के बरामदे में बैठीं हैं। “कुछ एकाग्रता से देख रही हैं, उनके सामने पेड़ के नीचे एक सकोरे में पानी भरा हुआ है, और एक गौरैया आकर पानी पी रही है और साथ में अपनी चोंच में पानी भरकर अपने छोटे से बच्चे की चोंच में डाल रही है”उनके मुंह से निकल गया देखो “मां की …
Read More »बच्चों की शरारत-सृष्टि उपाध्याय
बच्चों को फूलों की उपमा दी जाती है। हंसते-खेलते, प्यारे-प्यारे, मासूम बच्चे किसे अच्छे नहीं लगते? बच्चों का मन कोरा होता है। जीवन का सबसे बड़ा विद्यालय होता है बच्चों का बचपन, उनके छोटे-छोटे सपने और अनमोल कल्पनाएं। बच्चे तो हर ज़माने के चुलबुले और समझदार ही रहते हैं मगर आज के बच्चे कुछ ज्यादा ही समझदार, कुछ ज्यादा ही …
Read More »कृष्ण-कृष्णा और कुंज-यशोधरा
कृष्ण-कुंज खाली हो गया।खाली!सब कुछ होते हुए भी एक खालीपन! सूनापन। न कृष्ण हैं न कृष्णा। अम्मा-बाऊ जी की लिए ही तो छोटे ने खरीदा था यह घर। बड़की भाभी ने ढलती सांझ में घर से बाहर निकाल खड़ा कर दिया था तब बूढ़े बाऊजी और अम्मा किराए के मकान के लिए यहांँ-वहाँ भटकते रहे। दुर्वह कठिन समय!छोटा बाऊ जी से कुछ ज्यादा …
Read More »प्रेमलता यदु की कहानी ऊपर वाला कमरा
सप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु रविवार “स्वैच्छिक लेखन” अंजना देवी अपने सर्व सुविधायुक्त शानदार कमरे के नरम मुलायम व आरामदायक बिस्तर पर लेटी हुई, ऊपर छत की ओर टकटकी लगाए न जाने कब से बिना पलक झपकाए निहार रही थी. सहसा उनका चंचल मन अतीत के आसमान में उड़ने के लिए अपने पंख फड़फड़ाने लगा. शरीर स्थूल होता है, उसे एक स्थान …
Read More »संदीप तोमर की कहानी रॉग नम्बर
रुचि की सहेली दीप्ति जब से ब्रिटेन से लौटी तब से मिलने के लिए बेचैन थी। बेचैन होने का कारण था रुचि का फोन पर अपनी शादी तय होने की बात शेयर करना। रुचि की एक ही तो बचपन की सहेली है दिव्या, जिससे वह अपने मन की हर बात शेयर करती है। खुद रुचि भी तो बहुत बेचैन थी …
Read More »नई सोच- डॉ. सुनीता श्रीवास्तव
राशि आज सुबह से ही बहुत खुश थी, मानो उसमें आत्मविश्वास पुनः जागृत हो गया था… जल्दी-जल्दी घर के कार्यों से निवृत होने के बाद वह दफ़्तर से छुट्टी लेकर एक उद्योग के उद्घाटन समारोह के लिए जाने को तैयार होने लगी। अपने शैक्षिक कार्यकाल से ब्रेक लेने के लिए मीडिया इंडस्ट्री ज्वाइन कर ली, इस क्षेत्र में जाने के …
Read More »बूढ़ा बचपन-सुनीता
सौरभ आफिस लौटकर ताज़े फलों का जूस पी रहा था तभी अंतरिक्ष दौड़ता हुआ आया और कहने लगा— ‘पापा आज दादू ने हमारी अलमारी के ड्राज में से इत्र की शीशी निकाल कर अपने बक्से में छुपा कर रख दी हैं।सौरभ अंतरिक्ष की बात सुनकर थोडा आश्चर्य चकित होकर अपने काम में लग गया और वह बोला—‘अच्छा ठीक है बेटे …
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