जब से रामदयाल जी की पत्नी का स्वर्गवास हो गया और वह अपने दोनों बेटों के यहां रहने लगे तब अक्सर बेटों के घर में उनकी पत्नियों से तकरार होती रहती थी पर वह समझ नहीं पाते थे कि आखिर क्या बात है? रामदयाल जी के दो बेटे किशन और मोहन एक बेटी राधा है, बच्चों के शादी विवाह हो …
Read More »पब्जी और प्रियतमा- विनोद कुमार विक्की
(हास्य-व्यंग्य ) जब से पब्जी खेलने वाले सचिन की जीवन में सीमा पार कर सीमा का पदार्पण हुआ है तब से आनलाइन गेम के प्रति पोपट चचा की आस्था बढ़ गई। मीडिया से मंडी तक सीमा और सचिन तथा उनके चार रेडीमेड छोटे पब्जी की ही चर्चा थी.सीमा के पाकिस्तान …
Read More »अर्चना की बनारसी साड़ी
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्द “सिया….जल्दी रसोईघर में आ जाओ बेटा…याद है न? आज रविवार है…”हाँ, हाँ डैड,….आज संडे है, तो आज माॅम की पसंद का कश्मीरी छोले और राइस बनेगा। ““यस। …सिया, यू नो? खाना बनाना भी एक आर्ट है।…और कश्मीर छोले बनाना तो बेहद स्पेशल है… कौन से …
Read More »बनारसी साड़ी-डॉ प्रदीप
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्द पहली तनख्वाह मिलते ही रमेश सीधा जा पहुँचा उस कस्बेनुमा एक छोटे से शहर रायपुर के स्टेशन रोड पर स्थित अपने पिता जी की छोटी – सी चाय – नास्ते की दुकान पर। रुपयों से भरा हुआ एक लिफाफा अपने पिता जी को थमाकर उनके …
Read More »बनारसी साड़ी- गरिमा
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्द वह देवदूत सा आया था जीवन में। “देवदूत!” बड़े मध्यमी से होते हैं हम मध्यम वर्ग वाले। पल में तोला पल में माशा। ना पूरे काइयां कंजूस, ना पूरे उदार।निम्न के यथार्थ की ज़मीन और उच्च के विराट आसमानों के बीच में लटके त्रिशंकु। निम्न …
Read More »जब मैं छोटी बच्ची थी-गरिमा
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 जब मैं छोटा बच्चा था (संस्मरण)। शब्द सीमा- 700-1000 शब्द। बड़े से महानगर में उनका घर छोटा सा था। घर के बाहर एक कटहल का पेड़ था।वह एक बंगाली परिवार था। मेरे नाना के घर के ठीक सामने वाला घर। गर्मियों में जब हम अपने ननिहाल जाते तो वह इकलौता कटहल का पेड़ कटहलों से …
Read More »जब मैं छोटा बच्चा था-डॉ. प्रदीप कुमार
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 जब मैं छोटा बच्चा था (संस्मरण)। शब्द सीमा- 700-1000 शब्द। यह बात तब की है, जब मैं पाँचवीं कक्षा में पढ़ रहा था । एक दिन पिताजी ने मुझे अपने पास बुलाकर कहा, “बेटा प्रदीप, अब तुम बड़े हो चुके हो । तुम्हारी दीदी भी शादी के बाद अपनी ससुराल चली गई है । इसलिए मैं …
Read More »गर्मी की छुट्टी-सीमा
कमलेश द्विवेदी कहानी प्रतियोगिता -01 आदरणीय माँ ,चरण वंदनमहानगर की पचासवीं मंज़िल पर रहते रहते यहीं की मशीनी दुनियाँ में लिप्त हो गया। एक दिन ऑफिस से आ रहा था तब रेडियो पर एक विज्ञापन सुना- “ग्राम अनुभूति पार्क, जी हाँ, यहॉं आकर आप भूल जाएँगे प्रदूषण भरे महानगर को।स्वस्थ जलवायु, तालाब, झरनों के साथ प्राकृतिक वातावरण में बिताइये अपना …
Read More »गर्मी की छुट्टी-अंजना
कमलेश द्विवेदी कहानी प्रतियोगिता -01 बोर्ड परीक्षा का आखिरी दिन होने से बच्चे बहुत खुश थे।अमन और विनय अपने मम्मी पापा को देखकर उछल पड़े। उनके पापा ने उन्हें गले लगाते हुए कहा ” तुम्हारे लिए सरप्राइज़ है। ” दोनों की मम्मी ने एक पेपर दिखाते हुए बताया – ” तुम लोगों का एक बहुत बड़े म्यूजिक टीचर की वर्कशॉप …
Read More »गर्मी की छुट्टी-उपासना
कमलेश द्विवेदी कहानी प्रतियोगिता -01 इकलौते बेटे के सिंगापुर बस जाने के बाद सुमित्रा ताई और अशोक जी इंदौर में अकेले पड गए थे। प्रतिदिन मंदिर जाना, सुबह-शाम घूमना और फिर बालकनी में बैठकर बाहर देखना इस तरह अपना टाइम पास किया करते थे। गर्मी की छुट्टियों में दादी-नानी के आए आस पड़ोस के नौनिहालों को देख कर सुमित्रा ताई …
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