भीषण महामारी में पढ़ाई ना हो पाने के कारण स्कूल की परीक्षाएं किसी तरह समाप्त हुई। सभी शिक्षक उत्तर पुस्तिकाएं जांच कर परीक्षा परिणाम बनाने में लगे थे शाला की उत्तर पुस्तिका जांचने के पश्चात मास्टर दीनानाथ शाम के समय अपने घर लौट रहे थे। तभी अपनी बस्ती के मंदिर में घंटियां बजाते हुए हर्ष गौरव, और महेश देखें तीनों …
Read More »पहला और आखिरी प्यार-सोनिया
पिंकी एक सीधी साधी, भोली भाली और सुशील लड़की थी । वह एक प्राइवेट टेलीकॉम कम्पनी में काम करती थी । अजय भी उसी कम्पनी में काम करता था ।अजय पिंकी की मासूमियत से बहुत आकर्षित हुआ और मन ही मन पिंकी को चाहने लगा । जबकि अजय को यह भी आभास था कि पिंकी शादीशुदा है, क्यूँकि वह गले …
Read More »तिरंगा झंडा-मीरा जैन
पाठशाला में पुरस्कार वितरण के दौरान विजेता बच्चों को प्रमाण पत्र के साथ उनमे देशभक्ति की भावना को और अधिक सशक्त बनाने हेतु नगीने जड़ित फ्रेम में अति आकर्षक तरीके से सुसज्जित तिरंगा झंडा उपहार स्वरूप दिया गया । समस्त पुरस्कार प्राप्त बच्चे खुशी से चहक रहे थे उन्हे अपने विजेता होने का जितना गुमान नही था उससे कहीं …
Read More »खुशी का खजाना-वंदना पुणतांबेकर
राजा धुमसेन ओर रानी तारामती के वैभव की चर्चा दूर-दूर के राज्यों तक फैली हुई थी लेकिन राजा धुमसेन बहुत ही क्रोधी ओर लालची स्वभाव का था।उनके दुःख का एक ही कारण था कि उसे कोई संतान नही थी वह संतान की चाह में बहुत ही व्याकुल रहता।ना जाने कहाँ-कहाँ मंदिरों में जा-जा कर मनंते मांगता।रानी की व्याकुलता उससे देखी …
Read More »बेकार की बातें -वंदना
मैं खाट पर पड़े-पड़े धूप में बैठा मोबाइल देख रहा था। मां अपनी दिनभर की दिनचर्या में व्यस्त थी तभी घर का दरवाजा बजा।मां ने बिना देखे ही डिब्बे से दो रोटी निकाली और दरवाजा खोलने चली गई।अब उसके हाथ पहले की तरह काम नहीं करते थे और अब पैरों में भी कहां जान थी।जरा सा आंगन पार कर दरवाजा …
Read More »होली का सपना -गोपालराम गहमरी
आज आंखें क्या लगीं, होनहार ही होनहार दिखाई देने लगा। ठीक जैसे पुराने जमाने का रसांजन या सिद्धांजन लगाने से धरती के गड़े खजाने लोगांे को दिखाई देते थे। वैसे ही आज नींद ने मेरी आंखें क्या बंद की, मानो होनहार देखने के लिए ज्ञान की भीतरी आंखें खोल दी। देखा तो मोटे-मोटे सोने के चिकचिकाते अक्षरों से आसमान उज्जवज …
Read More »चिराग तले अंधेरा -मिन्नी मिश्रा
रात होने वाली थी।झुग्गी में रहने वाले दीपक की नजरें बार बार सामने खड़े आलीशान बंगले पर जाकर चिपक जाती। वाह!कितने अमीर हैं ये लोग ,भाग्य के धनी भी! सब कुछ है इनके पास।वह बंगला रंग-बिरंगी चाइनीज लड़ी से सजकर जगमगा रहा था! अनारदाने और रॉकेट की तेज रोशनी बंगले की चाहरदीवारी से निकल कर उसकी आँखों को चौंधिया रही …
Read More »राजा पास हो गया -सुधा भार्गव
एक राजा था बड़ा ही चतुर ! अक्सर वह रात में प्रजा के हालचाल जानने को अकेला ही निकल पड़ता लेकिन भेष बदलकर। भेष बदलने में भी बड़ा कुशल! कभी ग्वाला बन कर जाता तो कभी चूड़ियाँ बेचने का स्वांग रचता। भरे बाजार में आवाज लगाने लगता -दूध ले लो –दूध !चूड़ियाँ ले लो –रंग बिरंगी चूड़ियाँ! इससे राजा की पांचों …
Read More »मुक्तावकाश-डा बबीता गुप्ता
गणतंत्र दिवस की परेड में सभी दूरदर्शन पर, परेड में मिताली की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे थे तभी मिताली को सलामी करते हुये, लगभग सौ पुरुषों के दल का कुशलता से संचालन हुये जैसे ही दूरदर्शन पर दिखाई दी,तो उसका दस साल का बेटा,हिमांशु खुशी से ताली बजाते हुये कहने लगा,’देखिए दादाजी,मम्मी, पापा जैसी ड्रेस पहने हुये सलाम कर …
Read More »कैसा बचपन-नीलम सारंग
दस साल का अरनव खीझ रहा था एलेक्सा पर, जब देखो जैसा बोलो वैसा ही करती रहती है । मुझे नहीं चाहिए तुम्हारा साथ । मम्मी भी ना, कहो कुछ करती कुछ है । खुद के पास तो समय है नहीं और मुझे फ्रेंड भी ढूंढ कर दिया तो यह एलेक्सा । इसके साथ कोई कैसे दोस्ती कर सकता है …
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