शीर्षक- पर्यावरण संरक्षण कर्तव्य हमारा पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक चेतना लाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1972 में विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की घोषणा की थी।तब से पूरे विश्व में प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य हमारी प्रकृति की रक्षा के लिए जागरूकता …
Read More »माइक्रोफाइनेंस सफल जीवन की आसान राह-मनोज
आज के समय में जब बेरोजगार और बेरोजगारी चुनावी शब्द बन कर रहे गये हो। इनकी याद शासन-प्रशासन को केवल चुनाव में आती हो। बेरोजगार आर्थिक समस्या से, मार्गदर्शन के आभाव में, टीम वर्क की कमी से जूझते हुए जब अपनी जिन्दगी से परेशान और हताश हो जाता है। ऐसे में उसे माइक्रोफाइनेंस डूबते को सहारे के रूप में प्रकट …
Read More »आसमानी आग
सुना था कि इंसान को उसके कर्मो का फल अगले जन्म में मिलता है। पर ये भी सुना गया है कि यह कलयुग है साहेब।अब यहाँ का किया यही मिल जाता है। अगले जन्म का इंतज़ार भी नही करना है । और लग रहा है कि यह पूरी तरह सत्य किवदंती है क्यों कि हम सबने प्रकृति के साथ जो …
Read More »प्रारब्ध का सत्य-नंदलाल
होनी एव संयोग एक दूसरे के सहोदर है जो प्रारब्ध कि प्रेरणा है लेकिन इन तीनो को कर्म ज्ञान और सत्य से परिवर्तित किया जा सकता है।प्रस्तुत कहानी में सुभद्रा से अजुर्न को किसी संतान का योग नही था मामा भगवान श्री कृष्ण स्वंय इंद्र का स्वरूप 16 वर्षो के लिए मांग कर लाएं थे जो अभिमन्यु था । सत्यता …
Read More »आराच पन्नक-नंदलाल
राम रतन सिंह नेपाल से सटे भारत नेपाल सीमा के गांव गेरमा के बहुत प्रतिष्ठित जमींदार थे ईश्वर की कृपा से उनके पास कोई कमी नही थी दो पुत्र रिपुदमन सिंह एव चंद्रमौलि सिंह राम रतन सिंह एवअच्युता के प्रिय संतानों में थे दोनों होनहार एव भारतीय परम्पराओं के अनुरूप थे ।अच्युता एव राम रतन सिंह को एक बेटी की …
Read More »रामबाण
पप्पू-मियां कैसे बैठे होमियां -अरे कुछ नहीं बस ऐसे हीपप्पू- ऐसे ही बैठे होमियां – हां ऐसे ही बैठा हूंपप्पू – ऐसे ही क्यों बैठे होमियां -तेरे को क्यापप्पू – मुझे क्या ऐसे तो आप बैठे होमियां – हां बैठा हूं तोपप्पू – तो मैं क्या करूंमियां – तू पूछा नपप्पू- मैं क्या पूछामियां – कैसे बैठे होपप्पू- मैं कहां …
Read More »महानिशा कि ममतामयी माँ-नंदलाल
जीवेश से जब भी उसके सहपाठी पूछते तुम्हारे पिता का नाम क्या है ?जीवेश कुछ भी बता पाने में खुद को असमर्थ पाता और सहपाठियों के बीच लज्जित होता लौट कर माँ से सवाल करता माँ मेरे पिता कौन है? स्वास्तिका बताती भी तो क्या ? वह भी हर बार जीवेश के प्रश्न को कोई न कोई बहाना बनाकर टाल जाती कभी …
Read More »मदर-डे संस्मरण डॉ मंजु गुप्ता
हमारी माता स्व शांतिदेवी वार्ष्णेय और स्व पिता प्रेमपाल वार्ष्णेय जी ने खून – पसीने से परिवार हेतु प्यारा दिव्य , भव्य आध्यात्मिक, स्वधर्म , स्वघर ‘ शांति निकेतन ‘ बनाया था। वे संसार से चले गए , पर वह घर शांति निकेतन ईंट – गारे का नहीं था । वह घर हम सब भाई – बहनों , माँ -पिता के मधुर …
Read More »रवीन्द्रनाथ टैगोर और मेरे स्वयं के बीच संबंध: एक रहस्यमय ऊर्जा – प्रबुद्ध घोष
टैगोर की जन्म-जयंती के पवित्र अवसर पर एक श्रद्धांजलि मेरी मुक्ति क्षितिज में चमक है,पवित्र मिट्टी और घास पर मेरी मुक्ति।अक्सर मैं खुद को इलाकों से दूर खो देता हूँ,धुनें मेरी मुक्ति को ऊपर ले जाने में मदद करती हैं।मेरी मुक्ति सार्वभौमिक आत्माओं से घिरी हुई है।आध्यात्मिक प्रथाओं और पारंपरिक अनुष्ठानों की सीमाओं को पार करते हुए, रवींद्रनाथ टैगोर की …
Read More »नारीत्व और संस्कार की देवी माता सीता
भारतीय वांगमय ऋग्वेद , अथर्वेद , ब्रह्मवैवर्त , तमिल , मलयालम , पुराणों और धर्मग्रंथों तथा इतिहास के अनुसार नारी सशक्तिकरण तथा नारी की मर्यादा की पहचान मिथिलांचल का पवित्र स्थल है । भारत गणराज्य का बिहार राज्य के तिरहुत प्रमंडल मे सीतामढी जिला सांस्कृतिक मिथिला क्षेत्र का पौराणिक आख्यानों में सीता की जन्मस्थली है। त्रेतायुग में बिहार के पुनौरा …
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