आज हमारे समाज में बदलता दौर एक ऐसी ओर इशारा कर रहा है जिसका परिणाम बहुत ही भयानक होने वाला है वह है कि हम सभी के बीच अपने सभ्यता का पतन बहुत ही रफ्तार से पनप रहा है अपने संस्कृति का हम मजाक बनाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ रहे हैं ।इसके साथ ही दूसरों के सभ्यता को …
Read More »एक कालातीत दृष्टि को श्रद्धांजलि प्रबुद्ध घोष
इंडियन कार्टून गैलरी (बेंगलुरु) गर्व के साथ पेश कर रही है “आर.के. लक्ष्मण की नजर से” — एक विशेष प्रदर्शनी जिसमें मशहूर कार्टूनिस्ट रसिपुरम कृष्णास्वामी लक्ष्मण, जिन्हें स्नेहपूर्वक आर.के. लक्ष्मण कहा जाता है, के चुने हुए कैरिकेचर शामिल हैं। अगर वे आज जीवित होते, तो उनकी उम्र 104 साल होती। यह प्रदर्शनी उनकी तीक्ष्ण बुद्धि और अद्भुत कलात्मक दृष्टि की …
Read More »पर्यावरण — माधुरी सिंह
पर्यावरण — माधुरी सिंह, पटना*पर्यावरण शब्द “परी” और “आवरण” से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है — हमारे चारों ओर का वह घेरा जिसमें वायु, जल, मिट्टी, जीव-जंतु और वनस्पतियाँ शामिल हैं। यह जीवन का आधार है और हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक भी। संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित विश्व पर्यावरण दिवस हर वर्ष 5 जून को मनाया जाता है। …
Read More »रवींद्रनाथ टैगोर: भारतीय आधुनिक कला के एक कालातीत दूरदर्शी-प्रबुद्ध घोष
रवींद्रनाथ टैगोर, जिन्हें स्नेह और सम्मान से गुरुदेव कहा जाता है, एक नोबेल पुरस्कार विजेता कवि, दार्शनिक और साहित्यकार के रूप में सबसे ज़्यादा जाने जाते हैं। लेकिन कम लोग जानते हैं कि उन्होंने अपने जीवन के आखिरी वर्षों में चित्रकला की दुनिया में भी एक अनोखा और गहरा योगदान दिया। उन्होंने पेंटिंग की शुरुआत काफी देर से की, फिर …
Read More »खत्म होती रिश्तों की मिठास कैसे -दीपमाला
“वसुधैव कुटुम्बकम”की भावना से ओत प्रोत सनातन संस्कृति l जहाँ सिर्फ अपना परिवार ही नहीं अपितु समस्त वसुंधरा ही अपना परिवार है ये भावना समाहित होती थी सभी के हृदय में l सभी उसे जीवंत बनाते हुए उसका पालन भी करते थे l बिना परिवार की कल्पना करना भी सबके लिए कल्पना से परे था l संयुक्त परिवार में रहना, …
Read More »सूनी रही होली- आखिर क्यों-अखंड गहमरी
अखंड गहमरी गहमर, जो अपनी वीरता और संस्कृति के लिए जाना जाता है, इस बार होली पर कुछ उदास-सा दिखा। जहाँ पहले रंगों की बौछार, ढोल-मंजीरे की धुन और फगुआ के गीतों से गलियाँ गुलजार रहती थीं, वहीं इस बार सन्नाटा पसरा रहा। नशे पर भारी मोबाइल! पहले जहाँ लोग भांग, ठंडाई और होली के रंग में सराबोर होकर मस्ती …
Read More »रंगों का त्योहार होली आपसी सौहार्द का प्रतीक- डॉ शीला शर्मा
होली: खुशी, उत्साह और आपसी सौहार्द का प्रतीक – रंगों का त्योहार होली खुशी, उत्साह और आपसी सौहार्द का प्रतीक है। यह भारत के सबसे प्राचीन और लोकप्रिय त्योहारों में से एक है, जिसे न केवल भारत में बल्कि नेपाल सहित दुनिया भर के 50 से अधिक देशों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। होली सिर्फ हिंदू संस्कृति तक …
Read More »मातृभाषा दिवस पर पटना बिहार से माधुरी सिंह
मातृ भाषा को भी वही सम्मान प्राप्त होता है जो माँ को प्राप्त होता है। समाज में माँ के अमूल्य योगदान को सम्मान देकर और स्मरण कर हम जिस प्रकार खुद को सम्मानित करते हैं उसी तरह मातृभाषा का सम्मान कर हम अपने आप को एक विशेष पहचान देते हैं। जिस प्रकार मॉं बच्चों के जीवन को आकार देने, नैतिक …
Read More »मातृभाषा दिवस पर उत्तराखंड से लक्ष्मी चौहान
आज 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की 25वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है।भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को संरक्षित करने, बढ़ावा देने और बहु -भाषावाद को प्रोत्साहित करने के लिए हर साल 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। 17 नवंबर 1999 को यूनेस्को ने इसे स्वीकृति प्रदान की थी। साल 2000 में पहली बार इसे पूरी दुनिया …
Read More »व्यक्तित्व विकास की आधारशिला है मातृभाषा-डॉ० रामशंकर भारती
मातृभाषा दिवस पर विशेष – हिंदी हमारी राष्ट्रीय अस्मिता की पहचान और राष्ट्रीय एकता की संवाहिका है। व्यक्ति के सर्वांगीण विकास में मातृभाषा का अहम् योगदान होता है। मातृभाषा हमारी आंतरिक अभिव्यक्ति का सबसे विश्वसनीय माध्यम है। यही नहीं, मातृभाषा हमारी अस्मिता, सामाजिक -सांस्कृतिक पहचान और आंतरिक निर्माण-विकास का मार्ग प्रशस्त करती है। अपने इतिहास, परंपरा और संस्कृति के अध्ययन …
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