पत्र साहित्य गुजरे बीसियों साल से मेरे नाम किसी अपने-विराने की कोई चिट्ठी नहीं आई। हाँ, कुछ पत्रिकाओं तथा पुस्तकों के बण्डल जरूर मिलते रहते हैं। माना कि अब मैंसेजर, व्हाट्सएप्स आदि की आधुनिक तकनीकी सहूलियतें उपलब्ध हैं, जिनसे एक ही सेकंड में संदेश इधर से उधर तैर जाते हैं। अँगुलियाँ धरते ही सात समंदर पार कर जाते हैं। मगर …
Read More »मन की रेडियो तरंग-आशीष भारती
एक समय ऐसा था जब रेडियो सूचना यंत्र सबके घरों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। मैंने सर्वप्रथम रेडियो अपने घर में बाउजी (दादाजी) के पास देखा था, वह अक्सर खबरों को ध्यान पूर्वक सुनते। प्रतिदिन रात्रि में पिताजी भी रेडियो से दिनचर्या की खबर सुनते। जब मैं रेडियो प्रसारण पर संचालनकर्ता की आवाज सुनता ‘‘नमस्कार ……” तो मन में बड़ी …
Read More »14 फरवरी – भारतीय इतिहास का काला दिवस-लक्ष्मी चौहान
14 फरवरी का दिन भारतीय इतिहास में काला दिवस के रूप में मनाया जाता है।ब्रिटिश सरकार ने 14 फरवरी 1931 को अमर शहीद भगत सिंह ,राजगुरु और सुखदेव को लाहौर में फांसी की सजा सुनाई थी और 23 मार्च 1931को लाहौर सेंट्रल जेल में शाम 7:33 मिनट पर इन तीनों क्रांतिकारियों को फांसी दे दी गई थी। इसीलिए 23 मार्च …
Read More »घर परिवार का वातावरण महिलाएं ही बनाती है-दीपमाला
महिला दिवस पर साथियों नारी जागरण की बात हमेशा होते रहती है l हम हमेशा कई स्थानों पर, अखबारों में, समाचार में नारी जागरण आंदोलन की बात सुनते हैं l सदियों से इस क्षेत्र में व्यापक कार्य भी हुये हैं पर क्या वर्तमान में नारियां जाग चुकी है, क्या हम अपने महत्व को जान पाये हैं l क्या हम ये …
Read More »बचपन पर मोबाइल का प्रभाव-आशा
“सचल दूरवाणी यंत्र” यानी मोबाइल वर्तमान के जीवनशैली का सबसे महत्वपूर्ण साधन।जिसके बिना जीवन संभव नहीं “सा” लगता है।आजकल हर कार्य मोबाइल द्वारा सम्पन्न होने लगे हैं। तो इसके प्रयोग से अछूता तो नहीं रखा जा सकता है बच्चों को, ये अवश्य है कि एक न्यूनतम उपयोग के स्वास्थ्य के प्रति सचेत अवश्य रहा जा सकता है। बच्चों में मोबाइल …
Read More »बचपन पर मोबाइल का असर-दीपमाला
वर्तमान में ऐसा कौन सा परिवार है जो बच्चों के मोबाइल देखने से परेशान नहीं होता l ऐसी बहुत ही कम मां होगी जिसे अपने बच्चे को भोजन कराते समय मोबाईल की जरूरत नहीं पड़ती होगी l बच्चों को आज दादा-दादी, नाना-नानी तो दूर शायद मम्मी-पापा की जरूरत भी कुछ समय के लिए पड़ती है, बांकी पूरा समय उनके लिए …
Read More »बचपन पर मोबाइल का असर-ज्योति
वर्तमान समय में अभिभावक की कमी के कारण बच्चों पर मोबाइल का बहुत गहरा असर पड़ रहा है इससे उनकी आंखें दिमाग और शारीरिक सेहत पर भी कई तरह की समस्याएं हो सकती है ।मोबाइल फोन को हिंदी में “सचल दूरभाष यंत्र” कहा जाता है सचल का अर्थ है जिसे आसानी से कहीं भी ले जाया जाये। दूरभाष का अर्थ …
Read More »आत्महत्या की बढ़ती प्रवृति- दिनेश कुमार राय
आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति कोई साधारण समस्या नहीं है।यह एक गहरी पीड़ा और मानसिक उथल-पुथल का प्रतीक है। दूसरे शब्दों में, यह एक ज़ख्म है जो समाज के ताने-बाने को चीरता हमारे सम्मुख खड़ा किसी दैत्य की भांति अट्टाहासें भर रहा है। यह महज़ एक व्यक्ति के जीवनलीला को समाप्त करने के लिए जिम्मेदार ही नहीं है, बल्कि उसके परिवार …
Read More »आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति-किरण बाला
मैम जो छठी सी की ज्योति थी ना उसने ट्रेन के नीचे आकार अपनी जान दे दी। सातवीं कक्षा में प्रवेश करते ही जब किसी बच्चे से मुझे यह बात पता चली तो कुछ पल के लिए मैं स्तभित हो उठी। परसों ही तो मेरे पास ये कहने आई थी कि मैम, अब कोई प्रतियोगिता हो तो मुझे बताना। मुझे …
Read More »आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति-ज्योति सिंही
आज के वर्तमान समय में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति का मुख्य कारण अवसर निराशा माना जाता है ,क्योंकि निराशा के चलते अवसाद, मनोभाजन ,नशे की लत मानसिक विकारों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। तनाव के कारक जैसे- वित्तीय कठिनाइयों या पारस्परिक संबंधों में परेशानियां की भी अक्सर एक भूमिका होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मानसिक रोगों में …
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