कमलेश द्विवेदी काव्य प्रतियोगिता -02 रचना शीर्षक – दिल की बात।निर्जन मन की आशा तुम कोरे कागज़ की जिज्ञासा तुम तरस रहा मन मीत मिलन को इस पलाश की अभिलाषा तुम! बरसों से है मन की प्यास बड़ी दूर किनारे प्रीत की नांव खड़ी जलतरंग है मन का सूना- सूना बूंदें अब तक सागर से नहीं मिली स्वेत वर्ण जीवन …
Read More »दिल की बात-अनीता मिश्रा
आ जाओ अब साथी मेरे , पल -पल लगे वीराना । तुम आओ तो जीवन महके, मौसम बड़ा सुहाना।। चोरी -चोरी नेह लगाकर ,मन मे तुम्हें बसाया । प्यारी -प्यारी दिल की बातें , आकर तुझे सुनाया। तेरे आने की आहट सुन , चहके दिल दीवाना । तुम आओ तो जीवन महके , मौसम बड़ा सुहाना। सूना -सूना आँचल मेरा …
Read More »दिल की बात-विजयानंद विजय
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता – 02 गीत शीर्षक – दिल की बात एहसासों की तपिश लिए, मैं ढूँढ़ूँ साँसों-साँसों में। बैठे – बैठे देख रहा हूँ, ख़्वाब तुम्हारी आँखों में। यादों के रपटीले पल, जब अपनी ओर बुलाते हैं। कतरा-कतरा घुल जाता, मधुमास तुम्हारी आँखों में। सपनों की उन गलियों में, मन यायावर-सा फिरता है। मिल जाता है जीने का, …
Read More »कोई सुनता भी होगा-गरिमा जोशी पंत
कमलेश द्विवेदी काव्य प्रतियोगिता -02 रचना शीर्षक – दिल की बात। कभी धूप के उछाह कीचाह कीकभी बादल के फाहे कीचाह की।चाहा कभी भीगूंबारिशों में तरबतरकभी प्रेम की खिलीधूप में छीलूं मटर।हरी दूब पर नंगेपांव झूमती चलूंपढ़ एक प्रेम कविताकि मैं कली सी खिलूंमेरे जैसे कोई औरभी ऐसे ख्वाब बुनता ही होगा।इतनी भीड़ हैमैंने कह तो दी दिल कीबात ।कोई …
Read More »प्रेम में डूबी स्त्री-संदीप
प्रेम करके दरअसल अपने जीवित होने का यकीन दिलाती है खुद को कि अभी भी संवेदनाएं जीवित हैंवह चेतनाविहीन,कठपुतली, फर्नीचर सी नही बनी है अभी सबके प्रयत्न के बाद भी नही छोड़ती है वह अपने अस्तित्व की लकीरप्रेम करती स्त्री गुलाब हो जाती हैवह हवा,अहसास,जल सी निर्मल और खुशियों से भर जाती है उसमें आत्मविश्वास आता हैवह आसमान छू आती …
Read More »दोस्ती न हो-संदीप
दोस्ती न होकृष्ण सुदामा सी, जहां सदा रहे एक याचक न हो दोस्ती कर्ण दुर्योधन सी जो खड़े रहे अन्याय के पक्ष में दोस्ती कभी नही होती पति पत्नी में भी जान एक दूसरे के अवगुणोंको कभी न करते लिहाज ,बस वार पर वार दोस्ती न हो कभी हाकिम से क्योंकि खा जाएगी आपका सुखी संसार दोस्ती हो तो ऐसी …
Read More »देश प्रेम काव्य के रंग से मनाया हर घर तिरंगा अभियान
साहित्य क्षितिज पर भोपाल के रचनाकार अभियंता निरंतर नवाचार करते दिखते हैं । काव्य के रंग से हर घर तिरंगा अभियान मनाने अभियंता कवियों ने साहित्य यांत्रिकी की गोष्ठी आयोजित की ।गायक , कवि अशेष श्रीवास्तव ने गोष्ठी का प्रारंभ करते हुए 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर अपने अपने घरों, कार्यस्थलों, मोहल्लों, धार्मिक स्थलों को दीप मालाओं बिजली की …
Read More »शर्म आती है? अखंड सिंह गहमरी
पापा आज भी खाने में सब्जी नहीं है।बेटा आज खा लो, कल जरूर सब्जी बनेगी और साथ में दाल भी।आप तो रोज कहते हैं पापा, सब्जी बनेगी मगर आज कितने दिन हो गये, दूध भी नहीं मिला।बेटा आप जाओं पढ़ाई करों कल सब कुछ मिलेगा।लपलू चुपचाप मुहँ बनाते हुए चला गया, तभी अंदर से मटकनिया अपने हाथ पोछते हुए आई।कहॉं …
Read More »मौसम-गौरीशंकर
झूठ मक्कारों का बेड़ा पार है। सत्यवादी का ही बंटाधार है। कंटकों का है बिगड़ता कुछ नहीं पुष्प पर मौसम की पड़ती मार है। धनी – निर्धन के नियम होते अलग पक्षपाती न्याय को धिक्कार है। मिलन स्त्री – पुरुष का फैशन बना हो रहा अब प्यार का व्यापार है। भावना – संवेदना का मूल्य क्या व्यक्ति का अति स्वार्थी …
Read More »कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02(01) लेख-आलेख विषय- जब मैं छोटा बच्चा था (संस्मरण)। शब्द सीमा- 700-1000 शब्द।(02) रचना शीर्षक – दिल की बात।विधा- गीत और अतुकांत नोट अतुकांत में सपाट बयानी न हो, स्वीकार नहीं होगी।(03) कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्दभेजने की अंतिम तिथि-: 01 अगस्त 2023बेवसाइट पर प्रकाशन – 10 अगस्त 2023लेखक/लेखिका, रचनाकार अपने …
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