सबरंग

चोरी, दंड और जुर्माना

चोरी दंड और जुर्माना

नेहूँ और प्रेम गहरे दोस्त थे | दोस्ती तो अधिक पुरानी नहीं थी किन्तु भाव एवं साँझ पुरानी लगती थी | एक दिन खुलेआम नेहूँ ने प्रेम पर अपने दिल की चोरी का इलज़ाम लगा दिया | हाज़र जवाब प्रेम ने वक़्त को मुठ्ठी में समेटते हुए कहा, "चोरी करके दंड और जुर्माना चुका देंगे|" बावली नेहूँ आज तक समझ …

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काव्य संग्रह ‘अनछुए स्पर्श’ में दर्द, पीड़ा, संत्रास, अकेलापन और जीजिविषा

काव्य संग्रह 'अनछुए स्पर्श' में दर्द, पीड़ा, संत्रास, अकेलापन और जीजिविषा

डॉ. सुनीता शर्मा के ‘अनछुए स्पर्श’ में जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे दर्द, पीड़ा, संत्रास और अकेलेपन का यथार्थ चित्रण मिलता है। इन भावनाओं के बीच कवयित्री की जीजिविषा और जीवटता भी स्पष्ट रूप से झलकती है। संग्रह में प्रस्तुत कविताएँ न केवल मानवीय संवेदनाओं की गहराई में उतरती हैं, बल्कि संघर्ष और पुनर्निर्माण की राह भी दिखाती हैं। दर्द …

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पुस्तक समीक्षा – कपास

पुस्तक समीक्षा – कपास (कहानी संग्रह)लेखक – डॉ. कुबेर दत्त कौशिकप्रकाशक – शॉपिज़ेन डॉट इनसमीक्षक – सोनल मंजू श्री ओमर हाल ही में लेखक डॉ कुबेर दत्त कौशिक जी का 10 कहानियों का संग्रह ‘कपास’ पढ़ने को मिला। इनके अभी तक लगभग एक उपन्यास (दस्तख़त) व एक दर्जन कहानी संग्रह (झोपड़ी, कुल्हड़, कपास, शाख शाख जल गई, अफसाना, रोशनाई, चरणामृत, …

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दलजीत की लघुकथा

वे सज-धज कर बल खाती हुईं आती हैं और अपने जैसी किसी कवयित्री से नागिन-सी लिपट जाती हैं ।कविता मंच पर बैठी है ।उस पर उनका ध्यान नहीं है ।वे आपस में सूट -साड़ी पर बात करती हैं ।नेलपालिश की तारीफ़ करती हैं ।जूते -चप्पल की तारीफ़ करती हैं । वे हॉल से बाहर जा कर खुल कर गप्पें मारती …

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पूनम की लघुकथाएं

“घर की मुर्गी दाल बराबर…”  सौम्या बड़बड़ाते हुए काम निपटाती जा रही थी। ऐसे में कभी कुछ गिरता, कभी कुछ । विवेक जो कान में ब्लू-टुथ लगाकर आराम से मोबाइल देख रहा था। उसका ध्यान तब इस तरफ गया, जब उसके पास धम्म से कुछ गिरने की आवाज आयी, वह इसलिए क्योंकि वहाँ पानी का बोतल रखने के लिए किताब …

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